नई दिल्ली: इस समय इजराइल चर्चाओं में बना हुआ है. वजह है ईरान और उसके प्रॉक्सी संगठन के साथ जारी संघर्ष. इजराइल इस समय हमास, हिजबुल्लाह और हूथी के साथ युद्ध लड़ रहा है. वहीं, ईरान ने भी उस पर मिसाइलों की बौछार कर दी है, जिससे उसे काफी नुकसान हुआ है.
इजराइल पर हो रहे हमले के बीच हिमाचल प्रदेश के दो गांव भी चर्चा में आ गए हैं, जिन्हें 'मिनी इजारइल' और 'पहाड़ों तेलअवीव' कहा जाता है बता दें कि हिमाचल प्रदेश के धर्मकोट को 'पहाड़ों का तेल अवीव' कहा जाता है, जबकि कसोल गांव को 'मिनी इजरायल' के नाम से जाना जाता है. यह दोनों गांव इजराइली पर्यटकों को खूब पसंद आते हैं.
बता दें कि धर्मकोट गांव हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में है, जबकि कसोल कुल्लू में पड़ता है. पिछले तीन दशकों से ये गांव भारत आने वाले इजराइली लोगों के पसंदीदा बन गए हैं. गांव में एक छोटा सा चबाड हाउस भी है, जहां शाम को इजराइली लोग इकट्ठा होते हैं.
गांव में चबाड हाउस
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक गांव में चबाड हाउस की स्थापना दस साल पहले की गई थी. औसतन हर साल करीब 500 इजराइली कसोल आते हैं. उनमें से कुछ मनाली और कुल्लू जिले के तोश गांव भी जाते हैं.इसके अलावा कुल्लू जिले में 1,500 इजराइली लोग रहते हैं.
हिब्रू बोलते हैं गांव के कई लोग
इसी तरह धर्मशाला से 13 किलोमीटर दूर धर्मकोट का छोटा सा गांव भी इजराइली पर्यटकों के बीच एक लोकप्रिय डेस्टिनेशन रहा है. इस गांव में गद्दी चरवाहा समुदाय रहता है. हालांकि, पिछले कुछ सालों में इजराइली पर्यटकों की नियमित यात्राओं ने गांव को बदल दिया है. अब यह कैफे, रेस्तरां, योग केंद्र और उपहार की दुकानों से भरा हुआ है. समय के साथ स्थानीय लोगों ने भी खुद को ढाल लिया है और अब कई लोग धाराप्रवाह हिब्रू बोल सकते हैं. गांव में साइनेज और बोर्ड भी हिब्रू में लिखे गए हैं.
पिछले साल जुलाई में इजराइल की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने पीएम बेंजामिन नेतन्याहू से मुलाकात के दौरान मैरून बैंड वाली पारंपरिक हिमाचली टोपी पहनी थी. प्रधानमंत्री के इस आकर्षक परिधान ने हिमाचल भाजपा को खुशी से झूमने पर मजबूर कर दिया था.