नई दिल्ली: भारतीय रेलवे को देश की लाइफलाइन कहा जाता है. यहां हर रोज लाखों लोग ट्रेन से सफर करते हैं. ट्रेन में यात्रा करने वाले लोगों की संख्या में हर साल इजाफा हो रहा है. इसके चलते टिकट को लेकर काफी मारामारी होती है. खासकर कर फेस्टिव सीजन के दौरान.
ऐसे में कई बार लोग बिना टिकट के ट्रेन में चढ़ जाते हैं. लेकिन अगर कोई शख्स बिना टिकट लिए ट्रेन में चढ़ता है तो यह उसके लिए नुकसानदेह हो सकता है. दरअसल, बिना टिकट के यात्रा करते हुए पकड़े जाने पर जुर्माना या जेल भी हो सकती है. लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में एक ऐसी ट्रेन भी है जहां यात्री पूरी तरह से मुफ्त में सफर करते हैं.
इस ट्रेन में न तो टिकट की जरूरत है, न ही TTE का डर. इस ट्रेन में आप सालभर फ्री में सफर कर सकते हैं. ये भारत की इकलौती फ्री ट्रेन है, जिसमें बिना किसी खर्च के आप सफर कर सकते हैं. इस ट्रेन का नाम है 'भागड़ा-नंगल'. यह ट्रेन पंजाब और हिमाचल प्रदेश के बीच चलती है. इस ट्रेन से रोजाना 800 से 1000 के बीच यात्री सफर करते हैं.
लकड़ी के कोच
बता दें कि इस ट्रेन के कोच लकड़ी से बने हैं और इसमें डीजल का इंजन लगा है. भाखड़ा-नंगल में केवल तीन कोच हैं. इनमें से एक कोच पर्यटकों के लिए और दूसरा महिलाओं के लिए है. इस ट्रेन को चलाने में रोजाना लगभग 50 लीटर डीजल की खपत होती है. शिवालिक पहाड़ियों के बीच 13 किलोमीटर की यह खूबसूरत यात्रा यात्रियों को एक शानदार अनुभव प्रदान करती है.
स्ट्रेट ग्रेविटी डैम
भाखड़ा-नांगल डैम, जिसे सबसे स्ट्रेट ग्रेविटी डैम के रूप में जाना जाता है, दूर-दूर से पर्यटकों को आकर्षित करता है. यह मार्ग सावधानी से पहाड़ों के बीच से बनाया गया है और सड़कों के बजाय सतलुज नदी को पार करता है. यह खूबसूरत यात्रा शिवालिक पहाड़ियों के बीच 13 किलोमीटर की दूरी तय करती है.
ऐतिहासिक रेल यात्रा
भाखड़ा-नांगल बांध ट्रेन सेवा 1948 में मुख्य रूप से कर्मचारियों, मजदूरों और मशीनरी को बांध से लाने-ले जाने के लिए परिवहन की सुविधा के लिए शुरू की गई थी. समय के साथ, यह भाखड़ा-नांगल बांध की यात्रा करने के इच्छुक पर्यटकों के लिए भी सुलभ हो गई.
यात्री बिना टिकट या किराए की आवश्यकता के इस यात्रा का आनंद ले सकते हैं. वित्तीय घाटे के कारण 2011 में शुरू में इसे बंद करने पर विचार किया गया था, बाद में इस निर्णय को संशोधित किया गया ताकि ट्रेन का संचालन जारी रखा जा सके और इसकी विरासत और परंपरा को संरक्षित किया जा सके.
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