नई दिल्ली: बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना अपने मुल्क में तख्तापलट के बाद भारत की शरण में आ गई है. उन्होंने प्रधानमंत्री के पद से इस्तीफा दे दिया और बांग्लादेश को छोड़ दिया है. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना मुश्किल की घड़ी में भारत में आईं हैं और अभी मौजूदा वक्त में भारत में रह रही हैं. बांग्लादेश में हालात बद से बदतर हैं. छात्रों के हिंसक और खूनी आंदोलन के बाद शेख हसीना ने अपने पद को छोड़ दिया. है. लेकिन आपको ये पढ़कर हैरानी होगी कि शेख हसीना पहली बार भारत आकर नहीं रह रही हैं बल्कि इससे पहले भी वो भारत में 6 साल रह चुकी हैं.
लाजपत नगर की एक बिल्डिंग में शेख हसीना का आवास था, जिसमें उन्होंने काफी लंबा वक्त गुजारा. जानकारी के मुताबिक यहां बांग्लादेश की एंबेसी हुआ करता थी. जहां शेख हसीना ने परिवार संग 6 साल बिताए. मिली जानकारी के अनुसार बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना पहले 56 रिंग रोड लाजपत नगर-3 में रही और कुछ समय बाद फिर लुटियंस दिल्ली के पंडारा रोड में एक घर में शिफ्ट हो गई.
अब चलता है वहां होटलः जानकारी के मुताबिक, लाजपत नगर रिंग रोड पर स्थित इस बिल्डिंग में शेख हसीना ने काफी समय बिताया था ऐसा बताया जाता है कि 56 रिंग रोड लाजपत नगर 3 में स्थित इस बिल्डिंग में पहले बांग्लादेश का उच्च आयोग हुआ करता था, लेकिन मौजूदा समय में आज इस बिल्डिंग के कई पार्टीशन हो चुके हैं. मौजूदा समय में बिल्डिंग में आईवीएफ सेंटर, शोरूम और एक होटल चलाया जा रहा है.
पिता की हत्या के बाद ली थी शरणः 15 अगस्त 1975 को उनके पिता शेख मुजीबुर रहमान और परिवार के 17 लोगों की हत्या वहां के फौज के एक धड़े ने कर दिया था. तब उनके सामने रहने का संकट उत्पन्न हो गया था. इस दौरान उन्होंने भारत से मदद मांगी और सरकार ने उनके शरण की व्यवस्था की थी. पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना ने यहां पर समय बिताया था. बाद में वो पंडारा रोड पर शिफ्ट हो गई. पंडारा रोड का उनका घर तीन कमरों का था. घर के आसपास सुरक्षा कर्मियों का पहरा रहता था.
प्राइवेट प्रॉपर्टी बन गई हैः बताया जा रहा है कि बाद में उस बिल्डिंग को खरीद लिया गया और यह प्राइवेट प्रॉपर्टी बन गई जिसके आज कई हिस्से हो गए हैं. भारत में 6 साल रहने के बाद 17 मई 1981 को शेख हसीना अपने वतन बांग्लादेश लौट गई. उनके समर्थन में लाखों लोग एयरपोर्ट पहुंचे थे. लेकिन उन्हें काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा. भ्रष्टाचार के आरोपों में कारावास सहित कई चुनौतियों का सामना करने के बाद सेख हसीना आखिरकार 1996 में सत्ता में आई और पहली बार बांग्लादेश की प्रधानमंत्री बनी.
ये भी पढ़ें- गाजियाबाद: हिंडन एयरबेस पर VVIP मूवमेंट बढ़ा, चारों तरफ सुरक्षा चाक-चौबंद
ये भी पढ़ें-बांग्लादेश में कई बार हो चुका है तख्तापलट, जानें किन देशों में कब-कब हुए बवाल