नई दिल्ली : चुनावी साल में भाजपा यूपीए सरकार के 10 के शासन के दौरान कथित वित्तीय कुप्रबंधन को लेकर आक्रमक नजर आ रही है. भाजपा ने बार-बार आरोप लगाया है कि केंद्र में अपने 10 साल के शासन के दौरान कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के तहत वित्तीय कुप्रबंधन हुआ. अब इस मुद्दे पर अपना 'श्वेत पत्र' लेते हुए, भाजपा हर राज्य में रिपोर्ट पेश करेगी. इस रिपोर्ट के माध्यम से भाजपा मतदाताओं को बताने का प्रयास करेगी कि कैसे पिछले सत्तारूढ़ गठबंधन ने कथित तौर पर देश पर वित्तीय संकट पैदा किया और किस तरह से यूपीए सरकार भ्रष्टाचार में लिप्त रही थी.
भाजपा के एक शीर्ष सूत्र ने कहा कि लोकसभा चुनाव नजदीक आने पर राज्य के नेता प्रेस कॉन्फ्रेंस, नुक्कड़ सभाओं और अन्य मंचों के माध्यम से कांग्रेस के नेतृत्व वाले यूपीए के खिलाफ केंद्र के 'श्वेत पत्र' को लोगों तक ले जाएंगे. सूत्र ने कहा कि भाजपा ने उच्च जोखिम वाले लोकसभा चुनावों के लिए अपनी रणनीति और चुनावी रोडमैप तैयार कर ली है.
संसद के चल रहे बजट सत्र के बीच, केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार को लोकसभा में यूपीए वर्षों के दौरान राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की स्थिति पर एक 'श्वेत पत्र' पेश किया. वह शुक्रवार को निचले सदन में एक प्रस्ताव पेश करेंगी, जिसमें 'श्वेत पत्र' पर चर्चा की मांग की जाएगी. इस श्वेत पत्र में पिछले कांग्रेस शासित गठबंधन के खिलाफ आरोपों की झड़ी लगाई गई थी. यूपीए सरकार को मनमाने आधार पर भारतीय अर्थव्यवस्था को चलाने का आरोप लगाया गया था.
अपने 'श्वेत पत्र' में, भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए ने कहा कि जब 2014 में भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार सत्ता में आई, तो अर्थव्यवस्था नाजुक स्थिति में थी, सार्वजनिक वित्त खराब स्थिति में था, आर्थिक कुप्रबंधन और वित्तीय अनुशासनहीनता थी, और बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार था. लगभग 60 पेज के 'श्वेत पत्र' में आगे कहा गया कि बैंकिंग संकट यूपीए सरकार की सबसे महत्वपूर्ण और कुख्यात विरासतों में से एक था.