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नक्सलगढ़ बस्तर के 102 गांवों में गूंजी ईवीएम की बीप, चांदामेटा में पहली बार अपने वोटिंग सेंटर्स में लोगों ने किया मतदान - Bastar Lok Sabha Election 2024

Bastar Lok Sabha Election 2024 Live Updates बस्तर लोकसभा चुनाव में वोटिंग खत्म हो गई है. बस्तर के सुदूर इलाके चांदामेटा गांव में भी लोकतंत्र का महापर्व धूमधाम से मनाया गया.आजादी के बाद इस गांव में पहली बार स्कूल खुला.और अब विधानसभा चुनाव के बाद पहली बार लोकसभा का मतदान भी ग्रामीणों ने अपने पोलिंग बूथ में किया. चांदामेटा के अलावा बस्तर के 102 गांवों में पहली बार बने मतदान केंद्र में लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया है.

Votes cast in village polling booth
नक्सलगढ़ चांदामेटा में गूंजी ईवीएम की बीप
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By ETV Bharat Chhattisgarh Team

Published : Apr 19, 2024, 5:31 PM IST

Updated : Apr 19, 2024, 5:46 PM IST

चांदामेटा में पहली बार वोटिंग

बस्तर : बस्तर लोक सभा सीट पर चुनाव की सबसे खास बात यह रही कि इस सीट पर 102 गांवों में लोगों ने पहली बार अपने ही इलाके में बने मतदान केंद्र में मताधिकार का प्रयोग किया. बस्तर लोकसभा सीट पर यह एतेहासिक रहा. इसी के तहत चांदामेटा में भी ग्रामीणों ने पहली बार अपने गांव में स्थापित मतदान केंद्र में वोटिंग की है. बस्तर जिले के अंतिम छोर में बसा चांदामेटा गांव ने भी इतिहास रचा है. नक्सल भय से मुक्त होने के बाद चांदामेटा के मतदाताओं ने अपने ही मतदान केंद्र में वोटिंग की है. 19 अप्रैल की सुबह बड़ी संख्या में युवा , महिला और पुरुष मतदाताओं के साथ बुजुर्ग पोलिंग बूथ पहुंचे. ग्रामीणों ने लाइन लगाकर हर्षोल्लास के साथ अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया.

इन गांवों में लोगों ने पहली बार अपने गांव में डाला वोट: जिन गांवों में लोगों ने अपने इलाके में बनें मतदान केंद्र में वोट डाला है. उनमें दंतेवाड़ा के ग्राम मेधापाल, गांव चिकपाल और गांव टेटम, नारायणपुर में ग्राम बागबेडा, ग्राम नेतानार इसके अलावा सुकमा के गांव चिपुरपाल में लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग अपने गांव में बने वोटिंग केंद्र में किया है. इस तरह बस्तर में कुल 102 गांवों में पहली बार अपने इलाके में यानि कि अपने गांव में बने वोटिंग सेंटर्स में लोगों ने वोट डाले

नक्सलगढ़ चांदामेटा में गूंजी ईवीएम की बीप : इससे पहले इस गांव के मतदाता वोट डालने के लिए 6 से 7 किलोमीटर पैदल चलकर छिंदगुर में वोटिंग करते थे. क्षेत्र में नक्सलवाद दूर होने के बाद चांदामेटा में आजादी के 75 साल बाद स्कूल खोला गया. इसी स्कूल को निर्वाचन शाखा ने मतदान केंद्र बनाया. जिसके बाद अब बिना किसी तकलीफ के ग्रामीणों ने अपने ही पोलिंग बूथ में वोट डाला.

Votes cast in village polling booth
चांदामेटा पोलिंग बूथ में मतदान की तस्वीर

पहले मीलों सफर तय करके डालते थे वोट : पहले मतदान केंद्र दूसरे गांव में होने के कारण ग्रामीण नदी नाला और पहाड़ पार करके वोट डालते थे.लेकिन जब से इस गांव को नक्सलियों से मुक्त कराया गया,तब से ग्रामीणों में खुशी की लहर है.स्कूल खुलने के बाद मानों ग्रामीणों का बड़ा सपना पूरा हुआ है. इसी स्कूल में निर्वाचन दल ने पोलिंग बूथ बनाया है. चांदामेटा मतदान केंद्र में 325 मतदाता हैं. जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 163 और महिला मतदाताओं की संख्या 162 है.

