ETV Bharat / bharat

'जो इलाके कल तक डूबे थे, आज सूख रहे खेत', जानिए क्या है बिहार की ग्राउंड रियलिटी - Farmers Of Bihar In Troubled

Drought in Bihar : बिहार के अधिकांश जिलों सूखे की स्थिति उत्पन्न हो गई है. जिन इलाकों में 15 दिन पहले तक बाढ़ का डर सता रहा था, वहां भी अब सूखे जैसी स्थिति है. मानसून ने धोखा दिया तो किसान सिर पकड़ लिए हैं. आगे पढ़ें पूरी खबर.

बिहार में सूखा.
बिहार में सूखा. (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Bihar Team

Published : Jul 27, 2024, 8:28 PM IST

Updated : Jul 27, 2024, 11:12 PM IST

देखें ग्राउंड रिपोर्ट. (ETV Bharat)

पटना : 'इस बार मानसून की बेरुखी से खेती करने में दिक्कत हो रही है. जिन लोगों का खेत नदी के धार के किनारे है, वे लोग पंपिंग सेट से पटवन कर लेते हैं. लेकिन जिनके खेत दूर हैं उनके लिए पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है.' ये कहना है बगहा के किसान छट्ठू चौधरी का. ये दर्द सिर्फ छट्ठू चौधरी की नहीं है, बल्कि हजारों किसान इस समस्या से जूझ रहे हैं.

किसानों के माथे पर चिंता की लकीर : दरअसल, कोसी एवं गंडक के इलाकों में 15 दिन पहले तक लोगों के सामने बाढ़ की समस्या थी और अब उनको सुखे की चिंता सताने लगी है. जिन इलाकों में नेपाल के पानी के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी वहां अब मानसून की बारिश नहीं होने के कारण खेती न होने का डर सताने लगा है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

''धान की खेती का अभी सीजन चल रहा है लेकिन पानी की कमी के कारण किसानों की खेती प्रभावित हो रही है. इस बार मानसून सीजन में मात्र दो-तीन दिन बारिश हुई यही कारण है कि पटवन की समस्या हो गई है. मानसून के बारिश की बहुत जरूरत है. किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं.''- छट्ठू चौधरी, बगहा के किसान

औसत से कम मानसून की बारिश : जुलाई का महीना खत्म होने वाला है और मानसून की जितनी बारिश होनी चाहिए थी उतनी बारिश नहीं हुई है. मानसून की बारिश नहीं होने का असर अब बिहार के खेतों पर दिखने लगा है. बिहार के लगभग सभी जिलों में मानसून की बारिश औसत से कम हुई है. यही कारण है कि अब नहरें एवं तालाबों के पानी भी सूखने लगे हैं. धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास और उनके आसपास के जिलों में इस बार धान की खेती पर असर पड़ने लगा है.

धान की खेती में हो रही परेशानी
धान की खेती में हो रही परेशानी (ETV Bharat)

''शुरू में कुछ मानसून की बारिश हुई थी तो आशा हुई कि इस बार खेती ठीक होगी, लेकिन पूरे जुलाई महीने में मात्र दो से तीन दिन बारिश हुई है. बीच में कुछ दिनों के लिए खेतों में बाढ़ का पानी भी आया लेकिन तीन-चार दिनों में ही वह पानी भी चला गया. अब स्थिति हो गई है कि खेतों में फसल सूख रहा है. लेकिन बारिश नहीं हो रही है.''- दीनू यादव, मधुबनी के किसान

कहां-कहां कम हुई बारिश : बिहार में कई जिलों में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है. 26 जुलाई तक प्रदेश के 36 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है. सहरसा, समस्तीपुर और वैशाली में सबसे कम 49 प्रतिशत बारिश हुई है. सुपौल में 40, सारण में 50, मधेपुरा में 43, पटना में 48, रोहतास में 47, भभुआ में 46, मुजफ्फरपुर में 45 प्रतिशत कम बारिश हुई है. वहीं, अररिया में 14, अरवल में 5, औरंगाबाद में 29, बांका में 19, भागलपुर में 39, भोजपुर में 37, बक्सर में 27, पूर्वी चंपारण में 20, गया में 23, गोपालगंज में 23, जहानाबाद में 30, जमुई में 26, कटिहार में 32 प्रतिशत कम बारिश हुई है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

अगस्त-सितंबर में बारिश की संभावना : भारत मौसम विज्ञान केंद्र पटना के मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार का कहना है कि पूरे राज्य में 1 जून से लेकर आज तक जितनी मानसून की बारिश होनी चाहिए उसमें 31% की कमी देखी गई है. बिहार के अधिकांश जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है. अगले 2 महीने अगस्त और सितंबर में मानसून की बारिश हो सकती है.

