नई दिल्ली : भारत के मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डीवाई चंद्रचूड़ ने शनिवार को कहा कि लोकतंत्र को वास्तव में फलने-फूलने के लिए प्रत्येक नागरिक को देश की संस्थाओं से जुड़ाव महसूस करना चाहिए और इस जिम्मेदारी को वहन करने का बोझ अक्सर कार्यपालिका और विधायिका पर डाला जाता है, लेकिन उनका दृढ़ विश्वास है कि न्यायपालिका को भी समान रूप से महत्वपूर्ण भूमिका निभानी चाहिए.
चंडीगढ़ न्यायिक अकादमी में भारत के न्यायालयों में प्रौद्योगिकी के परिदृश्य और आगे की राह पर राष्ट्रीय सम्मेलन में बोलते हुए सीजेआई ने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग पारदर्शिता, लोकतंत्र और न्याय तक समान पहुंच के मूल्यों से जुड़ा हुआ है, जो हमारे गणतंत्र की आधारशिला है. उन्होंने कहा कि कई लोगों को यह अहसास नहीं है कि न्याय तक पहुंचने के लिए प्रौद्योगिकी का एक साधन होना केवल एक आधुनिक सुविधा या एक फैशनेबल विषय नहीं है - यह हमारे गणतंत्र की नींव के साथ गहराई से जुड़ा हुआ है. उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी का उपयोग न केवल हमारी अदालतों को अधिक जवाबदेह और उत्तरदायी बनाता है, बल्कि यह लोगों को न्यायालय के करीब भी लाता है.
#WATCH | Chandigarh: CJI DY Chandrachud says, " ... the no. of court cases has increased because people's faith has increased... we need to increase the infrastructure and adopt new mediums. recently, we adopted the system of lok adalat in which we cleared around 1000 cases in 5… pic.twitter.com/Uds2LmKCLM
— ANI (@ANI) August 10, 2024
सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) में बदलाव वकीलों द्वारा पहले अपनाई गई तकनीक को प्रतिबिंबित करेगा और यह हमारे पेशे के मूलभूत कौशल को प्रभावित किए बिना दक्षता को बढ़ाएगा. उन्होंने कहा कि केस लॉ रिसर्च, याचिका दायर करना, अनुबंधों की समीक्षा करना और उचित परिश्रम करना जैसे कई नियमित कार्य आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन से बहुत लाभ उठा सकते हैं. उन्होंने कहा कि वास्तव में, ऐसे कार्यों को एआई पर छोड़ देने से वकीलों के पास अधिक समय और बैंडविड्थ बचती है.
उन्होंने कहा कि इस प्रगति ने युवा वकीलों को घंटों तक काम करने से मुक्त कर दिया है, जिससे वे कठोर कानूनी विश्लेषण, प्रेरक लेखन और विचारशील समस्या-समाधान जैसे आवश्यक कौशल को निखारने पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं - जो हमारे पेशे की नींव हैं!
सीजेआई ने इस बात पर जोर दिया कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उन कार्यों के लिए स्वागत किया जाना चाहिए जिन्हें स्वचालित किया जा सकता है. उन्होंने कहा, "हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि यह उन रचनात्मक प्रक्रियाओं पर अतिक्रमण न करे जो स्वाभाविक रूप से मानवीय हैं."
एआई विशिष्ट मानवीय प्रयासों की जगह कभी ने सकता...
उन्होंने कहा कि वास्तव में मेरा माननाहै कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस इन विशिष्ट मानवीय प्रयासों की जगह कभी नहीं ले सकता. यह हमारी मानवता को परिभाषित करने वाली अभिनव चिंगारी, भावनात्मक बुद्धिमत्ता और सूक्ष्म निर्णय को बढ़ा सकता है, लेकिन कभी इनकी जगह नहीं ले सकता.
सीजेआई ने कहा कि किसी ने एक बहुत विचार करने वाला उद्धरण साझा किया जो उनके साथ गूंजता है, "मैं चाहता हूं कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेरे बर्तन और कपड़े धोए ताकि मैं अपनी कला और लेखन कर सकूं, न कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस मेरी कला और लेखन करे ताकि मैं अपने बर्तन और कपड़े धो सकूं."
वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से आठ लाख से अधिक मामलों की सुनवाई
उन्होंने मामलों की लाइव स्ट्रीमिंग और हाइब्रिड सुनवाई की सुविधा द्वारा न्यायिक प्रणाली में पारदर्शिता बढ़ाने वाली तकनीक के एक सर्वोत्कृष्ट उदाहरण का उल्लेख किया और कहा कि पिछले चार वर्षों में, सुप्रीम कोर्ट ने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग या हाइब्रिड-सुनवाई सुविधा के जरिये आठ लाख से अधिक मामलों की सुनवाई की है. सीजेआई ने कहा कि यह खुलापन न्यायाधीशों को शब्दों, कार्यों और आचरण के लिए जवाबदेह बनाता है. उन्होंने आगे कहा कि कई मायनों में प्रौद्योगिकी को अपना कर हमने सैद्धांतिक 'खुली अदालत' प्रणाली को व्यावहारिक वास्तविकता में बदल दिया है.
उन्होंने कहा, "आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का उपयोग करके सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठों के समक्ष दलीलों की प्रतिलिपियों ने शोधकर्ताओं, कानूनी चिकित्सकों और शिक्षाविदों के लिए एक मूल्यवान स्वतंत्र रूप से उपलब्ध संसाधन बनाया है. ये एआई-जनरेटेड ट्रांसक्रिप्ट अदालत के समक्ष प्रस्तुत विचार-विमर्श और कानूनी तर्कों का एक विश्वसनीय रिकॉर्ड पेश करते हैं." उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट विधिक अनुवाद सॉफ्टवेयर ( SUVAS) नामक एक आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉफ्टवेयर की मदद से सुप्रीम कोर्ट अपने निर्णयों और आदेशों का सक्रिय रूप से क्षेत्रीय भाषाओं में अनुवाद कर रहा है.
#WATCH | CJI DY Chandrachud offers prayers at the Golden Temple in Punjab's Amritsar
— ANI (@ANI) August 10, 2024
He says, " it is a great privilege and blessing to be able to pray at harmandir sahib. i pray that all of humanity in our nation and beyond be happy and prosperous..." pic.twitter.com/FpM5a8jPxj
सीजेआई ने श्री दरबार साहिब में माथा टेका
वहीं, सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ शनिवार को अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर पहुंचे और श्री दरबार साहिब में माथा टेका. भारत के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने भारी पुलिस बल की तैनाती के बीच स्वर्ण मंदिर में प्रार्थना की. शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने उनको सम्मानित किया और उन्हें मांग पत्र दिया. यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान सीजेआई ने कहा कि आज वह श्री दरबार साहिब में माथा टेकने आए हैं. दरबार साहिब में माथा टेककर उन्होंने सभी की भलाई के लिए अरदास की है. उन्होंने कहा कि इससे पहले 1975 में वे अपने परिवार के साथ श्री दरबार साहिब में माथा टेकने आए थे. उसके बाद आज उन्हें दरबार साहिब आने का मौका मिला है.
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