प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मुवक्किल और वकील के बीच मुकदमे की फाइल को लेकर उत्पन्न विवाद में वकील की ओर से दर्ज कराई गई एफआईआर की वैधानिकता प्रति सुनवाई करते हुए कहा कि आपराधिक मानहानि की एफआईआर दर्ज करने की किसी प्रकार की कोई शक्ति पुलिस में निहित नहीं है.
यह आदेश न्यायमूर्ति एमसी त्रिपाठी एवं न्यायमूर्ति गजेंद्र कुमार की खंडपीठ ने सुम्बरीन जमाल की याचिका पर अधिवक्ता रजत ऐरन व राजकुमार सिंह को सुनकर दिया है. अधिवक्ता द्वय ने कहा कि वादिनी हाईकोर्ट परिसर में अपने अधिवक्ता से मुकदमे की फाइल लेकर दूसरा वकील करने आई थी. फाइल वापस देने को लेकर उसका पहले अधिवक्ता से विवाद हुआ, जिसके बाद याची ने पुलिस से शिकायत की और उक्त अधिवक्ता ने याची के विरुद्ध अपराधिक मानहानि का मुकदमा कैंट थाने में दर्ज कराया.
याची की ओर से दलील दी गई कि सीआरपीसी की धारा 199 के अनुसार आईपीसी की धारा 500 (अपराधिक मानहानि) का मुकदमा दर्ज करने की शक्ति पुलिस के पास नहीं है. सुनवाई के बाद कोर्ट ने याची की गिरफ्तारी पर रोक लगाते हुए दोनो पक्षों को मध्यस्थता एवम सुलह कर अदालत में प्रस्तुत होने होने का आदेश दिया.