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तरंग शक्ति अभ्यास 2024 में भाग लेगा फ्रांस, तीन राफेल, मल्टीरोल टैंकर ट्रांसपोर्ट होंगे शामिल - TARANG SHAKTI 2024 - TARANG SHAKTI 2024

Tarang Shakti 2024: भारत इस साल दो चरणों में तरंग शक्ति का आयोजन कर रहा है. पहला चरण अगस्त में शुरू हो रहा है. वहीं, दूसरा चरण जोधपुर में 1 सितंबर से शुरू होगा, जो 14 तारीख तक चलेगा.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 5, 2024, 1:39 PM IST

नई दिल्ली: भारत मंगलवार 6 अगस्त से तमिलनाडु के सुलार में पहला बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास 'तरंग शक्ति 2024' आयोजित करने जा रहा है. इस अभ्यास में करीब 30 देश शामिल होंगे. जानकारी के मुताबिक इन 30 देशों में से 10 देश अपने लड़ाकू विमान लेकर आएंगे. बता दें, इस अभ्यास का उद्देश्य भारत की रक्षा क्षमताओं और भाग लेने वाले देशों की सेनाओं के बीच संबंधों को मजबूत और बढ़ाना है.

ताजा जानकारी के मुताबिक 'तरंग शक्ति 2024' में फ्रांस की वायु और अंतरिक्ष सेना का एक दल भी भाग लेगा. इस बात की जानकारी फ्रांसीसी दूतावास ने सोमवार को दी.

अभी तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इस फ्रांसीसी दल में तीन राफेल लड़ाकू विमान, एक मल्टीरोल टैंकर ट्रांसपोर्ट (MRTT) विमान और एक ए400एम शामिल होंगे, जिसमें कुल 160 वायुसेना सैनिक होंगे. इस अभ्यास के पहले चरण में तीन अन्य देश भी भाग ले रहे हैं, जिनमें यूरोपीय संघ के सदस्य देश जर्मनी और स्पेन शामिल हैं, जो अलास्का से भारत तक प्रशांत आकाश तैनाती के भागीदार रहे हैं.

दूतावास ने जानकारी दी कि फ्रांसीसी दल की भागीदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके 2 महीने लंबे मिशन का हिस्सा है, जिसे 'पेगास 24' नाम दिया गया है, जो जून के अंत में फ्रांस से शुरू हुआ था और 15 अगस्त को समाप्त होगा. दूतावास ने आगे कहा कि मिशन का लक्ष्य इंडो-पैसिफिक के राष्ट्र के रूप में अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की फ्रांस की क्षमता को प्रदर्शित करना, कानून के शासन और बहुपक्षवाद को बढ़ावा देना और भारत जैसे प्रमुख भागीदारों के साथ अंतर-संचालन को बढ़ाना है. अपने मिशन के अंत तक, पेगास-24 13 भागीदार देशों में जाएगा और इस दौरान तरंग शक्ति सहित तीन प्रमुख अभ्यासों में भाग लेगा.

इस अवसर पर भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ ने कहा कि भारत के विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में, फ्रांस को भारत के पहले बहुपक्षीय हवाई अभ्यास में भाग लेने और इसे सफल बनाने में योगदान देने पर गर्व है. उन्होंने कहा कि हमारा दल भारत में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तारित तैनाती के हिस्से के रूप में शामिल हुआ है, जो इस क्षेत्र की स्थायी शक्ति के रूप में फ्रांस की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ ने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों जर्मनी और स्पेन के साथ तरंग शक्ति के यूरोपीय आयाम पर कहा कि फ्रांस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के सक्रिय हितधारक के रूप में यूरोप की भूमिका का प्रबल समर्थक है.

उन्होंने आगे कहा कि तरंग शक्ति और फ्रांस के 'पेगास-24' की तैनाती के समापन के अवसर पर, फ्रांस के वायुसेना प्रमुख जनरल स्टीफन मिल 12-14 अगस्त को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. वे एएफएस सुलूर में अभ्यास के समापन समारोह में शामिल होंगे. वे दिल्ली में अपने समकक्ष और प्रमुख अधिकारियों से मिलेंगे और नेशनल डिफेंस कॉलेज में भाषण देंगे.

फ्रांस और भारत के बीच सैन्य सहयोग 2024 की शुरुआत से गति पकड़े हुए है. बता दें, सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने अप्रैल में फ्रांस की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा की, जबकि फ्रांस के सेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख भारत आए. फ्रांसीसी और भारतीय नौसेनाएं भी इस साल के अंत में होने वाले द्विपक्षीय वरुण अभ्यास के लिए तैयार हो रही हैं.

ये देश होंगे शामिल
तरंग शक्ति 2024 में जो देश शामिल होंगे उनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान और यूनाइटेड किंगडम प्रमुख हैं.

