नई दिल्ली : इस समय सोने की कीमत प्रति 10 ग्राम 64,500 रु. है. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इसकी कीमत 70 हजार रु. तक पहुंच सकती है. इसके पीछे की प्रमुख वजह वैश्विक तनाव, अमरीकी फेड बैंक की नीति और सोने की खरीद को लेकर बढ़ता क्रेज शामिल है.
रिद्धि-सिद्धि बुलियंस के मैनेजिंग डायरेक्टर पृथ्वीराज कोठारी ने कहा कि सोने की कीमत पहले से बढ़ी हुई है. पिछले दो ट्रेडिंग सेशंस में घरेलू स्तर पर दाम में 70 डॉलर का इजाफा हो चुका है. यह दो हजार डॉलर से लेकर 2060 डॉलर के रेंज को पार कर गया है. यह जनवरी और फरवरी का रेंज था. पिछले सप्ताह न्यूयॉर्क कम्युनिटी बैंककॉर्प के शेयरों में गिरावट देखने को मिला था. इसकी वजह से न सिर्फ कीमत बढ़ी, बल्कि यूएस बैंकिंग क्राइसिस 2.0 को लेकर भी अंदेशा होने लगा है.
कोठारी ने कहा कि इस सप्ताह निवेशकों में फोमो फैक्टर की वजह से खरीदारी बढ़ी. फोमो फैक्टर का मतलब होता है कि आप लेफ्ट आउट महसूस कर रहे हैं, यानि आप उसे किसी भी हाल में खरीदना चाह रहे हैं. ऊपर से फेड बैंक की स्थिति, लगातार वैश्विक तनाव, और फोमो फैक्टर की वजह से निवेशकों के बीच बढ़ते डिमांड ने कीमतें ऊपर भगा दीं. इसके अलावा रुपये में गिरावट जारी है. इसलिए भारत में सोने की कीमत में इजाफा देखने को मिल रहा है. शॉर्ट टर्म में कीमत 65 हजार रु. और लॉंग टर्म में इसकी कीमत 70 हजार रुपये तक पहुंच सकती है.
कामा जूलरी के प्रबंध निदेशक कोलिन शाह ने कहा कि फरवरी महीने में सोने की कीमत में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली. ऐसा लगता है कि इस साल के अंत तक कीमत 70 हजार रु. तक जाएगी. अमेरिका में रेट कट को लेकर चर्चा हो रही है, साल के अंत तक इसे चार फीसदी तक लाने को लेकर कयास लगाए जा रहे हैं, इस पृष्ठभूमि में देखेंगे तो सोने की कीमत बढ़ेगी.
घरेलू स्तर पर देखें तो खपत दर बढ़ी है. अनिश्चित (राजनीतिक और आर्थिक) वातावरण में लोग सोने को सुरक्षित निवेश मानते हैं. कीमत निर्धारण में डिमांड बड़ी भूमिक निभाता है.
कोटक सिक्योरिटीज के रविंद्र राव ने कहा कि सोमवार को कॉमोडिटी एक्सचेंज बाजार सबसे ऊंचे स्तर पर बंद हुआ. यह अभी 2152.3 डॉलर पर ट्रेड कर रहा है. पिछले सप्ताह कमजोर अमेरिकी आर्थिक आंकड़ों से इस धारणा में सुधार हुआ कि फेडरल रिजर्व अगले आने वाले महीनों में दरों में कटौती शुरू कर सकता है. हाल ही में, फेड गवर्नर वालर ने कहा कि वह फेड की हिस्सेदारी को अल्पकालिक कोषागारों के बड़े हिस्से की ओर स्थानांतरित करने के पक्ष में हैं. बाजार अब फेड पॉलिसी, फेड गवर्नर पॉवेल के बयान, नौकरियों के डेटा और यूएस आईएसएम सर्विसेस पर पहले से अधिक ध्यान दे रहा है. इन्हीं संकेतकों के आधार पर कीमतों में हलचल देखने को मिलेगी.
ये भी पढ़ें : 2024 में बढ़ेगी सोने की डिमांड, ये है वजह