अबूझमाड़: 4 अक्टूबर दिन शुक्रवार, बस्तर का मौसम उमस भरा था. तेज गर्मी और उमस के बीच 1500 जवान घातक हथियारों से लैस होकर अबूझमाड़ के जंगल में पहुंचे. जवानों को खुफिया जानकारी मिली थी थुलथुली और नेंदूर के जंगल के बीच माओवादियों की एक पूरी की पूरी बटालियन जमा है. माओवादी किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में बैठक कर रहे हैं. नक्सलियों की इस बैठक में कई हार्डकोर माओवादियों के मौजूद होने की भी सूचना थी. जंगल और नक्सलियों के खतरों को भांपते हुए जवान धीरे धीरे ग्राउंड जीरो की ओर बढ़ने लगे. नक्सलियों और जवानों के बीच का फासला जब कम होने लगा तो जवानों ने दबे पांव आगे बढ़ने का फैसला किया.
नक्सलियों के खिलाफ अबतक का सबसे बड़ा ऑपरेशन: जिस जगह पर नक्सली बैठक कर रहे थे वो जगह नक्सलियों के सेफ जोन में था. नक्सलियों को इस बात की तनिक भी भनक नहीं थी कि यहां पर फोर्स भी पहुंच सकती है. नक्सली जहां पर छिपे थे वो जगह तीन पहाड़ियों के घेरे के बीच में था. जवानों ने नक्सलियों को घेरने के लिए चारों ओर से घेराबंदी शुरु की. करीब एक किलोमीटर का वो पूरा दायरा था. जंगल और पहाड़ के बीच नक्सलियों के लगाए आईईडी का भी खतरा जवानों को था लिहाजा वो बड़ी सतर्कता के साथ आगे बढ़े. जवान जब ग्राउंड जीरो के एकदम करीब पहुंचे तबतक नक्सलियों को उनके आने की भनक मिल चुकी थी. जवान भी पूरी तरह से हमले के लिए तैयार थे. दोनों ओर से जमकर गोलीबारी हुई. जवानों ने मोर्चा संभालते हुए नक्सलियों को भागने तक का मौका नहीं दिया.
नक्सलियों ने दागे बीजीएल लॉन्चर: नक्सलियों ने जब खुद को जवानों के बीच घिरता देखा तो वो घने जंगल की ओर भागने लगे. पर जिधर भी नक्कली भागने की कोशिश करते उधर से गोलियों की बौछार होने लगती. नक्सलियों को जब लगा कि फंस गए हैं तब उन्होने अपने घातक हथियारों का इस्तेमाल करना शुरु कर दिया. नक्सलियों की ओर से बीजीएल लॉन्चर दागे जाने लगे. एके 47 से गोलियां चलाई जाने लगी. फोर्स पहले से नक्सलियों के पलटवार को लेकर सतर्क थी. उसने अपनी तय रणनीति के तहत नक्सलियों को घेरना जारी रखा. नक्सलियों की ओर से फायर किए गये कई बीजीएल लॉन्चर नहीं फटे जिसका फायदा जवानों को मिला.
महिला कमांडो ने दिखाया दम: नक्सलियों से मुठभेड़ दंतेश्वरी फाइटर की महिला कमांडो भी लगातार फायरिंग कर नक्सलियों को पीछे हटने पर मजबूर कर रही थी. एनकाउंटर में डीआरजी, सीआरपीएफ और सीएफ के जवानों ने बेहतर तालमेल के साथ नक्सलियों को कई घंटों की मुठभेड़ में चारों ओर से घेरे रखा. अंधेरा होने के बाद भी दोनों ओर से रुक रुक कर फायरिंग होती रही. नक्सलियों के खात्मे के लिए जवान पूरी तैयारी के साथ गए थे. जवानों ने रात होते होते 31 नक्सलियों को मार गिराया. छत्तीसगढ़ में नक्सलियों के खिलाफ हुए एनकाउंटर में ये सबसे बड़ा नक्सल ऑपरेशन साबित हुआ. मौके पर सर्च ऑपरेशन चलाकर नक्सलियों की डेड बॉडी को बरामद किया. अबतक 22 मारे गए माओवादियों की पहचान पुलिस ने कर ली है.
