नई दिल्ली : पूर्व कांग्रेस नेता गौरव वल्लभ गुरुवार को लोकसभा चुनाव 2024 से पहले भाजपा महासचिव विनोद तावड़े की उपस्थिति में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में शामिल हो गए. वल्लभ ने आज ही कांग्रेस पार्टी से अपना इस्तीफा भी दिया, कांग्रेस छोड़ने के कुछ ही घंटों बाद ही वे भाजपा में शामिल हो गए.
कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा देते हुए गौरव वल्लभ ने आरोप लगाया कि पार्टी दिशाहीन हो गई है. अयोध्या के राम मंदिर में हुई प्राण प्रतिष्ठा पर कांग्रेस के रुख पर उन्होंने नाराजगी जताई. गौरव वल्लभ ने कहा कि मैं न तो सनातन विरोधी नारे लगा सकता हूं और न ही सुबह-शाम देश के 'वेल्थ क्रिएटर्स' को गाली दे सकता हूं. इसलिए मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे रहा हूं.
उन्होंने अपने पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे को संबोधित पत्र में लिखा कि भावुक हूं. मन व्यथित है. काफी कुछ कहना चाहता हूं, लिखना चाहता हूं, बताना चाहता हूं. लेकिन, मेरे संस्कार ऐसा कुछ भी कहने से मना करते हैं जिससे दूसरों को कष्ट पहुंचे. फिर भी मैं आज अपनी बातों को आपके समक्ष रख रहा हूं, क्योंकि मुझे लगता है कि सच को छुपाना भी अपराध है, और मैं अपराध का भागी नहीं बनना चाहता.
महोदय, मैं वित्त का प्रोफेसर हूं. कांग्रेस पार्टी की सदस्यता हासिल करने के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय प्रवक्ता बनाया. कई मुद्दों पर पार्टी का पक्ष दमदार तरीके से देश की महान जनता के समक्ष रखा. लेकिन पिछले कुछ दिनों से पार्टी के स्टैंड से असहज महसूस कर रहा हूं.
जब मैंने कांग्रेस पार्टी ज्वाइन किया तब मेरा मानना था कि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है. जहां पर युवा, बौद्धिक लोगों की, उनके आइडिया की क़द्र होती है. लेकिन पिछले कुछ वर्षों में मुझे यह महसूस हुआ कि पार्टी का मौजूदा स्वरूप नये आइडिया वाले युवाओं के साथ ख़ुद को एडजस्ट नहीं कर पाती. पार्टी का ग्राउंड लेवल कनेक्ट पूरी तरह से टूट चुका है, जो नये भारत की आकांक्षा को बिल्कुल भी नहीं समझ पा रही है.
जिसके कारण न तो पार्टी सत्ता में आ पा रही और ना ही मज़बूत विपक्ष की भूमिका ही निभा पा रही हैं. इससे मेरे जैसा कार्यकर्ता हतोत्साहित होता है. बड़े नेताओं और ज़मीनी कार्यकर्ताओं के बीच की दूरी पाटना बेहद कठिन है जो कि राजनैतिक रूप से जरूरी है. जब तक एक कार्यकर्ता अपने नेता को डायरेक्ट सुझाव नहीं दे सकता तब तक किसी भी प्रकार का सकारात्मक परिवर्तन संभव नहीं है.
गौरव के मुताबिक, आर्थिक मामलों पर वर्तमान समय में कांग्रेस का रुख हमेशा देश के 'वेल्थ क्रिएटर्स' को नीचा दिखाने का, उन्हें गाली देने का रहा है. देश में होने वाले हर विनिवेश पर पार्टी का नजरिया हमेशा नकारात्मक रहा. क्या हमारे देश में बिजनेस करके पैसा कमाना गलत है.
उन्होंने पार्टी अध्यक्ष से कहा कि पार्टी आज जिस प्रकार से दिशाहीन होकर आगे बढ़ रही है, उसमें वह खुद को सहज महसूस नहीं कर पा रहे हैं. इसलिए, मैं कांग्रेस पार्टी के सभी पदों और प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे रहा हूं.
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