रायपुर: शहर में जहां पहले 200 से लेकर 300 फीट तक की बोरिंग में पानी निकल आता था. अब बोरिंग जब होती है तो 800 फीट से लेकर 900 फीट तक बोर होने पर ही वाटर लेवल मिलता है. पिछले एक दशक में शहर को भीषण पानी की दिक्कत से गुजरना पड़ रहा है. गर्मियों के मौसम में सबसे ज्यादा बुरे हालात होते हैं. शहर के कई इलाकों में बोर वाटर सूख जाता है. शहर की बड़ी आबादी पानी सूखने के बाद टैंकर वाटर पर निर्भर हो जाते हैं.
जमीन के नीचे पानी कम, खपत ज्यादा: गर्मी का मौसम दस्तर देने को है इसके पहले ही लोगों को पानी की चिंता सताने लगी है. रायपुर शहर के कई ऐसे इलाके हैं जहां वाटर लेवल तीजे से नीचे जा रहा है. बीते एक दशक में भू जलस्तर जो पहले तीन सौ फीट पर मिल जाता था अब 900 फीट पर पानी मिल रहा है. सबसे ज्यादा बुरे हालात गर्मी के दिनों में होता है जब कई इलाकों में बोर सूखने लग जाता है.
- सिलतरा में क्या है भू जलस्तर के हालात: सिलतरा में जहां साल 2010 के आस पास 500 फीट की गहराई में पानी मिल जाता था. अब वही पानी का लेवल जाकर 2015 में 800 फीट की गहराई पर पहुंच गया है. 2022 में 1200 से 1500 फीट की गहराई में पानी मुश्किल से मिल पा रहा है.
- शंकर नगर: शहर के शंकर नगर में साल 2010 में 300 फीट पर पानी मिल जाता था. वही पानी साल 2015 में लगभग 400 फीट नीचे चला गया. अब पानी के लिए जब बोर किया जाता है तो 450 से लेकर 800 फीट तक बोर किया जाता है ताकि पानी सूखे नहीं.
- सिविल लाइन: शहर के पॉश इलाके सिविल लाइन में साल 2010 में यहां 500 फीट नीचे पानी मिलता था. साल 2015 में 600 और साल 2022 में यह लगभग 700 से 800 फीट नीचे चला गया. गर्मी के दिनों में कई बोर इलाके में सूख जाते हैं.
शहर का देवपुरी इलाका: देवपुरी में 2010 में 300 फीट पर पानी मिल जाता था. 2015 में 500 और साल 2022 में 700 से 800 फीट नीचे पानी चला गया.- कचना इलाका: कचना की बात की जाए तो यहां साल 2010 में 400 फीट नीचे पानी था, जबकि 2015 में यह 500 फीट नीचे चला गया और साल 2022 की बात की जाए तो 700 फीट नीचे पानी अब मिल रहा है
- सड्डू क्षेत्र: सड़्डू में भी हालात ठीक नहीं हैं. साल 1010 में 400 फीट की गहराई पर पानी मिलता था. पांच सालों बाद यानि 2015 में पानी का लेवल 800 फीट नीचे चला गया.
- भनपुरी इलाका: भनपुरी की भी यही स्थिति है, वहां पर भी साल 2010 में 400, 2015 में 600 और साल 2022 में 800 से 1000 फीट नीचे पानी चला गया है.
- राजेंद्र नगर: राजेंद्र नगर में 2010 में लगभग 400 फीट नीचे पानी था, जो की 2015 तक 500 फुट पहुंच गया था और साल 2022 में 600 से 800 फीट नीचे जलस्तर पहुंच गया.
कुछ सालों में तेजी से भू जलस्तर नीचे गिरा है. वाटर लेवल गिरने का मुख्य कारण बढ़ती ट्यूबवेल की संख्या और अत्यधिक भूजल का दोहन है. पानी को बचाने और इसे संरक्षित करने के लिए रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को एडॉप्ट करना होगा. जल प्रबंधन को लेकर सभी लोगों को जागरुक होना होगा. सब मिलकर जब काम करेंगे तभी जल कल के लिए बचेगा. - डॉ. विपिन दुबे, एक्सपर्ट एंड हाईड्रोलाजिस्ट
पानी के बेहतर प्रबंधन से बनेगी बात: पानी का बेहिसाब खर्च और पानी का ठीक तरीके से प्रबंधन नहीं करना अब लोगों को भारी पड़ रहा है. रायपुर में बहुत कम ऐसे मकान और दुकान बनें हैं जिसमें बेहतर रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम हैं. रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम नहीं होने से बारिश का पानी बहकर बर्बाद हो जाता है. बारिश के पानी को सही तरीके से अगर जमा किया जाए तो वाटर लेवल भी बढ़ेगा और पानी की दिक्कत भी नहीं होगी. शहर में बढ़ते क्रंक्रीट के जंगल से भी पानी की भारी बर्बादी हो रही है.