''मानसून के समय जो लो प्रेशर डिप्रेशन बनते हैं. वो बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल की तरफ मूव करती थी. हालांकि पिछले 2 साल से दिख रहा है वे ऑफ बंगाल में जो प्रेशर बनता था जिससे बारिश होती थी. वह इधर नहीं आकर उड़ीसा, आंध्र होते हुए सेंट्रल इंडिया होते हुए मध्य प्रदेश की तरफ रुख कर जाती है. यही कारण है कि इस बार बिहार में कम बारिश हुई है.''- आशीष कुमार, मौसम वैज्ञानिक

जहां बाढ़ का खौफ था : नेपाल में मानसून के सीजन में हुई भारी बारिश के कारण बिहार के सीमावर्ती का जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. बगहा के वाल्मीकिनगर बैराज और सुपौल के वीरपुर बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण चंपारण और कोसी-मिथिलांचल के इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी. जिन खेतों में कुछ दिन पहले तक बाढ़ का पानी था वहां और पंपिंग सेट के जरिए किसान पटवन की व्यवस्था कर रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

अब सूखे की स्थिति : बेतिया, मोतिहारी, गोपालगंज, सिवान, सुपौल, सहरसा, अररिया, किशनगंज, मधुबनी, दरभंगा के कई इलाकों में बाढ़ का पानी आ गया था. 15 दिन पहले तक जहां लोगों के मन में बाढ़ का खौफ सता रहा था. वहीं अब सूखे की स्थिति बन गई है. किसान परेशान हैं कि अब कैसे खेती होगी?

''पटवन करने में पंपिंग सेट वाले 200 रु घंटा के हिसाब से पैसा लेते हैं. सिंचाई करना बहुत महंगा पड़ रहा है. सरकार के द्वारा डीजल अनुदान को लेकर निर्णय हुआ है अब देखते हैं कि वह कैसे हम लोगों को मिल पाता है. ताकि कुछ राहत हो.''- उमेश ठाकुर, दरभंगा के किसान

सरकार की तैयारी : सूखे की बनती स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार भी एक्टिव मोड में है. 2 दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सूखे को लेकर बैठक हुई. बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों को 14 घंटे बिजली उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया.

''बिहार सरकार इस मसले पर गंभीर है. सरकार ने निर्णय लिया है कि किसानों को डीजल सब्सिडी दिया जाए. कृषि विभाग ने किसानों के लिए कल से पोर्टल खोल दिया है. किसानों को इस पोर्टल पर डीजल अनुदान के लिए आवेदन करना होगा. जिन किसानों को डीजल अनुदान के दर पर जरूरत है उनके लिए उचित मात्रा में डीजल उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया गया है.''- मंगल पांडेय, कृषि मंत्री, बिहार

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता : खरीफ फसलों की सिंचाई डीजल पम्पसेट से करने के लिए खरीद किये गये डीजल पर 75 रूपये प्रति लीटर की दर से 750 रूपये प्रति एकड़ प्रति सिंचाई डीजल अनुदान दिया जायेगा. धान का बिचड़ा एवं जूट फसल की अधिकतम 2 सिंचाई के लिए 1500 रूपये प्रति एकड़ देय होगा.

कितना मिलेगा अनुदान? : धान, मक्का एवं अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी, तेलहनी, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे की अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 2,250 रूपये प्रति एकड़ देय होगा. यह अनुदान प्रति किसान अधिकतम 8 एकड़ सिंचाई के लिए देय होगा. डीजल अनुदान की राशि आवेदक के आधार से जुड़े बैंक खाते में ही दी जाएगी.