1 करोड़ 67 लाख के इनामी नक्सली ढेर: मारे गए नक्सलियों में DKSZC कैडर की नीति उर्फ निर्मला और कमलेश भी शामिल हैं. दोनों नक्सलियों पर शासन ने 25 पच्चीस लाख का इनाम रखा था. नीति और कमलेश दोनों की गिनती खूंखार नक्सली नेताओं के तौर पर होती रही है. दोनों नक्सली नेता हमेशा अपने गार्ड के साथ रहते थे. अभी भी 9 नक्सलियों की पहचान होना बाकी है. मुठभेड़ में एक जवान जख्मी हुआ जिसे एयरलिफ्ट कर अस्पताल पहुंचाया गया. मुठभेड़ स्थल के पास से जवान को एयरलिफ्ट किया गया. इसके लिए जवानों ने आग जलाकर धुएं से संदेश भेजा जिसके बाद मौके पर चॉपर आया और जख्मी जवान को एयरलिफ्ट किया गया.
हथियारों का जखीरा बरामद: मुठभेड़ वाली जगह पर अभी भी खूनी संघर्ष के निशान बिखरे पड़े हैं. कहीं खाली कारतूस के खोखे हैं तो कहीं पेड़ों में धंसी जवानों की गोलियां. नक्सलियों के सामान और उनके पर्चे, दवाएं सब बिखरे पड़े हैं. फोर्स ने मौके से बीजीएल लॉन्चर, एके 47 और दर्जनों बंदूकें बरामद की. नक्सल ऑपरेशन के इतिहास में ये पहली बार हुआ जब 31 नक्सली एक साथ ढेर हुए. इसके पहले 29 नक्सली एक साथ मारे गए थे.
सीएम साय ने सफल एनकाउंटर पर दी बधाई: अबूझमाड़ ऑपरेशन की सफलता पर सीएम विष्णु देव साय ने कहा कि हम तेजी से नक्सलवाद के खात्मे की ओर बढ़ रहे हैं. प्रदेश के गृहमंत्री विजय शर्मा ने भी नक्सलियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा कि वो हथियार छोड़ समाज की मुख्यधारा में शामिल हो जाएं. हम उनसे बातचीत के लिए तैयार हैं. खुद गृहमंत्री ने अपने दंतेवाड़ा दौरे पर एनकाउंटर में शामिल जवानों से मुलाकात कर उनको बधाई दी उपहार भी भेंट किए.
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बढ़ाया हौसला: सोमवार को दिल्ली में नक्सल प्रभावित राज्यों की बड़ी बैठक हुई. बैठक में सीएम विष्णु देव साय भी शामिल हुए. केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने सीएम विष्णु देव साय की तारीफ की और एनकाउंटर में शामिल जवानों को बधाई दी. ये पहला मौका है जब बिना किसी नुकसान एक इतना बड़ा ऑपरेशन सफलतापूर्वक अपने अंजाम पर पहुंचा है. गृहमंत्री अमित शाह ने फिर से दोहराया है कि हमें तय समय सीमा के भीतर माओवाद का खत्मा देश के भीतर से कर देना है.
ग्राउंड जीरो पर ईटीवी भारत की टीम: ग्राउंड जीरो तक पहुंचने के लिए ईटीवी भारत की टीम को घने जंगल से बीच से 16 किमी का खतरनाक उबड़ खाबड़ रास्ता बाइक के जरिए तय करना पड़ा. गांव वालों की मदद से पांच किमी का रास्ता पहाड़ पर चढ़कर पूरा करना पड़ा. मुश्किल रास्तों से होकर ईटीवी भारत की टीम उस जगह पर पहुंची जहां पर जवानों ने अपनी बहादुरी की दास्तान 31 नक्सलियों को मारकर लिखी.