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कतर में फांसी की सजा पाए संजीव गुप्ता घर लौटे, काल कोठरी में गुजारे 17 महीने, बोले- अब कमाने नहीं जाऊंगा विदेश

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 20, 2024, 4:43 PM IST

पूर्व नौसेना के अधिकारी संजीव गुप्ता (Former Navy Officer Sanjeev Gupta) को किस मामले में सजा मिली थी, कैसे वह कतर पहुंचे थे, आईए जानते हैं इन सभी सवालों के जवाब.

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आगरा: कतर में फांसी की सजा पाए भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता मंगलवार को आगरा अपने घर लौट आए. उनको कतर सरकार ने रिहा कर दिया. दयालबाग के घर पहुंचने पर उनका काॅलोनी के लोगों ने जोशीला स्वागत किया. जिससे संजीव गुप्ता और उनके परिजन की आंखें भर आईं.

हर कोई यह कह रहा था कि जब से सजा सुनाई गई थी तब से रिहाई की प्रार्थना कर रहे थे. सेवानिवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता ने सभी को कैद में बिताए दिनों की बातें बताईं. कहा कि, 17 माह तन्हाई की कैद में काटे, जो कभी भूल नहीं सकता. जब परिवार ने पीएम मोदी और भारत पर भरोसा जताया तो मेरी और अन्य साथियों की रिहाई हुई है.

सेवानिवृत्त कमांडर संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि कतर में जब हमें गिरफ्तार किया गया था तो सभी को अलग-अलग कमरे में कैद करके रखा गया. हमें यही पता नहीं था कि किस आरोप में पकड़ा गया है, क्यों पकड़ा है. जब सजा सुनाई गई, तब भी हमें एक दूसरे के बारे में भी पता नहीं था कि 17 माह अकेले कमरे में रखा. जब रिहाई हुई तो एयरपोर्ट जाने से पहले कतर के इंडिया हाउस में हम सबकी मुलाकात हुई थी.

पीएम मोदी का भरोसा था: संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि मुझे और मेरे परिवार को पीएम मोदी पर पूरा भरोसा था. यदि वे प्रयास करेंगे तो हम सुरक्षित घर जा सकेंगे. पूरा भरोसा था कि पीएम मोदी हमें सुरक्षित निकाल ले जाएंगे. हमारी रिहाई में सरकार और कतर के बीच संबंध काम आए हैं. इसमें सबसे बढ़िया काम कतर में भारतीय राजदूत विपुल ने किया. वे जमीनी स्तर पर काम करते रहे. वे हर माह हमसे मुलाकात करने आते और कहते थे कि परेशान ना हों, हिम्मत रखें. हम प्रयास कर रहे हैं. सभी को रिहा कराएंगे. कतर सरकार से हमारी वार्ता चल रही है.

क्यों गए थे कतर, कैसे हुई सजा: संजीव गुप्ता बताते हैं कि नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद 2 जनवरी 2018 को कतर गए. वहां अल दहरा कंपनी का कतर की सेना से अनुबंध हुआ था. मैं उस कंपनी में डायरेक्टर था. कंपनी के जरिए हम कतर के नेवल आफिसरों को प्रशिक्षण दे रहे थे. पता नहीं किसने कतर की सेना को भ्रमित कर गलत जानकारी दे दी. जिसके चलते ही आठ लोगों को जासूसी के आरोप में पकड़ लिया. पहले 30 दिन तक पूछताछ की. फिर सजा सुनाई.

बेटी की पढ़ाई को पत्नी ने छोड दी थी नौकरी: सेवानिवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता ने बताया कि, वैसे तो कतर बहुत अच्छा शहर है. कतर में करीब 8 से नौ लाख भारतीय नौकरी कर रहे हैं. मैं भी कतर में पत्नी रेखा गुप्ता और छोटी बेटी के साथ रह रहा था. जून 2022 में बेटी की पढ़ाई के कारण पत्नी रेखा ने नौकरी छोड़ कर भारत आ गई. अगस्त 2022 में कतर सेना ने पकड़ा था. साथियों में एक के माता पिता भी कतर में ही उनके साथ रहते थे. उन्हें वापस भारत आने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.

परिवार में अब आई खुशी: संजीव गुप्ता की वतन वापसी से परिवार में खुशी का माहौल है. उनके पिता राजपाल गुप्ता ने बताया कि जब बेटे को फांसी की सजा की जानकारी मिली तो पूरा परिवार परेशान था. हर कोई हैरान था. समझ नहीं आ रहा था, क्या करें. पीएम मोदी और विदेश मंत्री डाॅ. जयशंकर ने संपर्क किया तो पीएम मोदी और विदेश मंत्री लगातर परिवार को हिम्मत देते रहे. फिर, भी हर वक्त चिंता सताती रहती थी कि बेटा कैसे लौटेगा. जब फोन की घंटी बजती थी तो धड़कन तेज हो जाती थीं. पीएम मोदी की वजह से बेटे की वतन वापसी हुई है. क्योंकि, इस मामले को राजनीतिक रुख नहीं दिया गया. केंद्र सरकार को भी अपना काम आसानी से करने का समय मिला.

अब समाजसेवा करूंगा: सेवानिवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता ने बताया कि अब देश में ही रहूगा. दूसरे देश में जाने का विचार नहीं है. अब तो देश में रहकर समाज सेवा करनी है. मैं युवाओं को देश के निर्माण में सहभागी बनाने के लिए काम करूंगा. क्योंकि, पीएम मोदी ने जो मौका दिया, मैं अब उनके सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा.

