शिमला: हिमाचल प्रदेश राज्यसभा चुनाव में क्रॉस वोटिंग करने वाले 6 कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कुलदीप सिंह पठानिया ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपना फैसला सुनाया है. स्पीकर के आदेश के मुताबिक इन 6 विधायकों को बर्खास्त कर दिया गया है.
"इन 6 विधायकों ने दल बदल कानून का उल्लंघन किया है. मैं इन 6 विधायकों को सदन से बर्खास्त कर रहा हूं, इनमें सुधीर शर्मा, राजेंद्र राणा, देवेंद्र भुट्टो, इंद्रदत्त लखनपाल, रवि ठाकुर, चैतन्य शर्मा शामिल हैं. मैंने इन विधायकों को अयोग्य घोषित कर दिया है. अब वो हिमाचल विधानसभा के सदस्य नहीं होंगे."- कुलदीप सिंह पठानिया, स्पीकर, हिमाचल विधानसभा
स्पीकर से फैसले का सरकार पर क्या होगा असर
हिमाचल विधानसभा में कुल 68 सदस्य हैं और बहुमत का आंकड़ा 35 है. 2022 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 40 सीटें जीतकर पूर्ण बहुमत वाली सरकार बनाई थी. लेकिन 27 फरवरी को राज्यसभा चुनाव के दौरान 6 कांग्रेस और 3 निर्दलीय विधायकों ने क्रॉस वोटिंग कर दी. जिसके बाद कांग्रेस उम्मीदवार अभिषेक मनु सिंघवी की हार हुई और बीजेपी उम्मीदवार हर्ष महाजन चुनाव जीत गए. इस क्रॉस वोटिंग के बाद हिमाचल की कांग्रेस सरकार खतरे में नजर आ रही थी, कई सवाल उठ रहे थे क्योंकि क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों ने मंगलवार से ही हरियाणा के पंचकूला में डेरा डाला हुआ है. राज्यसभा चुनाव में 34 कांग्रेस विधायकों ने अभिषेक मनु सिंघवी को वोट दिया. इस तरह कांग्रेस के पास 34 विधायकों का समर्थन था, जो सदन में कांग्रेस को अल्पमत में लाने के लिए काफी था. लेकिन बुधवार को बजट सत्र के दौरान स्पीकर ने पहले बीजेपी के 15 विधायकों को सस्पेंड कर दिया और फिर बिना विपक्ष की गैरमौजूदगी में बजट पारित हो गया और सरकार अल्पमत में आने से बच गई. इसके बाद विधानसभा स्पीकर ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी, जबकि बजट सत्र 29 फरवरी तक चलना था. इसके बाद गुरुवार को स्पीकर का फैसला भी सुक्खू सरकार के लिए फायदे का सौदा ही है.
इसे ऐसे समझिये कि 6 विधायकों की बर्खास्तगी के बाद हिमाचल विधानसभा की स्ट्रेंथ 68 से घटकर 62 हो गई है. ऐसे में सदन में बहुमत का आंकड़ा भी 35 से घटकर 32 हो गया है और फिलहाल 34 विधायक कांग्रेस के साथ हैं. ऐसे में 6 विधायकों की बर्खास्तगी हिमाचल में कांग्रेस सरकार के लिए संजीवनी से कम नहीं है.
बुधवार को स्पीकर ने फैसला सुरक्षित रखा था
गौरतलब है कि संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने एंटी डिफेक्शन ट्रिब्यूनल के समक्ष क्रॉस वोटिंग करने वाले कांग्रेस विधायकों को अयोग्य घोषित करने की मांग रखी थी. वहीं बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील सत्य पाल जैन ने क्रॉस वोटिंग करने वाले विधायकों की ओर से स्पीकर के समक्ष पैरवी की थी. एंटी डिफेक्शन ट्रिब्यूनल के चैयरमैन विधानसभा अध्यक्ष होते हैं. कांग्रेस के मुताबिक इन 6 विधायकों ने दल बदल कानून का उल्लंघन किया है इसलिये इन सभी विधायकों को अयोग्य घोषित किया जाए. वहीं सत्य पाल जैन की दलील थी कि राज्यसभा चुनाव में होने वाली वोटिंग इस कानून के तहत नहीं आती है. बुधवार को स्पीकर कुलदीप पठानिया ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
स्पीकर ने इन 6 विधायकों को किया बर्खास्त
- राजेंद्र राणा- हमीरपुर जिले की सुजानपुर सीट से विधायक हैं. 2012 और 2017 के बाद वो 2022 में लगातार तीसरी बार विधानसभा पहुंचे. 2017 के विधानसभा चुनाव में राजेंद्र राणा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को चुनाव हराया था. पिछले दिनों से कांग्रेस सरकार से नाराज थे और सुक्खू सरकार को वादे याद दिला रहे थे. युवाओं को रोजगार देने और वादे पूरे करने को लेकर मुख्यमंत्री को खुली चिट्ठी भी लिखी थी.
- इंद्रदत्त लखनपाल- इंद्र दत्त लखनपाल हमीरपुर जिले की बड़सर विधानसभा से विधायक हैं. वो लगातार 2012, 2017 के बाद 2022 में लगातार तीसरी बार विधायक बने हैं. राजेंद्र राणा और इंद्र दत्त लखनपाल मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू के गृह जिले हमीरपुर से ही आते हैं.
- सुधीर शर्मा- कांगड़ा जिले की धर्मशाला सीट से चौथी बार विधायक हैं. 2022 से पहले वो 2003, 2007 और 2012 में विधानसभा चुनाव जीते. 2012 में बनी कांग्रेस सरकार में मंत्री रह चुके हैं. पिछले कई दिनों से कांग्रेस से नाराज थे और सोशल मीडिया से लेकर अपने बयानों में कांग्रेस सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे थे
- देवेंद्र कुमार भुट्टो- देवेंद्र कुमार भुट्टो ऊना जिले की कुटलैहड़ विधानसभा सीट से कांग्रेस विधायक हैं. वो 2022 में पहली बार विधायक बने हैं.
- रवि ठाकुर- लाहौल स्पीति से कांग्रेस विधायक रवि ठाकुर ने भी क्रॉस वोटिंग की है. वो 2012 के बाद 2022 में दूसरी बार विधायक बने हैं.
- चैतन्य शर्मा- 29 साल के चैतन्य शर्मा ऊना जिले की गगरेट सीट से कांग्रेस विधायक हैं, 2022 के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल कर वो पहली बार विधायक बने थे.
स्पीकर के फैसले के बाद ये सभी विधायक हिमाचल विधानसभा के सदस्य नहीं हैं. हालांकि स्पीकर के फैसले के खिलाफ इन विधायकों के पास हाइकोर्ट या सुप्रीम कोर्ट जाने का विकल्प खुला है.
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