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Jharkhand Election 2024: इंडिया गठबंधन की जीत की क्या रही वजह, एनडीए को जनता ने क्यों नकारा, क्या कहते हैं जानकार - ASSEMBLY ELECTION 2024

झारखंड विधानसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन की जीत क्या वजह रही, इस बारे में जानकारों ने अपनी राय दी है.

Jharkhand Election 2024
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 23, 2024, 6:48 PM IST

रांची: झारखंड की जनता ने एक बार फिर हेमंत सोरेन के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन को सत्ता की चाबी सौंप दी है. राज्य बनने के बाद ऐसा पहली बार हुआ है, जब हेमंत सोरेन के नेतृत्व में झामुमो और कांग्रेस गठबंधन को लगातार दूसरी बार बहुमत मिला है.

इस उपलब्धि के साथ हेमंत सोरेन राज्य के पहले ऐसा नेता बन जाएंगे जो चौथी बार सीएम पद संभालेंगे. इस जीत से इंडिया ब्लॉक (झामुमो, कांग्रेस, राजद, भाकपा-माले) के खेमे में जबरदस्त खुशी का माहौल है. अब सवाल है कि राज्य की जनता ने इंडिया ब्लॉक को लगातार दूसरी बार मौका क्यों दिया. एनडीए को मौका क्यों नहीं मिला.

वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्रा के मुताबिक इंडिया गठबंधन की जीत और एनडीए की हार के पीछे की कई वजह रहीं. इंडिया गठबंधन 'मांझी, मोमिन और मंईया' को साधने में सफल रहा. मांझी यानी आदिवासी समाज, मोमिन यानी मुस्लिम समाज और मंईयां यानी आधी आबादी. ऊपर से महतो वोट के डिवीजन ने एनडीए को चौतरफा नुकसान पहुंचाया. सबसे खास बात यह रही कि पूरे चुनाव के दौरान ऊपर से भाजपा का काम अच्छा दिख रहा था लेकिन जमीनी तौर पर उसका कोई असर नहीं था. भाजपा के तमाम बड़े नेता हेलिकॉप्टर उड़ाते रह गये.

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक पांच ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से इंडिया ब्लॉक को लोगों ने चुना है. पहली वजह है मंईयां सम्मान योजना. हेमंत सोरेन ने 1000 रु.प्रति माह की वजह 2,500 रु. प्रति माह देने की घोषणा कर महिलाओं में एक उमंग पैदा कर दी थी. साथ में 450 रु. में एलपीजी देने का वादा काम कर गया.

दूसरी वजह है हेमंत सोरेन का जेल जाना. इस मसले पर आदिवासी समाज में फैली नाराजगी को भाजपा दूर नहीं कर पाई. तीसरी वजह कल्पना सोरेन रहीं. उन्होंने हेमंत सोरेन के जेल में रहने के बाद पार्टी की ना सिर्फ कमान संभाली बल्कि कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने में सफल रहीं. चौथा कारण असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा का आक्रामक रुख रहा. बांग्लादेशी घुसपैठ और बटेंगे तो कटेंगे का नारा बैक फायर कर गया. क्योंकि यहां स्थानीयता सबसे संवेदनशील मुद्दा रहा है. इसको भाजपा ने टच नहीं किया.

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक चुनाव के ठीक पहले बिजली बिल माफी और किसानों की कर्ज माफी की घोषणा से हेमंत सोरेन जनता के बीच विश्वास पैदा करने में कामयाब रहे. साथ ही इस चुनाव में जेएलकेएम की एंट्री से कुर्मी वोट में बिखराव ने आजसू को कमजोर कर दिया. इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा. वहीं इसके ठीक विपरीत कांग्रेस ने जबरदस्त परफॉर्म किया. राजद ने भी बता दिया कि झारखंड में उसकी पकड़ आज भी बरकरार है.

आपको बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों में इंडिया गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की है. इंडिया गठबंधन को 56 सीटें मिलीं, वहीं एनडीए सिर्फ 24 सीटों पर सिमट गई. इस चुनाव में जेएमएम सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जेएमएम ने 34 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी 21, कांग्रेस 16, आरजेडी 4, सीपीआई (एमएल) 2, एलजेपी आर 1, आजसू 1, जदयू 1 और जेएलकेएम 1 सीट जीतने में सफल रही.

