नई दिल्ली: लद्दाख के पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक का एक कथित वीडियो सोशल मीडिया पर साझा कर दावा किया गया कि उन्होंने कश्मीर के लिए जनमत संग्रह की मांग की है. हालांकि, न्यूज एजेंसी पीटीआई के फैक्ट चेक में पाया गया कि वांगचुक के इंटरव्यू के एक खास हिस्से को अलग कर भ्रामक दावों के साथ सोशल मीडिया पर साझा किया गया. प्रसिद्ध इंजीनियर और पर्यावरणविद् सोनम वांगचुक ने हाल ही में लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और इसे संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने समेत अन्य मांगों को लेकर शून्य से नीचे तापमान में 21 दिन तक अनशन किया था.
दावा: फेसबुक पर एक यूजर ने 19 मई को सोनम वांगचुक का वीडियो शेयर करते हुए दावा किया कि उन्होंने कश्मीर के लिए जनमत संग्रह की मांग की है. वीडियो के कैप्शन में लिखा, मैग्सेसे पुरस्कार के असली रंग अब सामने आ रहे हैं... संदिग्ध कार्यकर्ता सोनम वांगचुक लेह में कश्मीर के लिए जनमत संग्रह की मांग कर रहे हैं. अब, वह अलगाववादी बन गए हैं. पर्यावरणविद् तो केवल एक मुखौटा था.
फैक्ट चेक: पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने वीडियो की सत्यतता की जांच के लिए जब इनविड टूल सर्च ( InVid Tool Search) में वीडियो चलाया तो कई कीफ्रेम (Keyframe) पाए गए. गूगल लेंस के जरिये एक कीफ्रेम को रन करने पर एक ही तरह वाले दावों के साथ एक ही वीडियो से जुड़े कई पोस्ट मिले. यहां ऐसे तीन पोस्ट देखे जा सकते हैं और उनके आर्काइव्ड वर्जन भी देखे जा सकते हैं. कथित वीडियो को X पर कई बार साझा किया गया था. इसके बाद फैक्ट चेक डेस्क ने खास कीवर्ड के साथ Google में सर्च किया और वांगचुक के इंटरव्यू का पूरा वीडिया पाया, जिसकी क्लिप सोशल मीडिया पर साझा की गई थी.
दो वीडियो के दृश्यों की तुलना करने वाली एक छवि नीचे दी गई है:
15:35 मिनट के वीडियो को देखने के दौरान 14:50 मिनट के टाइमस्टैम्प से वायरल वीडियो क्लिप मिली. मुख्य वीडियो में, वांगचुक छठी अनुसूची और इसके महत्व पर चर्चा कर रहे हैं. 14:23 मिनट के टाइमस्टैम्प पर इंटरव्यू करने वाला सोनम से करगिल के निवासियों के बारे में उनके विचार पूछता है, जो कश्मीर के साथ मजबूती से जुड़े हुए हैं. जिस पर वह जवाब देते हैं, 'मैं यही पूछ रहा था ताकि लोग अपने विचार रख सकें. लेकिन अगर यह पूरे क्षेत्र या आबादी का है... तो हम प्रार्थना करेंगे और यह सुनिश्चित करने के लिए कड़ी मेहनत करेंगे. दुनिया का कोई भी क्षेत्र हो...खुश रहना चाहिए. लोग जहां चाहें वहां जाने के लिए स्वतंत्र होने चाहिए. आपने जनमत संग्रह के बारे में तो सुना ही होगा. तो, अगर हर कोई ऐसा ही सोचता है, तो कश्मीर में क्यों नहीं?
यहां यह बताना जरूरी है कि लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) और कारगिल डेमोक्रेटिक एलायंस (केडीए) के प्रतिनिधियों ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति के साथ कई बैठकें की हैं. इस दौरान उन्होंने छठी अनुसूची के कार्यान्वयन, राज्य का दर्जा, नौकरी में आरक्षण, लद्दाख के लिए एक अलग लोक सेवा आयोग और लेह व करगिल के लिए दो लोकसभा सीटों की मांग की है. एलएबी और केडीए क्रमश: लेह और करगिल क्षेत्रों के सामाजिक, राजनीतिक और धार्मिक समूहों का प्रतिनिधित्व करते हैं.
