जांजगीर चाम्पा: शुगर यानि मधुमेह जिसे डॉक्टर इंसानों के लिए स्लो प्वॉइजन बताते हैं. देश की बड़ी आबादी आज इसी शुगर नाम की बीमारी से पीड़ित है. बीमारी अपने चरम पर पहुंच जाए तो ये जानलेवा और हर्ट अटैक की वजह भी बन सकता है. शुगर लेवल ज्यादा बढ़ने पर पैरालिसिस अटैक भी आ सकता है. जांजगीर चांपा के किसानों ने एक ऐसी किस्म का धान विकसित किया है जो इंसान के शरीर में शुगर के लेवल को कम बढ़ाता है. महेश्वरी फूल धान से बने चावल को खाने से शरीर में ग्लाइसेमिक इंडेक्स की मात्रा बहुत कम बढ़ती है. अमूमन चावल में सबसे ज्यादा ग्लाइसेमिक इंडेक्स होता है. डॉक्टर मरीजों को ये हिदायत देते हैं कि आप चावल नहीं खाएं तो बेहतर होगा.
शुगर फ्री महेश्वरी फूल राइस!:चांपा में किसान अब तेजी से महेश्वरी फूल राइस की खेती करने में जुट गए हैं. खास किस्म की राइस की खेती करने वाले किसान कहते हैं इसकी फसल को आम चावल की खेती जैसे होती है वैसे ही करते हैं. किसानों का कहना है कि धान की ये नई किस्म ओडिशा से मिली जिसे यहां के किसानों ने सहेज कर रखा.
लखुर्री गांव के किसान राम प्रसाद ने दी चावल को नई पहचान: राम प्रसाद का दावा है कि इस धान से बने चावल में शुगर लेवल बढ़ाने की मात्रा कम होती है. तीस साल पुराने इस बीज को जमा कर रखने से इसकी नई किस्म अब बाजार में आ चुकी है. राम प्रसाद ने अपने इस खास धान की फसल को महेश्वरी फूल के नाम से पेटेंट भी करा लिया है. चावल में कितना ग्लाइसेमिक इंडेक्स है इसकी जांच के लिए चावल को लैब भी भेजा गया है.
लैब रिपोर्ट का इंतजार: महेश्वरी फूल की खेती करने वाले राम प्रसाद केसरवानी की मानें तो इस धान की फसर प्रति एकड़ 18 क्विंटल होती है. बाजार में ये चावल 50 रुपए किलो के हिसाब में मिलने भी लगी है. महेश्वरी फूल की खासियत है कि इसमें जैविक खाद का इस्तेमाल किया जाता है. लैब टेस्ट में अगर इस चावल में शुगर लेवल कंट्रोल करने की क्षमता पाई गई तो ये बड़ा क्रांतिकारी परिवर्तन साबित हो सकता है. प्रशांत सिंह, ईटीवी भारत, जांजगीर चांपा