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दक्षिण कोरियाई प्रधानमंत्री से मुलाकात पर विदेश मंत्री जयशंकर बोले, 'अच्छी शुरूआत...'

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 6, 2024, 3:33 PM IST

विदेश मंत्री एस जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के पहले चरण में सियाल पहुंचे. उन्होंने मंगलवार को दक्षिण कोरियाई प्रधान मंत्री हान डक-सू से मुलाकात कर द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की.

External Affairs Minister S Jaishankar on Tuesday called on South Korean Prime Minister (Photo - Social Media)
विदेश मंत्री जयशंकर ने दक्षिण कोरियाई प्रधानमंत्री हान डक-सू से मुलाकात की (फोटो - सोशल मीडिया)

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री हान डक-सू से भेंट की और उनके साथ द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की. जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के पहले चरण में सियोल आए हैं.

विदेश मंत्री जयशंकर बुधवार को कहा, 'भारत ने संबंधों को और अधिक समकालीन बनाने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, अर्धचालक, हरित हाइड्रोजन, मानव संसाधन गतिशीलता, परमाणु सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन आदि जैसे नए क्षेत्रों में दक्षिण कोरिया के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने में रुचि व्यक्त की है'. उनकी टिप्पणी तब आई जब उन्होंने आज यहां नई दिल्ली में 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की.

अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, '2015 में प्रधान मंत्री की यात्रा के दौरान, भारत और कोरिया के बीच संबंध एक विशेष रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ गए थे. हमें उस पर खरा उतरना होगा. बीते वर्षों में हम और अधिक सशक्त हुए हैं. हम वास्तव में एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण भागीदार बन गए हैं.

जयशंकर ने जोड़ा, 'हमारे द्विपक्षीय आदान-प्रदान - व्यापार, निवेश, रक्षा और एस एंड टी सहयोग, सभी में लगातार वृद्धि देखी गई है. सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों में गति बनाए रखते हुए, अब हम इसे नए क्षेत्रों, जैसे महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, अर्धचालक, हरित हाइड्रोजन, मानव संसाधन गतिशीलता, परमाणु सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन, आदि में विस्तारित करने में बहुत रुचि लेंगे. हमारे संबंधों को और अधिक समसामयिक बनाने के लिए'. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और कोरिया के बीच विचारों में समानता बढ़ रही है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना एक अच्छा मामला है और इसकी स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि में दोनों का योगदान है.

उन्होंने संयुक्त आयोग की बैठक के दोहराया कि दोनों देशों के बीच जबरदस्त सद्भावना है और चुनौती इसे व्यावहारिक परिणामों में बदलने की है. हमारे नेता पिछले साल हिरोशिमा और नई दिल्ली में दो बार मिल चुके हैं. मुझे लगता है कि उनकी चर्चाओं ने हमें आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया है. उन्होंने कहा, "हमारे नेता पिछले साल हिरोशिमा और नई दिल्ली में दो बार मिले हैं. मुझे लगता है कि उनकी चर्चाओं ने हमें आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया है'.

इससे पहले, जयशंकर ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट किया, ‘सियोल में आज दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री हान डक-सू से भेंट कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं. भारत-दक्षिण कोरिया संबंधों के प्रति उनकी सकारात्मक भावना की प्रशंसा करता हूं तथा कल होने वाली संयुक्त आयोग की 10 वीं बैठक से पहले उनके मार्गदर्शन के महत्व को स्वीकारता हूं'.

उन्होंने लिखा, ‘मेरी दक्षिण कोरिया की यात्रा की अच्छी शुरुआत हुई. आज सियोल में राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशक चांग हो-जिन से मुलाकात की. इंडो-पैसिफिक और समकालीन क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हमारे साझा अभिसरण पर एक उपयोगी चर्चा हुई'.

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की यात्रा से पहले नई दिल्ली में कहा था कि उम्मीद है कि जेसीएम द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण आयाम की व्यापक समीक्षा करेगा और इसे और मजबूत करने के रास्ते तलाशेगा. विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह दोनों पक्षों को आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर भी प्रदान करेगा.