32 प्रतिशत कम वर्षा : मानसून की बारिश नहीं होने सबसे ज्यादा कुप्रभाव खेती पर पड़ रहा है. बिहार में अभी तक सामान्य रुप से 462.9 मिली मीटर वर्षा होनी चाहिए थी, परन्तु मात्र 314.3 मिली मीटर ही वर्षा हो पायी है. यानि सामान्य से 32 प्रतिशत कम वर्षा हुई है, जिसके फलस्वरुप धान की रोपनी एवं अन्य फसलों की खेती प्रभावित हुआ है.

कितने खेती का लक्ष्य निर्धारित ? : इस वर्ष धान की खेती 36,60,973 हेक्टेयर में किया जाना है, जिसके विरूद्ध 17,03,802 हेक्टेयर धान की रोपनी हुई है. इसी प्रकार इस वर्ष मक्का का खेती का लक्ष्य 2,93,887 हेक्टेयर निर्धारित किया गया है, जिसके एवज में अभी तक 1,92,018 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की बुआई हुई है.

धान की खेती का समय : धान की रोपाई का सही समय जून के तीसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के तीसरे सप्ताह का होता है. इससे पहले मई में इसका पौधा (बिचड़ा) तैयार करने का काम शुरू किया जा सकता है. मई में खेतों में धान का बिचड़ा तैयार किया जाता है. इसके बाद जून से इसकी रोपाई का काम शुरू किया जाता है. जून से लेकर जुलाई तक धान की खेती की जाती है. यही कारण है कि यहां के किसान धान खेती के लिए मानसून पर निर्भर रहते हैं.

ये भी पढ़ें :-

बिहार में कहीं सूखा कहीं बाढ़, 36 लाख हेक्टेयर धान उत्पादन के लक्ष्य पर सूखे की मार, अब तक सिर्फ 20% रोपनी - Monsoon in Bihar

CM Nitish Kumar ने सूखाग्रस्त इलाकों का किया हवाई सर्वेक्षण.. ले सकते हैं बड़ा फैसला

Bihar News: खेती के लिए किसान को मिलेगी 16 घंटे बिजली, सीएम ने अधिकारियों को दिया निर्देश

देखें ग्राउंड रिपोर्ट. (ETV Bharat)

पटना : 'इस बार मानसून की बेरुखी से खेती करने में दिक्कत हो रही है. जिन लोगों का खेत नदी के धार के किनारे है, वे लोग पंपिंग सेट से पटवन कर लेते हैं. लेकिन जिनके खेत दूर हैं उनके लिए पानी की समस्या उत्पन्न हो गई है.' ये कहना है बगहा के किसान छट्ठू चौधरी का. ये दर्द सिर्फ छट्ठू चौधरी की नहीं है, बल्कि हजारों किसान इस समस्या से जूझ रहे हैं.

किसानों के माथे पर चिंता की लकीर : दरअसल, कोसी एवं गंडक के इलाकों में 15 दिन पहले तक लोगों के सामने बाढ़ की समस्या थी और अब उनको सुखे की चिंता सताने लगी है. जिन इलाकों में नेपाल के पानी के कारण बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी वहां अब मानसून की बारिश नहीं होने के कारण खेती न होने का डर सताने लगा है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

''धान की खेती का अभी सीजन चल रहा है लेकिन पानी की कमी के कारण किसानों की खेती प्रभावित हो रही है. इस बार मानसून सीजन में मात्र दो-तीन दिन बारिश हुई यही कारण है कि पटवन की समस्या हो गई है. मानसून के बारिश की बहुत जरूरत है. किसान बारिश का इंतजार कर रहे हैं.''- छट्ठू चौधरी, बगहा के किसान

औसत से कम मानसून की बारिश : जुलाई का महीना खत्म होने वाला है और मानसून की जितनी बारिश होनी चाहिए थी उतनी बारिश नहीं हुई है. मानसून की बारिश नहीं होने का असर अब बिहार के खेतों पर दिखने लगा है. बिहार के लगभग सभी जिलों में मानसून की बारिश औसत से कम हुई है. यही कारण है कि अब नहरें एवं तालाबों के पानी भी सूखने लगे हैं. धान का कटोरा कहे जाने वाले रोहतास और उनके आसपास के जिलों में इस बार धान की खेती पर असर पड़ने लगा है.

