नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को कहा कि NRI कोटे की परिभाषा को व्यापक बनाना एक धोखाधड़ी है. यह पैसे कमाने की मशीन होगी और इसे अब समाप्त होना चाहिए. इसके साथ ही कोर्ट ने पंजाब सरकार की अपील पर विचार करने से इनकार कर दिया.
याचिका में पंजाब सरकार ने हाई कोर्ट के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें मेडिकल अंडर ग्रेजुएट और डेंटिस्ट कोर्स में एडमिशन के लिए एनआरआई कोटा की परिभाषा का विस्तार करने के राज्य सरकार के फैसले को रद्द कर दिया था.
भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली और जस्टिस जे बी पारदीवाला और मनोज मिश्रा की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा, "यह धोखाधड़ी अब समाप्त होनी चाहिए."
'कोटा पैसे कमाने की मशीन'
पीठ ने कहा कि एनआरआई कोटा पैसे कमाने की मशीन के अलावा कुछ नहीं है और इससे विदेशों में बसे दूर के रिश्तेदारों- मामा, ताई, ताया- को मेधावी उम्मीदवारों से पहले प्रवेश मिल जाएगा. अदालत ने स्पष्ट किया कि वह इसकी अनुमति नहीं देगी.
पंजाब और हरियाणा हाई कोर्ट ने 10 सितंबर को आम आदमी पार्टी के नेतृत्व वाली राज्य सरकार के 20 अगस्त के कदम को खारिज कर दिया था, जिसमें मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश के लिए 15 फीसदी कोटा के तहत एनआरआई के दूर के रिश्तेदारों को शामिल किया गया था.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह याचिका को खारिज कर देगा, क्योंकि एनआरआई व्यवसाय (कोटे के संबंध में) धोखाधड़ी के अलावा और कुछ नहीं है. पीठ ने कहा, "हानिकारक परिणामों को देखें... जिन उम्मीदवारों के अधिक अंक हैं, इससे उनका एडमिशन नहीं हो पाएगा.
'उच्च न्यायालय का फैसला बिल्कुल सही'
इस पर पंजाब सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील ने तर्क दिया कि हिमाचल प्रदेश और उत्तर प्रदेश एनआरआई कोटा प्रवेश के लिए एक व्यापक परिभाषा का पालन कर रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि उच्च न्यायालय का फैसला बिल्कुल सही है और राज्य के वकील से कहा, "आप कह रहे हैं कि एनआरआई के निकटतम संबंधी पर भी विचार किया जाए. यह क्या है?"
इस बात पर जोर देते हुए कि एनआरआई कोटा की परिभाषा का विस्तार करना एक धोखा है, पीठ ने शिक्षा प्रणाली पर अपनी चिंता व्यक्त की. सीजेआई ने कहा, "हम अपनी शिक्षा प्रणाली के साथ यही कर रहे हैं."