नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने के वादे को चुनौती देने वाली एक नई याचिका पर केंद्र और चुनाव आयोग से जवाब मांगा है. यह मामला सोमवार को मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ के समक्ष आया.
सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरु निवासी शशांक जे श्रीधर द्वारा दायर याचिका पर भारत सरकार और चुनाव आयोग को नोटिस जारी किया. याचिका में कहा गया है कि मुफ्त उपहारों का अनियमित वादा सरकारी खजाने पर भारी और बेहिसाब वित्तीय बोझ डालता है. याचिका में कहा गया है कि चुनाव पूर्व किए गए उन वादों को पूरा करने के लिए कोई तंत्र मौजूद नहीं है जिन पर वोट हासिल किए गए.
वकील बालाजी श्रीनिवासन के माध्यम से दायर याचिका में चुनाव आयोग को यह निर्देश देने की भी मांग की गई है कि वह चुनाव पूर्व अवधि के दौरान राजनीतिक दलों को मुफ्त उपहार देने का वादा करने से रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाए. सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को इसी तरह के मुद्दों पर दायर अन्य याचिकाओं के साथ संलग्न कर दिया है.
इससे पहले शीर्ष अदालत ने चुनावों के दौरान राजनीतिक दलों द्वारा मुफ्त उपहार देने के वादे के खिलाफ याचिकाओं के एक समूह को सूचीबद्ध करने पर सहमति व्यक्त की थी. वकील और जनहित याचिका याचिकाकर्ता अश्विनी उपाध्याय का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय हंसारिया ने मामले की तत्काल सुनवाई की मांग की थी.
उपाध्याय द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि मतदाताओं से अनुचित राजनीतिक लाभ हासिल करने के लिए लोकलुभावन उपायों पर पूर्ण प्रतिबंध होना चाहिए, क्योंकि ये संविधान का उल्लंघन करते हैं और चुनाव आयोग को उचित निवारक उपाय करने चाहिए.