धान की खेती में हो रही परेशानी
धान की खेती में हो रही परेशानी (ETV Bharat)

''शुरू में कुछ मानसून की बारिश हुई थी तो आशा हुई कि इस बार खेती ठीक होगी, लेकिन पूरे जुलाई महीने में मात्र दो से तीन दिन बारिश हुई है. बीच में कुछ दिनों के लिए खेतों में बाढ़ का पानी भी आया लेकिन तीन-चार दिनों में ही वह पानी भी चला गया. अब स्थिति हो गई है कि खेतों में फसल सूख रहा है. लेकिन बारिश नहीं हो रही है.''- दीनू यादव, मधुबनी के किसान

कहां-कहां कम हुई बारिश : बिहार में कई जिलों में सामान्य से बेहद कम बारिश हुई है. 26 जुलाई तक प्रदेश के 36 जिलों में औसत से कम बारिश हुई है. सहरसा, समस्तीपुर और वैशाली में सबसे कम 49 प्रतिशत बारिश हुई है. सुपौल में 40, सारण में 50, मधेपुरा में 43, पटना में 48, रोहतास में 47, भभुआ में 46, मुजफ्फरपुर में 45 प्रतिशत कम बारिश हुई है. वहीं, अररिया में 14, अरवल में 5, औरंगाबाद में 29, बांका में 19, भागलपुर में 39, भोजपुर में 37, बक्सर में 27, पूर्वी चंपारण में 20, गया में 23, गोपालगंज में 23, जहानाबाद में 30, जमुई में 26, कटिहार में 32 प्रतिशत कम बारिश हुई है.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

अगस्त-सितंबर में बारिश की संभावना : भारत मौसम विज्ञान केंद्र पटना के मौसम वैज्ञानिक आशीष कुमार का कहना है कि पूरे राज्य में 1 जून से लेकर आज तक जितनी मानसून की बारिश होनी चाहिए उसमें 31% की कमी देखी गई है. बिहार के अधिकांश जिलों में सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई है. अगले 2 महीने अगस्त और सितंबर में मानसून की बारिश हो सकती है.

''मानसून के समय जो लो प्रेशर डिप्रेशन बनते हैं. वो बिहार, यूपी, पश्चिम बंगाल की तरफ मूव करती थी. हालांकि पिछले 2 साल से दिख रहा है वे ऑफ बंगाल में जो प्रेशर बनता था जिससे बारिश होती थी. वह इधर नहीं आकर उड़ीसा, आंध्र होते हुए सेंट्रल इंडिया होते हुए मध्य प्रदेश की तरफ रुख कर जाती है. यही कारण है कि इस बार बिहार में कम बारिश हुई है.''- आशीष कुमार, मौसम वैज्ञानिक

जहां बाढ़ का खौफ था : नेपाल में मानसून के सीजन में हुई भारी बारिश के कारण बिहार के सीमावर्ती का जिलों में बाढ़ की स्थिति उत्पन्न हो गई थी. बगहा के वाल्मीकिनगर बैराज और सुपौल के वीरपुर बैराज से पानी छोड़े जाने के कारण चंपारण और कोसी-मिथिलांचल के इलाकों में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी. जिन खेतों में कुछ दिन पहले तक बाढ़ का पानी था वहां और पंपिंग सेट के जरिए किसान पटवन की व्यवस्था कर रहे हैं.

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

अब सूखे की स्थिति : बेतिया, मोतिहारी, गोपालगंज, सिवान, सुपौल, सहरसा, अररिया, किशनगंज, मधुबनी, दरभंगा के कई इलाकों में बाढ़ का पानी आ गया था. 15 दिन पहले तक जहां लोगों के मन में बाढ़ का खौफ सता रहा था. वहीं अब सूखे की स्थिति बन गई है. किसान परेशान हैं कि अब कैसे खेती होगी?

''पटवन करने में पंपिंग सेट वाले 200 रु घंटा के हिसाब से पैसा लेते हैं. सिंचाई करना बहुत महंगा पड़ रहा है. सरकार के द्वारा डीजल अनुदान को लेकर निर्णय हुआ है अब देखते हैं कि वह कैसे हम लोगों को मिल पाता है. ताकि कुछ राहत हो.''- उमेश ठाकुर, दरभंगा के किसान

सरकार की तैयारी : सूखे की बनती स्थिति को देखते हुए बिहार सरकार भी एक्टिव मोड में है. 2 दिन पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में सूखे को लेकर बैठक हुई. बैठक में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने किसानों को 14 घंटे बिजली उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया.