इसके बाद पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने सोनम वांगचुक के आधिकारिक सोशल मीडिया हैंडल (एक्स और फेसबुक) की जांच की और एक वीडियो मिला जिसमें उन्होंने वायरल वीडियो पर स्पष्टीकरण दिया है. 20 मई, 2024 के इस पोस्ट के साथ उन्होंने लिखा, 'यह देखकर दुख हुआ कि मेरे बयान को इस तरह तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया कि उसे पहचाना नहीं जा सका. लेकिन मैं समझ सकता हूं कि मेरे वीडियो के डॉक्टर्ड वर्जन को उसके संदर्भ से बाहर किए जाने पर कैसे गलत समझा जा सकता है. कृपया सच फैलाएं, झूठ नहीं. सत्यमेव जयते.
फैक्ट चेक डेस्क ने गूगल पर एक और कस्टमाइज कीवर्ड से सर्च किया और 20 मई को द वीक पर पब्लिश पीटीआई की एक रिपोर्ट मिली. जिसका शीर्षक है- सोनम वांगचुक ने कश्मीर के लिए जनमत संग्रह के संबंध में कोई बयान नहीं दिया है. रिपोर्ट के मुताबिक, सोनम वांगचुक ने पीटीआई से कहा कि उनके बयान को तोड़-मरोड़कर पेश किया गया और संदर्भ से बाहर उन्हें कोट किया गया.
उन्होंने कहा कि करगिल के एक नेता ने कहा कि लद्दाख को कश्मीर में फिर से मिलाया जाना चाहिए. मैंने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि अगर यह उनका निजी विचार है तो ठीक है, लेकिन अगर करगिल के सभी लोगों को ऐसा लगता है, तो वे ऐसा कर सकते हैं. लेकिन लद्दाख केंद्रशासित प्रदेश बना रहेगा. हमें फिर से कश्मीर के साथ जाने में कोई दिलचस्पी नहीं है. उनका यही संदर्भ था. लेकिन इंटरव्यू की एक छोटी सी क्लिप इस तरह दिखाई गई कि ऐसा लग रहा था कि मैं कश्मीर के बारे में बात कर रहा हूं और देश विरोधी बयान दे रहा हूं.
राज्य का दर्जा नहीं मिलने पर जम्मू-कश्मीर में फिर से विलय के संबंध में करगिल के कुछ नेताओं के बयानों पर एक सवाल के जवाब में वांगचुक ने कहा था, यह कुछ लोगों की निजी राय हो सकती है. लेकिन अगर किसी को लगता है कि वे जम्मू-कश्मीर के साथ जाना चाहते हैं, तो सरकार इस पर विचार कर सकती है.
इसके बाद पीटीआई ने वायरल वीडियो पर प्रतिक्रिया के लिए वांगचुक से संपर्क किया. उन्होंने कहा कि बयान को तोड़-मरोड़कर पेश करना और छोटे क्लिप को प्रसारित करना दुखद है. चाहे उनके साथ हो या केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ, जैसा कि हाल में हुआ. किसी के बयान को तोड़ मरोड़ कर पेश करना ठीक नहीं है. उन्होंने कश्मीर पर कुछ नहीं कहा है.
इस तरह गहन जांच के बाद पीटीआई फैक्ट चेक डेस्क ने पाया कि वांगचुक के इंटरव्यू के एक खास हिस्से को अलग कर संदर्भ से हटकर पेश किया गया और भ्रामक दावों के साथ सोशल मीडिया पर साझा किया गया.
निष्कर्ष
कई सोशल मीडिया यूजर्स ने पर्यावरणविद् और जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक का डॉक्टर्ड वीडियो साझा किया और दावा किया कि उन्होंने कश्मीर के लिए जनमत संग्रह की मांग की. लेकिन फैक्ट चेक में पाया गया कि वांगचुक के इंटरव्यू के एक खास भाग को गलत संदर्भ में पेश किया गया और भ्रामक जानकारी फैलाने की कोशिश की गई.
नोट: पीटीआई ने इस फैक्ट चेक रिपोर्ट को प्रकाशित किया है. ईटीवी भारत द्वारा इसे फिर से प्रकाशित किया गया है.
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