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नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत बोले- हमें वो करना चाहिए, जो देश के हित में है, वो नहीं जो अमेरिका बताता है

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By ETV Bharat Rajasthan Team

Published : Feb 2, 2024, 5:13 PM IST

JLF 2024
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JLF 2024, जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन शुक्रवार को आयोजित एक सेशन में नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि हमें वो करना चाहिए, जो देश के हित में है. न कि वो करना चाहिए, जो करने के लिए हमें अमेरिका जैसे विकसित देश कहते हैं.

नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत

जयपुर. साहित्य के महाकुंभ जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के दूसरे दिन शुक्रवार को एक सेशन में नीति आयोग के पूर्व सीईओ अमिताभ कांत ने कहा कि हमें वो करना चाहिए, जो देश के हित में है. न कि वो करना चाहिए, जो करने के लिए हमें अमेरिका जैसे विकसित देश कहते हैं. सेशन में बातचीत के दौरान आगे उन्होंने कहा कि भारत को ग्लोबल वेल्यू चैन का एक अहम हिस्सा होना जरूरी है. हम मोबाइल बनाते हैं, जिसके सैंकड़ों उपकरण आते हैं. इस पर बहुत कम ड्यूटी होती है. आप उनमें यहां वेल्यू एड करते हैं और कम से कम कीमत पर उत्पादन कर उन्हें निर्यात करने का प्रयास करते हैं. ड्यूटी स्ट्रक्चर पर बहुत काम हो रहा है, जो काफी क्रिटिकल भी है. हमें ग्लोबली बेस्ट मैन्युफैक्चरर बनने की दिशा में काम करना होगा.

संरक्षणवाद से ही अमेरिका बना चैंपियन : अमिताभ कांत ने आगे कहा कि ये सभी देश, जैसे अमेरिका संरक्षणवाद के साथ आगे बढ़ा है, जो अब चिप सेट का चैंपियन बन गया है. वहां मैन्युफैक्चरिंग कंपनियों को सब्सिडी मुहैया करवाने पर जोर दिया जा रहा है. हर यूरोपीय देश संरक्षणवाद से आगे बढ़ा है.

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मेकिंग इन इंडिया से बन सकते हैं चैंपियन : उन्होंने कहा कि यूएस का एम्बेसडर यूएस की भाषा बोलता है. हमें भी हमारी भाषा बोलनी चाहिए. हम भारत को मेकिंग इन इंडिया से ग्लोबल चैंपियन बना सकते हैं. मैं समझता हूं कि अमेरिका का रवैया संरक्षणवाद का रहा है. इसी तरह का उनका रवैया क्लाइमेट चेंज को लेकर भी रहा है.

क्लाइमेट चेंज को लेकर कही ये बड़ी बात : अमिताभ कांत ने कहा कि वे दुनिया के 90 फीसदी कार्बन स्पेस का उपयोग करते हैं, जबकि भारत बहुत कम कार्बन स्पेस का उपयोग करता है. इसके बावजूद वे हमें बता रहे हैं कि क्या करना चाहिए, जबकि वे हमें न तो वित्तीय संसाधन मुहैया करवा रहे हैं और न ही तकनीकी संसाधन. हमें वो करना चाहिए, जो भारत के हित में है. न कि वो करना चाहिए, जो अमेरिका के प्रतिनिधि हमें बता रहे हैं.

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निर्यात के दम पर ही तरक्की संभव : उन्होंने भारत में मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात की संभावना को बढ़ाने पर जोर देते हुए कहा कि हमें मैन्युफैक्चरिंग और निर्यात पर अपना ध्यान केंद्रित करना होगा. अगर हम उत्पादन में एफिशिएंट नहीं होंगे और ग्लोबल मार्केट कैप्चर करने में सक्षम नहीं होंगे तो बिना निर्यात के भारत तरक्की नहीं हो सकती है.

बड़ी जनसंख्या भी हमारे लिए चुनौती : उन्होंने कहा कि हमारी बड़ी जनसंख्या भी हमारे लिए बड़ी चुनौती है. सबसे पहली चुनौती हमारे लिए हर ब्लॉक और गांव में स्कूल मुहैया करवाने की रही है. हमने स्कूल मुहैया करवाए. अब हम लर्निंग आउटकम पर फोकस कर रहे हैं. नेशनल अचीवमेंट सर्वे बताते हैं कि वहां हम कमजोर हैं. इसलिए हमने अपना ध्यान उस दिशा में केंद्रित किया है. आप देखेंगे कि आने वाले कुछ सालों में हमारा लर्निंग आउटकम बेहतर होगा.

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