ये भी पढ़ेंः कतर में पूर्व नौसैनिकों की रिहाई पर काशी में जश्न, पीएम मोदी को दिया धन्यवाद

आगरा: कतर में फांसी की सजा पाए भारतीय नौसेना के सेवानिवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता मंगलवार को आगरा अपने घर लौट आए. उनको कतर सरकार ने रिहा कर दिया. दयालबाग के घर पहुंचने पर उनका काॅलोनी के लोगों ने जोशीला स्वागत किया. जिससे संजीव गुप्ता और उनके परिजन की आंखें भर आईं.

हर कोई यह कह रहा था कि जब से सजा सुनाई गई थी तब से रिहाई की प्रार्थना कर रहे थे. सेवानिवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता ने सभी को कैद में बिताए दिनों की बातें बताईं. कहा कि, 17 माह तन्हाई की कैद में काटे, जो कभी भूल नहीं सकता. जब परिवार ने पीएम मोदी और भारत पर भरोसा जताया तो मेरी और अन्य साथियों की रिहाई हुई है.

सेवानिवृत्त कमांडर संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि कतर में जब हमें गिरफ्तार किया गया था तो सभी को अलग-अलग कमरे में कैद करके रखा गया. हमें यही पता नहीं था कि किस आरोप में पकड़ा गया है, क्यों पकड़ा है. जब सजा सुनाई गई, तब भी हमें एक दूसरे के बारे में भी पता नहीं था कि 17 माह अकेले कमरे में रखा. जब रिहाई हुई तो एयरपोर्ट जाने से पहले कतर के इंडिया हाउस में हम सबकी मुलाकात हुई थी.

पीएम मोदी का भरोसा था: संजीव कुमार गुप्ता ने बताया कि मुझे और मेरे परिवार को पीएम मोदी पर पूरा भरोसा था. यदि वे प्रयास करेंगे तो हम सुरक्षित घर जा सकेंगे. पूरा भरोसा था कि पीएम मोदी हमें सुरक्षित निकाल ले जाएंगे. हमारी रिहाई में सरकार और कतर के बीच संबंध काम आए हैं. इसमें सबसे बढ़िया काम कतर में भारतीय राजदूत विपुल ने किया. वे जमीनी स्तर पर काम करते रहे. वे हर माह हमसे मुलाकात करने आते और कहते थे कि परेशान ना हों, हिम्मत रखें. हम प्रयास कर रहे हैं. सभी को रिहा कराएंगे. कतर सरकार से हमारी वार्ता चल रही है.

क्यों गए थे कतर, कैसे हुई सजा: संजीव गुप्ता बताते हैं कि नौसेना से सेवानिवृत्त होने के बाद 2 जनवरी 2018 को कतर गए. वहां अल दहरा कंपनी का कतर की सेना से अनुबंध हुआ था. मैं उस कंपनी में डायरेक्टर था. कंपनी के जरिए हम कतर के नेवल आफिसरों को प्रशिक्षण दे रहे थे. पता नहीं किसने कतर की सेना को भ्रमित कर गलत जानकारी दे दी. जिसके चलते ही आठ लोगों को जासूसी के आरोप में पकड़ लिया. पहले 30 दिन तक पूछताछ की. फिर सजा सुनाई.

बेटी की पढ़ाई को पत्नी ने छोड दी थी नौकरी: सेवानिवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता ने बताया कि, वैसे तो कतर बहुत अच्छा शहर है. कतर में करीब 8 से नौ लाख भारतीय नौकरी कर रहे हैं. मैं भी कतर में पत्नी रेखा गुप्ता और छोटी बेटी के साथ रह रहा था. जून 2022 में बेटी की पढ़ाई के कारण पत्नी रेखा ने नौकरी छोड़ कर भारत आ गई. अगस्त 2022 में कतर सेना ने पकड़ा था. साथियों में एक के माता पिता भी कतर में ही उनके साथ रहते थे. उन्हें वापस भारत आने में काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था.

परिवार में अब आई खुशी: संजीव गुप्ता की वतन वापसी से परिवार में खुशी का माहौल है. उनके पिता राजपाल गुप्ता ने बताया कि जब बेटे को फांसी की सजा की जानकारी मिली तो पूरा परिवार परेशान था. हर कोई हैरान था. समझ नहीं आ रहा था, क्या करें. पीएम मोदी और विदेश मंत्री डाॅ. जयशंकर ने संपर्क किया तो पीएम मोदी और विदेश मंत्री लगातर परिवार को हिम्मत देते रहे. फिर, भी हर वक्त चिंता सताती रहती थी कि बेटा कैसे लौटेगा. जब फोन की घंटी बजती थी तो धड़कन तेज हो जाती थीं. पीएम मोदी की वजह से बेटे की वतन वापसी हुई है. क्योंकि, इस मामले को राजनीतिक रुख नहीं दिया गया. केंद्र सरकार को भी अपना काम आसानी से करने का समय मिला.

अब समाजसेवा करूंगा: सेवानिवृत्त कमांडर संजीव गुप्ता ने बताया कि अब देश में ही रहूगा. दूसरे देश में जाने का विचार नहीं है. अब तो देश में रहकर समाज सेवा करनी है. मैं युवाओं को देश के निर्माण में सहभागी बनाने के लिए काम करूंगा. क्योंकि, पीएम मोदी ने जो मौका दिया, मैं अब उनके सपनों को पूरा करने के लिए हर संभव प्रयास करूंगा.

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