''बिहार सरकार इस मसले पर गंभीर है. सरकार ने निर्णय लिया है कि किसानों को डीजल सब्सिडी दिया जाए. कृषि विभाग ने किसानों के लिए कल से पोर्टल खोल दिया है. किसानों को इस पोर्टल पर डीजल अनुदान के लिए आवेदन करना होगा. जिन किसानों को डीजल अनुदान के दर पर जरूरत है उनके लिए उचित मात्रा में डीजल उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया गया है.''- मंगल पांडेय, कृषि मंत्री, बिहार

ईटीवी भारत GFX
ईटीवी भारत GFX (ETV Bharat)

सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता : खरीफ फसलों की सिंचाई डीजल पम्पसेट से करने के लिए खरीद किये गये डीजल पर 75 रूपये प्रति लीटर की दर से 750 रूपये प्रति एकड़ प्रति सिंचाई डीजल अनुदान दिया जायेगा. धान का बिचड़ा एवं जूट फसल की अधिकतम 2 सिंचाई के लिए 1500 रूपये प्रति एकड़ देय होगा.

कितना मिलेगा अनुदान? : धान, मक्का एवं अन्य खरीफ फसलों के अंतर्गत दलहनी, तेलहनी, मौसमी सब्जी, औषधीय एवं सुगन्धित पौधे की अधिकतम 3 सिंचाई के लिए 2,250 रूपये प्रति एकड़ देय होगा. यह अनुदान प्रति किसान अधिकतम 8 एकड़ सिंचाई के लिए देय होगा. डीजल अनुदान की राशि आवेदक के आधार से जुड़े बैंक खाते में ही दी जाएगी.

32 प्रतिशत कम वर्षा : मानसून की बारिश नहीं होने सबसे ज्यादा कुप्रभाव खेती पर पड़ रहा है. बिहार में अभी तक सामान्य रुप से 462.9 मिली मीटर वर्षा होनी चाहिए थी, परन्तु मात्र 314.3 मिली मीटर ही वर्षा हो पायी है. यानि सामान्य से 32 प्रतिशत कम वर्षा हुई है, जिसके फलस्वरुप धान की रोपनी एवं अन्य फसलों की खेती प्रभावित हुआ है.

कितने खेती का लक्ष्य निर्धारित ? : इस वर्ष धान की खेती 36,60,973 हेक्टेयर में किया जाना है, जिसके विरूद्ध 17,03,802 हेक्टेयर धान की रोपनी हुई है. इसी प्रकार इस वर्ष मक्का का खेती का लक्ष्य 2,93,887 हेक्टेयर निर्धारित किया गया है, जिसके एवज में अभी तक 1,92,018 हेक्टेयर क्षेत्र में मक्का की बुआई हुई है.

धान की खेती का समय : धान की रोपाई का सही समय जून के तीसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के तीसरे सप्ताह का होता है. इससे पहले मई में इसका पौधा (बिचड़ा) तैयार करने का काम शुरू किया जा सकता है. मई में खेतों में धान का बिचड़ा तैयार किया जाता है. इसके बाद जून से इसकी रोपाई का काम शुरू किया जाता है. जून से लेकर जुलाई तक धान की खेती की जाती है. यही कारण है कि यहां के किसान धान खेती के लिए मानसून पर निर्भर रहते हैं.

ये भी पढ़ें :-

बिहार में कहीं सूखा कहीं बाढ़, 36 लाख हेक्टेयर धान उत्पादन के लक्ष्य पर सूखे की मार, अब तक सिर्फ 20% रोपनी - Monsoon in Bihar

CM Nitish Kumar ने सूखाग्रस्त इलाकों का किया हवाई सर्वेक्षण.. ले सकते हैं बड़ा फैसला

Bihar News: खेती के लिए किसान को मिलेगी 16 घंटे बिजली, सीएम ने अधिकारियों को दिया निर्देश

Last Updated : Jul 27, 2024, 11:12 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.