यह भी पढ़ें:

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इस उपलब्धि के साथ हेमंत सोरेन राज्य के पहले ऐसा नेता बन जाएंगे जो चौथी बार सीएम पद संभालेंगे. इस जीत से इंडिया ब्लॉक (झामुमो, कांग्रेस, राजद, भाकपा-माले) के खेमे में जबरदस्त खुशी का माहौल है. अब सवाल है कि राज्य की जनता ने इंडिया ब्लॉक को लगातार दूसरी बार मौका क्यों दिया. एनडीए को मौका क्यों नहीं मिला.

वरिष्ठ पत्रकार बैजनाथ मिश्रा के मुताबिक इंडिया गठबंधन की जीत और एनडीए की हार के पीछे की कई वजह रहीं. इंडिया गठबंधन 'मांझी, मोमिन और मंईया' को साधने में सफल रहा. मांझी यानी आदिवासी समाज, मोमिन यानी मुस्लिम समाज और मंईयां यानी आधी आबादी. ऊपर से महतो वोट के डिवीजन ने एनडीए को चौतरफा नुकसान पहुंचाया. सबसे खास बात यह रही कि पूरे चुनाव के दौरान ऊपर से भाजपा का काम अच्छा दिख रहा था लेकिन जमीनी तौर पर उसका कोई असर नहीं था. भाजपा के तमाम बड़े नेता हेलिकॉप्टर उड़ाते रह गये.

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक पांच ऐसे कारण हैं जिनकी वजह से इंडिया ब्लॉक को लोगों ने चुना है. पहली वजह है मंईयां सम्मान योजना. हेमंत सोरेन ने 1000 रु.प्रति माह की वजह 2,500 रु. प्रति माह देने की घोषणा कर महिलाओं में एक उमंग पैदा कर दी थी. साथ में 450 रु. में एलपीजी देने का वादा काम कर गया.

दूसरी वजह है हेमंत सोरेन का जेल जाना. इस मसले पर आदिवासी समाज में फैली नाराजगी को भाजपा दूर नहीं कर पाई. तीसरी वजह कल्पना सोरेन रहीं. उन्होंने हेमंत सोरेन के जेल में रहने के बाद पार्टी की ना सिर्फ कमान संभाली बल्कि कार्यकर्ताओं में उत्साह भरने में सफल रहीं. चौथा कारण असम के सीएम हिमंता बिस्वा सरमा का आक्रामक रुख रहा. बांग्लादेशी घुसपैठ और बटेंगे तो कटेंगे का नारा बैक फायर कर गया. क्योंकि यहां स्थानीयता सबसे संवेदनशील मुद्दा रहा है. इसको भाजपा ने टच नहीं किया.

वरिष्ठ पत्रकार शंभुनाथ चौधरी के मुताबिक चुनाव के ठीक पहले बिजली बिल माफी और किसानों की कर्ज माफी की घोषणा से हेमंत सोरेन जनता के बीच विश्वास पैदा करने में कामयाब रहे. साथ ही इस चुनाव में जेएलकेएम की एंट्री से कुर्मी वोट में बिखराव ने आजसू को कमजोर कर दिया. इसका खामियाजा भाजपा को उठाना पड़ा. वहीं इसके ठीक विपरीत कांग्रेस ने जबरदस्त परफॉर्म किया. राजद ने भी बता दिया कि झारखंड में उसकी पकड़ आज भी बरकरार है.

आपको बता दें कि झारखंड विधानसभा चुनाव के नतीजों में इंडिया गठबंधन ने शानदार जीत दर्ज की है. इंडिया गठबंधन को 56 सीटें मिलीं, वहीं एनडीए सिर्फ 24 सीटों पर सिमट गई. इस चुनाव में जेएमएम सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. जेएमएम ने 34 सीटें जीतीं, जबकि बीजेपी 21, कांग्रेस 16, आरजेडी 4, सीपीआई (एमएल) 2, एलजेपी आर 1, आजसू 1, जदयू 1 और जेएलकेएम 1 सीट जीतने में सफल रही.

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