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जामताड़ा वेब सीरीज फेम प्रदीप मंडल समेत पांच दोषी करार, मनी लांड्रिंग मामले में मंगलवार को स्पेशल कोर्ट सुनाएगी सजा - Jamtara Pradeep Mandal convicted - JAMTARA PRADEEP MANDAL CONVICTED

Pradeep Mandal have been convicted by PMLA court. पिछले दिनों एक वेब सीरीज बेहद चर्चा में रही थी, नाम था जामताड़ा. इस वेब सीरीज के केंद्र में प्रदीप मंडल नाम का चरित्र था. ये कैरेक्टर कैसे लोगों को झांसे में लेकर साइबर ठगी करता था इस सीरीज में काफी बेहतर तरीके से दिखाया गया है. प्रदीप मंडल को पुलिस ने गिरफ्तार किया था और उसकी सुनवाई पीएमएलए कोर्ट में चल रही थी. कोर्ट ने उसे मनी लॉन्डिंग का दोषी पाया है.

JAMTARA PRADEEP MANDAL CONVICTED
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jul 20, 2024, 6:49 PM IST

रांची: जामताड़ा वेब सीरीज फेम प्रदीप मंडल समेत पांच को पीएमएलए की विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी पाया है. कोर्ट 23 जुलाई यानी मंगलवार को सजा के बिंदु पर फैसला सुनाएगी.

'प्रदीप मंडल' वो शख्स है, जिसकी वजह से पूरे देश में जामताड़ा जिला की बदनामी हुई है. शायद ही कोई ऐसा राज्य हो जहां की पुलिस साइबर अपराध के सिलसिले में जामताड़ा ना आई हो. जब लोग साइबर क्राइम शब्द को ठीक से जानते भी नहीं थे, तब यह शख्स नारायणपुर थानाक्षेत्र के मिरगा गांव के खेत-खलिहानों में बैठकर लोगों के बैंक खातों से पैसे उड़ाया करता था. तरह-तरह के प्रलोभन दिया करता था. कभी बैंक मैनेजर बनकर तो कभी किसी कंपनी का अधिकारी बनकर. कभी पुरस्कार के नाम पर तो कभी एटीएम कार्ड ब्लॉक होने के नाम पर. इस खेल में इसका पूरा परिवार शामिल था.

इन साइबर अपराधियों की वजह से जामताड़ा जिला इस कदर चर्चा में आया कि इस नाम से वेब सीरीज बन गई, जो खूब मशहूर हुई. अब इनका खेल अंजाम की दहलीज तक आ पहुंचा है. फिशिंग के जरिए आम लोगों को करोड़ों का चूना लगाने वाले इन शातिर साइबर अपराधियों को ईडी की पहल पर पीएमएलए की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है. इनमें गणेश मंडल, प्रदीप मंडल, संतोष मंडल, पिंटू मंडल और अंकुश मंडल के नाम शामिल हैं. सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं. इनमें से चार जमानत पर जेल से बाहर थे, जबकि एक अन्य आरोप में अंकुश मंडल देवघर जेल में बंद है. दोषी करार दिए जाने के साथ ही सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत ECIR दर्ज कर ट्रायल के दौरान कुल 24 गवाह पेश किए थे.

इन दिनों साइबर क्राइम पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गया है. इससे जुड़े अपराधी तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर लोगों को अपने जाल में फांस लेते हैं. गाहे-बगाहे नामी-गिरामी लोग भी इनके झांसे में फंसते रहते हैं. ठगने का इनका पैटर्न बदलता रहता है. हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट शब्द का इस्तेमाल कर साइबर अपराधी कई पढ़े लिखे लोगों को करोड़ों का चूना लगा चुके हैं. झारखंड में साइबर क्राइम का जाल जामताड़ा से निकलकर देवघर, गिरिडीह समेत कई जिलों तक फैल चुका है.

रांची: जामताड़ा वेब सीरीज फेम प्रदीप मंडल समेत पांच को पीएमएलए की विशेष अदालत ने मनी लॉन्ड्रिंग का दोषी पाया है. कोर्ट 23 जुलाई यानी मंगलवार को सजा के बिंदु पर फैसला सुनाएगी.

'प्रदीप मंडल' वो शख्स है, जिसकी वजह से पूरे देश में जामताड़ा जिला की बदनामी हुई है. शायद ही कोई ऐसा राज्य हो जहां की पुलिस साइबर अपराध के सिलसिले में जामताड़ा ना आई हो. जब लोग साइबर क्राइम शब्द को ठीक से जानते भी नहीं थे, तब यह शख्स नारायणपुर थानाक्षेत्र के मिरगा गांव के खेत-खलिहानों में बैठकर लोगों के बैंक खातों से पैसे उड़ाया करता था. तरह-तरह के प्रलोभन दिया करता था. कभी बैंक मैनेजर बनकर तो कभी किसी कंपनी का अधिकारी बनकर. कभी पुरस्कार के नाम पर तो कभी एटीएम कार्ड ब्लॉक होने के नाम पर. इस खेल में इसका पूरा परिवार शामिल था.

इन साइबर अपराधियों की वजह से जामताड़ा जिला इस कदर चर्चा में आया कि इस नाम से वेब सीरीज बन गई, जो खूब मशहूर हुई. अब इनका खेल अंजाम की दहलीज तक आ पहुंचा है. फिशिंग के जरिए आम लोगों को करोड़ों का चूना लगाने वाले इन शातिर साइबर अपराधियों को ईडी की पहल पर पीएमएलए की विशेष अदालत ने दोषी करार दिया है. इनमें गणेश मंडल, प्रदीप मंडल, संतोष मंडल, पिंटू मंडल और अंकुश मंडल के नाम शामिल हैं. सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं. इनमें से चार जमानत पर जेल से बाहर थे, जबकि एक अन्य आरोप में अंकुश मंडल देवघर जेल में बंद है. दोषी करार दिए जाने के साथ ही सभी को न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग के तहत ECIR दर्ज कर ट्रायल के दौरान कुल 24 गवाह पेश किए थे.

इन दिनों साइबर क्राइम पूरी दुनिया के लिए सिरदर्द बन गया है. इससे जुड़े अपराधी तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर लोगों को अपने जाल में फांस लेते हैं. गाहे-बगाहे नामी-गिरामी लोग भी इनके झांसे में फंसते रहते हैं. ठगने का इनका पैटर्न बदलता रहता है. हाल के दिनों में डिजिटल अरेस्ट शब्द का इस्तेमाल कर साइबर अपराधी कई पढ़े लिखे लोगों को करोड़ों का चूना लगा चुके हैं. झारखंड में साइबर क्राइम का जाल जामताड़ा से निकलकर देवघर, गिरिडीह समेत कई जिलों तक फैल चुका है.

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