बगहा: वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट पर चुनावी सरगर्मी और ज्यादा तेज हो गई है. दरअसल यह जेडीयू की परंपरागत सीट रही है और लगातार दो दशक से एनडीए का इस सीट पर कब्जा रहा है लेकिन इस चुनाव में मुकाबला और रोचक होने वाला है. इस असम के कोकराझार से दो मर्तबा निर्दलीय सांसद रह चुके नबा कुमार सरानिया चुनावी मैदान में हैं, जिससे एनडीए और इंडिया गठबंधन का खेल बिगड़ता दिख रहा है.
वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट ही क्याों?: नबा कुमार सरानिया से जब पूछा गया कि आखिर उन्होंने वाल्मीकिनगर लोकसभा सीट को हीं क्यों चुना? तो उन्होंने बताया की "मैं हमेशा से आदिवासियों के लिए आंदोलन करता आया हूं, जब साजिश के तहत मोदी सरकार के प्रभाव में आकर कोकराझार से मेरा नामांकन रद्द किया गया तो मेरी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने मुझे किसी अन्य लोकसभा सीट से चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. हालांकि वाल्मीकीनगर देश का एक नंबर संसदीय क्षेत्र है, इसलिए मैंने इस लोकसभा सीट का चयन किया."
'जनता तलाश रही है विकल्प': उन्होंने बताया कि "इस लोकसभा सीट के चयन के पीछे एक अन्य कारण यह भी रहा है कि ये सीट पिछड़ेपन में भी एक नंबर है. यहां के सांसद और विधायक ना तो विकास करते हैं और ना हीं आदिवासी, दलित, महादलित, पिछड़ा, अतिपिछड़ा के लिए सदन में आवाज उठाते हैं. लिहाजा यहां की जनता विकल्प तलाश रही है और उसी विकल्प के रूप में मैं यहां के पॉलिटिकल सिंडिकेट को नेस्तनाबूद करने आया हूं."
बिहार में गण सुरक्षा पार्टी के 8 प्रत्याशी: जब उनसे पूछा गया कि झारखंड में भी आदिवासी काफी पिछड़े हुए हैं आप वहां से भी चुनाव लड़ सकते थे, तो उन्होंने कहा कि "वाल्मीकिनगर तो महज एक आगाज है. मेरे गण सुरक्षा पार्टी से बिहार में 8 प्रत्याशी लड़ रहे हैं. वाल्मीकिनगर से शुरू हुआ यह सफर अन्य राज्यों के भी पहुंचेगा." उन्होंने स्थानीय सांसद विधायक और प्रत्याशियों पर निशाना साधते हुए कहा कि "यहां के जनप्रतिनिधि खुद ठेकेदारी करते हैं, कोई गन्ना मिल का मालिक होकर किसानों को सताता आ रहा है, ऐसे में मुझसे बेहतर विकल्प क्या हो सकता है."
'मोदी सरकार के खिलाफ महापरिवर्तन की लहर': नबा कुमार सरानिया ने स्पष्ट तौर पर बताया कि उन्होंने उल्फा का कमांडर होते हुए गरीबों के लिए 25 साल तक आंदोलन किया. यही वजह है कि जनता ने दो बार निर्दलीय मौका दिया. "इस बार भले ही मेरा नामांकन रद्द कर दिया गया हो लेकिन मैं पहले की तरह अब भी आदिवासियों, पिछड़ों और दलितों के लिए संसद में आवाज उठाता रहूंगा और शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार समेत प्रत्येक क्षेत्र में कार्य करूंगा. इस बार मोदी सरकार के खिलाफ महापरिवर्तन की लहर है और वाल्मीकिनगर क्षेत्र की जनता विकल्प के तौर पर जरूर मुझे मौका देगी.