नई दिल्ली: भारत ने गुरुवार को बांग्लादेश के इस आरोप को खारिज कर दिया, जिसमें कहा गया कि भारत की वजह से उसके देश के आठ जिलों में बाढ़ आई. विदेश मंत्रालय ने कहा कि 'यह तथ्यात्मक रूप से गलत है. इसमें कोई भी सच्चाई नहीं है.
अपने बयान में विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने चिंता व्यक्त करते हुए बांग्लादेश से कहा कि उसके पूर्वी सीमा पर स्थित जिलों में बाढ़ त्रिपुरा में गुमटी नदी के ऊपरी हिस्से में डंबूर बांध के द्वार खोलने के चलते आई है. यह तथ्यात्मक रूप से सही नहीं है. बांग्लादेश में जारी हालात के बीच जगन्नाथ यूनिवर्सिटी के छात्रों ने बाढ़ के लिए भारत को जिम्मेदार ठहराया और विरोध मार्च निकाला. छात्रों ने बिना सच जाने आरोप लगाया कि भारत ने बिना सूचित किए डुंबूर और गजलडोबा बांधों के स्लुइस गेट खोल दिया, जिससे यहां बाढ़ आ गई.
विदेश मंत्रालय ने कहा कि हम यह बताना चाहते हैं कि भारत और बांग्लादेश से होकर बहने वाली गुमटी नदी के जलग्रहण क्षेत्रों में पिछले कुछ दिनों में इस वर्ष की सबसे भारी बारिश हुई है. जिससे उसका जलस्तर बढ़ गया. मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि बांग्लादेश में बाढ़ मुख्य रूप से बांध के नीचे स्थित इन बड़े जलग्रहण क्षेत्रों के पानी के चलते आई है. बता दें, डंबूर बांध सीमा से काफी दूर और बांग्लादेश से 120 किलोमीटर ऊपर स्थित है. यह कम ऊंचाई (लगभग 30 मीटर) का बांध है जो बिजली पैदा करता है जो ग्रिड में जाती है और जिससे बांग्लादेश त्रिपुरा से 40 मेगावाट बिजली भी लेता है.
मंत्रालय ने आगे कहा कि नदी के लगभग 120 किलोमीटर के मार्ग पर अमरपुर, सोनामुरा और सोनामुरा में तीन जल स्तर निरीक्षण स्थल हैं. 21 अगस्त से पूरे त्रिपुरा और बांग्लादेश के आस-पास के जिलों में भारी बारिश हो रही है. भारी जलप्रवाह की स्थिति में, स्वचालित रूप से पानी छोड़ा जाता है.
विदेश मंत्रालय ने बयान देते हुए कहा कि अमरपुर स्टेशन द्विपक्षीय प्रोटोकॉल का हिस्सा है, जिसके तहत हम बांग्लादेश को वास्तविक समय में बाढ़ के आंकड़े भेज रहे हैं. यह ध्यान देने वाली बात यह है कि भारत और बांग्लादेश के बीच आम नदियों में बाढ़ एक साझा समस्या है, जिससे दोनों देशों को कष्ट होता है और इसे हल करने के लिए घनिष्ठ आपसी सहयोग की जरूरत है. 54 सीमा पार नदियों को साझा करने वाले दो देशों के रूप में, नदी जल सहयोग हमारे द्विपक्षीय संबंधों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है. हम द्विपक्षीय परामर्श और तकनीकी चर्चाओं के माध्यम से जल संसाधनों और नदी जल प्रबंधन में मुद्दों और आपसी चिंताओं को हल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं.