चेन्नई: तमिलनाडु विधानसभा में मंगलवार को अडाणी मुद्दे पर तीखी बहस देखने को मिली. दरअसल, पट्टाली मक्कल कच्ची (PMK) के विधायक जीके मणि ने अडाणी समूह के खिलाफ अमेरिकी अदालत में दायर मामले में तमिलनाडु सरकार की कथित संलिप्तता के बारे में सवाल उठाए. प्रश्नकाल के दौरान मणि ने सवाल किया कि क्या राज्य सरकार का इस मामले से कोई संबंध है. उन्होंने आरोप लगाया कि अडाणी समूह ने तमिलनाडु में बड़ा निवेश किया है और सौर ऊर्जा अनुबंधों में गड़बड़ियां सामने आई हैं.
पीएमके विधायक के सवाल का जवाब देते हुए मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने सभी दावों का खंडन किया. उन्होंने कहा कि न तो उनका और न ही उनकी सरकार का अडाणी समूह के साथ कोई संबंध है. उन्होंने पीएमके और भाजपा को संसद में इन मुद्दों को उठाने की चुनौती दी, जहां विपक्षी दलों ने अडाणी समूह मामले की जांच के लिए संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की मांग कर रहे हैं.
सीएम स्टालिन ने जोर देकर कहा कि तमिलनाडु सरकार पारदर्शिता और सुशासन के लिए प्रतिबद्ध है. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के खिलाफ लगाए गए आरोपों में कोई सच्चाई नहीं है.
मुख्यमंत्री के जवाब से असंतुष्ट पीएमके के विधायकों ने विधानसभा से वाकआउट किया. वाकआउट के बाद पत्रकारों से बात करते हुए जीके मणि ने सीएम स्टालिन के जवाब पर निराशा व्यक्त की और मामले की गहन जांच की अपनी पार्टी की मांग दोहराई.
बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के लिए राहत
पीएमके ने उत्तरी तमिलनाडु में हाल ही में आई बाढ़ से प्रभावित लोगों के लिए राहत उपायों के बारे में भी चिंता जताई. पीएमके विधायक जीके मणि ने कहा कि सरकार ने दक्षिणी तमिलनाडु में बाढ़ से प्रभावित परिवारों को 5000 और 6000 रुपये प्रदान किए थे, जबकि उत्तरी क्षेत्रों में लोगों को केवल 2000 रुपये प्रति राशन कार्ड की पेशकश की गई.
पीएमके ने तमिलनाडु में अडाणी समूह के निवेश, विशेष रूप से सौर ऊर्जा परियोजनाओं में अनियमितताओं का आरोप लगाया. पीएमके का दावा है कि तमिलनाडु सरकार अडाणी समूह के खिलाफ यूएस कोर्ट में दायर मुकदमे से जुड़ी हुई है.
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