कहां है चांदामेटा ?: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सीमावर्ती इलाके में बसा दरभा विकासखंड का चांदामेटा गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. पहले नक्सलियों की मौजूदगी इस इलाके में हमेशा बनी रहती थी. इस गांव में नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप हुआ करता था. जहां नक्सली अपने लड़ाकों को ट्रेनिंग देते थे.सुरक्षा बलों ने इस इलाकों को जब नक्सलियों से मुक्त किया तो यहां कैंप बना.लेकिन नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप आज भी जंगल में मौजूद है.यहां बने स्मारक को सुरक्षा बलों ने ध्वस्त कर दिया है. साल 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले सुरक्षा बलों ने चांदामेटा में कैंप खोला था. इसके बाद कलेक्टर ने दौरान करने के बाद चांदामेटा को स्कूल की सौगात की. स्कूल के बाद आंगनबाड़ी केंद्र खुला.आज इन्हीं भवनों में पोलिंग कराई गई.

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इन गांवों में लोगों ने पहली बार अपने गांव में डाला वोट: जिन गांवों में लोगों ने अपने इलाके में बनें मतदान केंद्र में वोट डाला है. उनमें दंतेवाड़ा के ग्राम मेधापाल, गांव चिकपाल और गांव टेटम, नारायणपुर में ग्राम बागबेडा, ग्राम नेतानार इसके अलावा सुकमा के गांव चिपुरपाल में लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग अपने गांव में बने वोटिंग केंद्र में किया है. इस तरह बस्तर में कुल 102 गांवों में पहली बार अपने इलाके में यानि कि अपने गांव में बने वोटिंग सेंटर्स में लोगों ने वोट डाले

नक्सलगढ़ चांदामेटा में गूंजी ईवीएम की बीप : इससे पहले इस गांव के मतदाता वोट डालने के लिए 6 से 7 किलोमीटर पैदल चलकर छिंदगुर में वोटिंग करते थे. क्षेत्र में नक्सलवाद दूर होने के बाद चांदामेटा में आजादी के 75 साल बाद स्कूल खोला गया. इसी स्कूल को निर्वाचन शाखा ने मतदान केंद्र बनाया. जिसके बाद अब बिना किसी तकलीफ के ग्रामीणों ने अपने ही पोलिंग बूथ में वोट डाला.

Votes cast in village polling booth
चांदामेटा पोलिंग बूथ में मतदान की तस्वीर

पहले मीलों सफर तय करके डालते थे वोट : पहले मतदान केंद्र दूसरे गांव में होने के कारण ग्रामीण नदी नाला और पहाड़ पार करके वोट डालते थे.लेकिन जब से इस गांव को नक्सलियों से मुक्त कराया गया,तब से ग्रामीणों में खुशी की लहर है.स्कूल खुलने के बाद मानों ग्रामीणों का बड़ा सपना पूरा हुआ है. इसी स्कूल में निर्वाचन दल ने पोलिंग बूथ बनाया है. चांदामेटा मतदान केंद्र में 325 मतदाता हैं. जिनमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 163 और महिला मतदाताओं की संख्या 162 है.

कहां है चांदामेटा ?: छत्तीसगढ़ और ओडिशा के सीमावर्ती इलाके में बसा दरभा विकासखंड का चांदामेटा गांव नक्सल प्रभावित क्षेत्र है. पहले नक्सलियों की मौजूदगी इस इलाके में हमेशा बनी रहती थी. इस गांव में नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप हुआ करता था. जहां नक्सली अपने लड़ाकों को ट्रेनिंग देते थे.सुरक्षा बलों ने इस इलाकों को जब नक्सलियों से मुक्त किया तो यहां कैंप बना.लेकिन नक्सलियों का ट्रेनिंग कैंप आज भी जंगल में मौजूद है.यहां बने स्मारक को सुरक्षा बलों ने ध्वस्त कर दिया है. साल 2023 में विधानसभा चुनाव से पहले सुरक्षा बलों ने चांदामेटा में कैंप खोला था. इसके बाद कलेक्टर ने दौरान करने के बाद चांदामेटा को स्कूल की सौगात की. स्कूल के बाद आंगनबाड़ी केंद्र खुला.आज इन्हीं भवनों में पोलिंग कराई गई.

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Last Updated : Apr 19, 2024, 5:46 PM IST
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