नई दिल्ली: भारत सरकार ने आतंकवादी संगठन सिख फॉर जस्टिस (एसएफजे) पर प्रतिबंध पांच साल के लिए बढ़ा दिया है. 10 जुलाई, 2024 से अगले पांच साल तक फिर से एसएफजे गैरकानूनी संगठन रहेगा. गृह मंत्रालय ने मंगलवार को गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम, 1967 के तहत एसएफजे पर प्रतिबंध को बढ़ा दिया. मंत्रालय के मुताबिक, एसएफजे राष्ट्र-विरोधी और विध्वंसक गतिविधियों में संलिप्त है. इसका मकसद भारत की संप्रभुता और क्षेत्रीय अखंडता को बाधित करना है.
गृह मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के अनुसार, एसएफजे को भारत की आंतरिक सुरक्षा और सार्वजनिक व्यवस्था के लिए हानिकारक गतिविधियों में शामिल पाया गया है, जिसमें भारतीय क्षेत्र से संप्रभु खालिस्तान बनाने के लिए पंजाब और अन्य जगहों पर हिंसक उग्रवाद और अलगाव का समर्थन करना शामिल है. इसलिए गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 3 की उप-धाराओं (1) और (3) द्वारा प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए केंद्र सरकार सिख फॉर जस्टिस को गैरकानूनी संगठन घोषित करने की अवधि बढ़ाती है और निर्देश देती है कि यह अधिसूचना, उक्त अधिनियम की धारा 4 के तहत किए जाने वाले किसी भी आदेश के अधीन 10 जुलाई, 2024 से पांच साल की अवधि के लिए प्रभावी रहेगी.
अधिसूचना में आरोप लगाया गया है कि एसएफजे उग्रवादी संगठनों और कार्यकर्ताओं के साथ संपर्क में है, और कानून द्वारा स्थापित सरकार को अस्थिर करने के प्रयासों सहित अलगाववादी गतिविधियों को प्रोत्साहित और समर्थन कर रहा है. गृह मंत्रालय ने कहा कि अगर एसएफजे की गतिविधियों पर अंकुश नहीं लगाया गया, तो यह अपनी विध्वंसक गतिविधियों को बढ़ा सकता है. साथ ही यह राष्ट्र विरोधी भावनाओं का प्रचार कर सकता है और देश में हिंसा भड़का सकता है. अधिसूचना में कहा गया है कि एसएफजे पर प्रतिबंध तत्काल प्रभाव से लागू हो गया है और पांच साल तक लागू रहेगा, जब तक कि सरकार इसे वापस नहीं ले लेती या इसमें संशोधन नहीं करती है.
सरकार के इस कदम को देश में अलगाववादी और आतंकवादी गतिविधियों पर नकेल कसने के लिए महत्वपूर्ण माना जा रहा है. इससे पहले गृह मंत्रालय ने 2019 में एसएफजे पर प्रतिबंध लगाते हुए इस गौरकानूनी संगठन घोषित किया था.
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