नई दिल्ली: भारत मंगलवार 6 अगस्त से तमिलनाडु के सुलार में पहला बहुराष्ट्रीय हवाई अभ्यास 'तरंग शक्ति 2024' आयोजित करने जा रहा है. इस अभ्यास में करीब 30 देश शामिल होंगे. जानकारी के मुताबिक इन 30 देशों में से 10 देश अपने लड़ाकू विमान लेकर आएंगे. बता दें, इस अभ्यास का उद्देश्य भारत की रक्षा क्षमताओं और भाग लेने वाले देशों की सेनाओं के बीच संबंधों को मजबूत और बढ़ाना है.

ताजा जानकारी के मुताबिक 'तरंग शक्ति 2024' में फ्रांस की वायु और अंतरिक्ष सेना का एक दल भी भाग लेगा. इस बात की जानकारी फ्रांसीसी दूतावास ने सोमवार को दी.

अभी तक जो जानकारी मिली है उसके मुताबिक इस फ्रांसीसी दल में तीन राफेल लड़ाकू विमान, एक मल्टीरोल टैंकर ट्रांसपोर्ट (MRTT) विमान और एक ए400एम शामिल होंगे, जिसमें कुल 160 वायुसेना सैनिक होंगे. इस अभ्यास के पहले चरण में तीन अन्य देश भी भाग ले रहे हैं, जिनमें यूरोपीय संघ के सदस्य देश जर्मनी और स्पेन शामिल हैं, जो अलास्का से भारत तक प्रशांत आकाश तैनाती के भागीदार रहे हैं.

दूतावास ने जानकारी दी कि फ्रांसीसी दल की भागीदारी हिंद-प्रशांत क्षेत्र में उसके 2 महीने लंबे मिशन का हिस्सा है, जिसे 'पेगास 24' नाम दिया गया है, जो जून के अंत में फ्रांस से शुरू हुआ था और 15 अगस्त को समाप्त होगा. दूतावास ने आगे कहा कि मिशन का लक्ष्य इंडो-पैसिफिक के राष्ट्र के रूप में अपनी संप्रभुता की रक्षा करने की फ्रांस की क्षमता को प्रदर्शित करना, कानून के शासन और बहुपक्षवाद को बढ़ावा देना और भारत जैसे प्रमुख भागीदारों के साथ अंतर-संचालन को बढ़ाना है. अपने मिशन के अंत तक, पेगास-24 13 भागीदार देशों में जाएगा और इस दौरान तरंग शक्ति सहित तीन प्रमुख अभ्यासों में भाग लेगा.

इस अवसर पर भारत में फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ ने कहा कि भारत के विश्वसनीय रणनीतिक साझेदार के रूप में, फ्रांस को भारत के पहले बहुपक्षीय हवाई अभ्यास में भाग लेने और इसे सफल बनाने में योगदान देने पर गर्व है. उन्होंने कहा कि हमारा दल भारत में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में विस्तारित तैनाती के हिस्से के रूप में शामिल हुआ है, जो इस क्षेत्र की स्थायी शक्ति के रूप में फ्रांस की प्रतिबद्धता को दर्शाता है. फ्रांस के राजदूत थिएरी मथौ ने यूरोपीय संघ के सदस्य देशों जर्मनी और स्पेन के साथ तरंग शक्ति के यूरोपीय आयाम पर कहा कि फ्रांस हिंद-प्रशांत क्षेत्र में सुरक्षा और स्थिरता के सक्रिय हितधारक के रूप में यूरोप की भूमिका का प्रबल समर्थक है.

उन्होंने आगे कहा कि तरंग शक्ति और फ्रांस के 'पेगास-24' की तैनाती के समापन के अवसर पर, फ्रांस के वायुसेना प्रमुख जनरल स्टीफन मिल 12-14 अगस्त को भारत की आधिकारिक यात्रा पर आएंगे. वे एएफएस सुलूर में अभ्यास के समापन समारोह में शामिल होंगे. वे दिल्ली में अपने समकक्ष और प्रमुख अधिकारियों से मिलेंगे और नेशनल डिफेंस कॉलेज में भाषण देंगे.

फ्रांस और भारत के बीच सैन्य सहयोग 2024 की शुरुआत से गति पकड़े हुए है. बता दें, सीडीएस जनरल अनिल चौहान ने अप्रैल में फ्रांस की अपनी पहली आधिकारिक यात्रा की, जबकि फ्रांस के सेना प्रमुख और नौसेना प्रमुख भारत आए. फ्रांसीसी और भारतीय नौसेनाएं भी इस साल के अंत में होने वाले द्विपक्षीय वरुण अभ्यास के लिए तैयार हो रही हैं.

ये देश होंगे शामिल
तरंग शक्ति 2024 में जो देश शामिल होंगे उनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, फ्रांस, जर्मनी, जापान और यूनाइटेड किंगडम प्रमुख हैं.

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