पढ़ें: एक देश की वजह से दक्षेस के पुनरुद्धार की संभावना नहीं : भारत

नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री हान डक-सू से भेंट की और उनके साथ द्विपक्षीय संबंधों को और बढ़ाने के तौर-तरीकों पर चर्चा की. जयशंकर दक्षिण कोरिया और जापान की चार दिवसीय यात्रा के पहले चरण में सियोल आए हैं.

विदेश मंत्री जयशंकर बुधवार को कहा, 'भारत ने संबंधों को और अधिक समकालीन बनाने के लिए महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, अर्धचालक, हरित हाइड्रोजन, मानव संसाधन गतिशीलता, परमाणु सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन आदि जैसे नए क्षेत्रों में दक्षिण कोरिया के साथ अपनी रणनीतिक साझेदारी का विस्तार करने में रुचि व्यक्त की है'. उनकी टिप्पणी तब आई जब उन्होंने आज यहां नई दिल्ली में 10वीं भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता की.

अपनी प्रारंभिक टिप्पणी में, विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, '2015 में प्रधान मंत्री की यात्रा के दौरान, भारत और कोरिया के बीच संबंध एक विशेष रणनीतिक साझेदारी तक बढ़ गए थे. हमें उस पर खरा उतरना होगा. बीते वर्षों में हम और अधिक सशक्त हुए हैं. हम वास्तव में एक-दूसरे के लिए महत्वपूर्ण भागीदार बन गए हैं.

जयशंकर ने जोड़ा, 'हमारे द्विपक्षीय आदान-प्रदान - व्यापार, निवेश, रक्षा और एस एंड टी सहयोग, सभी में लगातार वृद्धि देखी गई है. सहयोग के पारंपरिक क्षेत्रों में गति बनाए रखते हुए, अब हम इसे नए क्षेत्रों, जैसे महत्वपूर्ण और उभरती प्रौद्योगिकियों, अर्धचालक, हरित हाइड्रोजन, मानव संसाधन गतिशीलता, परमाणु सहयोग, आपूर्ति श्रृंखला लचीलापन, आदि में विस्तारित करने में बहुत रुचि लेंगे. हमारे संबंधों को और अधिक समसामयिक बनाने के लिए'. उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भारत और कोरिया के बीच विचारों में समानता बढ़ रही है. इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना एक अच्छा मामला है और इसकी स्थिरता, सुरक्षा और समृद्धि में दोनों का योगदान है.

उन्होंने संयुक्त आयोग की बैठक के दोहराया कि दोनों देशों के बीच जबरदस्त सद्भावना है और चुनौती इसे व्यावहारिक परिणामों में बदलने की है. हमारे नेता पिछले साल हिरोशिमा और नई दिल्ली में दो बार मिल चुके हैं. मुझे लगता है कि उनकी चर्चाओं ने हमें आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया है. उन्होंने कहा, "हमारे नेता पिछले साल हिरोशिमा और नई दिल्ली में दो बार मिले हैं. मुझे लगता है कि उनकी चर्चाओं ने हमें आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान किया है'.

इससे पहले, जयशंकर ने मंगलवार को एक्स पर पोस्ट किया, ‘सियोल में आज दक्षिण कोरिया के प्रधानमंत्री हान डक-सू से भेंट कर सम्मानित महसूस कर रहा हूं. भारत-दक्षिण कोरिया संबंधों के प्रति उनकी सकारात्मक भावना की प्रशंसा करता हूं तथा कल होने वाली संयुक्त आयोग की 10 वीं बैठक से पहले उनके मार्गदर्शन के महत्व को स्वीकारता हूं'.

उन्होंने लिखा, ‘मेरी दक्षिण कोरिया की यात्रा की अच्छी शुरुआत हुई. आज सियोल में राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशक चांग हो-जिन से मुलाकात की. इंडो-पैसिफिक और समकालीन क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर हमारे साझा अभिसरण पर एक उपयोगी चर्चा हुई'.

विदेश मंत्रालय ने जयशंकर की यात्रा से पहले नई दिल्ली में कहा था कि उम्मीद है कि जेसीएम द्विपक्षीय सहयोग के संपूर्ण आयाम की व्यापक समीक्षा करेगा और इसे और मजबूत करने के रास्ते तलाशेगा. विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह दोनों पक्षों को आपसी हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान का अवसर भी प्रदान करेगा.

पढ़ें: एक देश की वजह से दक्षेस के पुनरुद्धार की संभावना नहीं : भारत

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