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जम्मू-कश्मीर के हॉस्पिटल में रेयर सर्जरी, पैर की उंगली हाथ में लगाई - Foot to Hand Transplant Surgery

Foot to Hand Transplant Surgery: शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (SKIMS) के प्लास्टिक और माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी विभाग ने कमाल कर दिखाया है. विभाग ने पहली बार 20 साल के एक युवक की 'माइक्रोवैस्कुलर टो टू हैंड ट्रांसप्लांट सर्जरी' सफलतापूर्वक करने के बाद एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की. पढ़ें पूरी खबर...

Foot to Hand Transplant Surgery
जम्मू और कश्मीर में पहली सफल माइक्रोवैस्कुलर 'फुट टू हैंड' ट्रांसप्लांट सर्जरी (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 11, 2024, 6:55 PM IST

श्रीनगर: कश्मीर के मेजर टर्टियरी केयर हॉस्पिटल शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूशन ऑफ मेडिकल साइंस (एसकेआईएमएस) ने पहली बार 20 साल के एक युवक की 'माइक्रोवैस्कुलर टो टू हैंड ट्रांसप्लांट सर्जरी' सफलतापूर्वक करने के बाद एक दुर्लभ उपलब्धि हासिल की. सर्जरी विभाग के माइक्रोवैस्कुलर सर्जनों की एक टीम द्वारा डॉ. मीर यासिर (परामर्शदाता प्लास्टिक और पुनर्निर्माण सर्जन) के नेतृत्व में की गई.

शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसकेआईएमएस) के प्लास्टिक और माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी विभाग ने पहली ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक की है. यह सर्जरी आने वाले दिनों में माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी के क्षेत्र के में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा.

एसकेआईएमएस में प्लास्टिक और माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. आदिल हफीज के साथ ईटीवी भारत के परवेज उद दीन की विशेष बातचीत.

ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में डॉ. हफीज ने बताया कि इस तरह की सर्जरी जम्मू-कश्मीर में अपनी तरह की पहली सर्जरी है और इसकी जटिलता और नाजुक प्रकृति के कारण देश भर में कुछ ही अस्पतालों में की जाती है. 20 वर्षीय मरीज कुछ महीने पहले अस्पताल आया था और उसके दाहिने हाथ की तीन उंगलियां मशीन से पूरी तरह कट गई थीं. केवल उसका अंगूठा और छोटी उंगली बची थी. शुरुआती उपचार के बाद मरीज अपने दाहिने हाथ का इस्तेमाल किसी भी काम के लिए नहीं कर पा रहा था. प्रभावित हाथ को फिर से काम करने लायक बनाने का एकमात्र उपाय पैर के अंगूठे का प्रत्यारोपण करना था. इस जटिल सर्जरी के लिए मरीज को मानसिक रूप से तैयार करना चुनौतीपूर्ण था.

डॉ. हफीज ने आगे कहा कि ऑपरेशन किसी भी तरह से आसान नहीं था. अगर सर्जरी विफल हो जाती, तो न केवल मरीज का हाथ काम करना बंद कर देता, बल्कि वह अपना एक पैर भी खो देता. हालांकि, डॉक्टरों की विशेषज्ञता और SKIMS सौरा के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में उपलब्ध सुविधाओं ने ऑपरेशन की सफलता सुनिश्चित की. 12 घंटे की इस प्रक्रिया में एनेस्थीसिया विभाग के महत्वपूर्ण सहयोग का भी बहुत लाभ मिला. मरीज फिलहाल अस्पताल में भर्ती है और धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहा है. उम्मीद है कि इस सर्जरी से उसका हाथ फिर से काम करने लगेगा, जिससे वह सामान्य रूप से काम कर सकेगा और भविष्य में उसके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा.

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शेर-ए-कश्मीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज (एसकेआईएमएस) के प्लास्टिक और माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी विभाग ने पहली ट्रांसप्लांट सर्जरी सफलतापूर्वक की है. यह सर्जरी आने वाले दिनों में माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी के क्षेत्र के में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा.

एसकेआईएमएस में प्लास्टिक और माइक्रोवैस्कुलर सर्जरी विभाग के प्रमुख डॉ. आदिल हफीज के साथ ईटीवी भारत के परवेज उद दीन की विशेष बातचीत.

ईटीवी भारत के साथ विशेष बातचीत में डॉ. हफीज ने बताया कि इस तरह की सर्जरी जम्मू-कश्मीर में अपनी तरह की पहली सर्जरी है और इसकी जटिलता और नाजुक प्रकृति के कारण देश भर में कुछ ही अस्पतालों में की जाती है. 20 वर्षीय मरीज कुछ महीने पहले अस्पताल आया था और उसके दाहिने हाथ की तीन उंगलियां मशीन से पूरी तरह कट गई थीं. केवल उसका अंगूठा और छोटी उंगली बची थी. शुरुआती उपचार के बाद मरीज अपने दाहिने हाथ का इस्तेमाल किसी भी काम के लिए नहीं कर पा रहा था. प्रभावित हाथ को फिर से काम करने लायक बनाने का एकमात्र उपाय पैर के अंगूठे का प्रत्यारोपण करना था. इस जटिल सर्जरी के लिए मरीज को मानसिक रूप से तैयार करना चुनौतीपूर्ण था.

डॉ. हफीज ने आगे कहा कि ऑपरेशन किसी भी तरह से आसान नहीं था. अगर सर्जरी विफल हो जाती, तो न केवल मरीज का हाथ काम करना बंद कर देता, बल्कि वह अपना एक पैर भी खो देता. हालांकि, डॉक्टरों की विशेषज्ञता और SKIMS सौरा के प्लास्टिक सर्जरी विभाग में उपलब्ध सुविधाओं ने ऑपरेशन की सफलता सुनिश्चित की. 12 घंटे की इस प्रक्रिया में एनेस्थीसिया विभाग के महत्वपूर्ण सहयोग का भी बहुत लाभ मिला. मरीज फिलहाल अस्पताल में भर्ती है और धीरे-धीरे स्वस्थ हो रहा है. उम्मीद है कि इस सर्जरी से उसका हाथ फिर से काम करने लगेगा, जिससे वह सामान्य रूप से काम कर सकेगा और भविष्य में उसके जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा.

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