नई दिल्ली: इंसानों के बर्ड फ्लू (H5N1) इन्फ्लूएंजा वायरस से संक्रमित होने के बाद दुनिया भर के स्वास्थ्य विशेषज्ञों की भौंहें तन गई हैं. कुछ समय पहले अमेरिका के टेक्सास में एक मरीज में H5N1 इन्फ्लूएंजा वायरस का पता चला था. जिसके बाद विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने जीवत पशु बाजारों, फार्मों और जीवित पोल्ट्री जैसे उच्च जोखिम वाले वातावरण के संपर्क से बचने का सुझाव दिया है. डब्ल्यूएचओ के दिशानिर्देश के बाद भारत में स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को किसी भी संभावित प्रकोप के प्रबंधन और प्रतिक्रिया के सतर्क रहना होगा. वैसे भारत में एच5एन1 बर्ड फ्लू का इंसानों में संक्रमण का कोई भी मामला सामने नहीं आया है. हालांकि इसके बावजूद इस भयानक प्रकोप का खतरा बना हुआ है. जिससे भारत जैसे देश को सावधान रहने की जरूरत है.
बर्ड फ्लू ले सकता है महामारी का रूप!
ऐतिहासिक रूप से, भारत में एवियन इन्फ्लूएंजा का प्रकोप देखा गया है. यह वायरस उन मनुष्यों को संक्रमित करने में सक्षम है जिनका प्रभावित पोल्ट्री के साथ सीधा-सीधा संपर्क है. जिससे संभावित रूप से हल्के श्वसन समस्याओं से लेकर जीवन घातक तक के लक्षण पैदा हो सकते हैं. एशियन सोसाइटी फॉर इमरजेंसी मेडिसिन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. तमोरिश कोले ने ईटीवी भारत को बताया कि, आमतौर पर भारत में बर्ड फ्लू का प्रकोप मानसून के बाद और गर्मियों की शुरुआत के बीच होता है, जो अक्सर जनवरी के सर्दियों के महीने में चरम पर होता है. Bird Flu महामारी न बने इसके लिए भारत सहित हर देश को वायरस के म्यूटेशन (Mutation) की संभावना और पशु और मानव स्वास्थ्य दोनों के लिए खतरे के कारण निरंतर निगरानी की आवश्यकता है. डॉ. कोले ने कहा कि सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को किसी भी संभावित प्रकोप के प्रबंधन और प्रतिक्रिया के लिए सतर्क रहना चाहिए.
H5N1 कोरना वायरस से अधिक खतरनाक क्यों है?
H5N1 बर्ड फ्लू वायरस का संभावित प्रभाव विशेषज्ञों के बीच चिंता का विषय है. विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने 2003 से H5N1 वायरस के लिए 50 प्रतिशत से अधिक की मृत्यु दर की सूचना दी है, जो वर्तमान COVID-19 की मृत्यु दर 0.1 प्रतिशत से काफी अधिक है. उन्होंने कहा, 'यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि हाल ही में अमेरिका में दो H5N1 मामलों का पता चला था और दुनिया भर के स्वास्थ्य अधिकारियों द्वारा स्थिति पर बारीकी से नजर रखी जा रही है.'
इंसानों को सतर्क रहने की जरूरत
वैसे ही जानवरों से फैलने वाला इन्फ्लूएंजा वायरस आम तौर पर पशुओं में फैलता है. जिससे इंसानों को सतर्क रहने की जरूरत है, क्योंकि यह मनुष्यों को भी संक्रमित कर सकता है. मनुष्यों में संक्रमण मुख्य रूप से संक्रमित जानवरों या दूषित वातावरण के सीधे संपर्क के माध्यम से फैलता है. इस तरह के इन्फ्लूएंजा ए वायरस को एवियन इन्फ्लूएंजा, स्वाइन इन्फ्लूएंजा, या अन्य प्रकार के पशु इन्फ्लूएंजा वायरस के रूप में बांटा गया है. मनुष्यों में एवियन इन्फ्लूएंजा वायरस संक्रमण Mild Upper Respiratory Tract के संक्रमण से लेकर अधिक गंभीर बीमारियों तक का कारण बन सकता है और यह अत्यधिक घातक हो सकता है.Conjunctivitis, गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल लक्षण, एन्सेफलाइटिस और एन्सेफैलोपैथी की भी सूचना मिली है. बिना लक्षण वाले व्यक्तियों में भी A(H5N1) वायरस के कई मामले पाए गए हैं, जो नमूना एकत्र करने से पहले के दिनों में संक्रमित पक्षियों के संपर्क में थे. एक रिपोर्ट के मुताबिक, 2003 से 25 मार्च, 2024 तक, 23 देशों से विश्व स्वास्थ्य संगठन को इंसानों में इन्फ्लूएंजा ए (एच5एन1) के संक्रमण के कुल 888 मामले पाए गए. जिनमें 463 मौतें भी शामिल हैं.एवियन इन्फ्लूएंजा ए(एच5एन1) से मानव संक्रमण के लगभग सभी मामले संक्रमित जीवित या मृत पक्षियों, या दूषित वातावरण के निकट संपर्क से जुड़ा होना पाया गया.
कैसे बचे बर्ड फ्लू से
डब्ल्यूएचओ की हालिया दिशानिर्देशों में के इंसानों को उच्च जोखिम वाले वातावरण जैसे जीवित पशु बाजारों और फार्मों और जीवित पोल्ट्री, या सतहों के संपर्क से बचने की सलाह दी गई है. इस तरह के संक्रमण से बचने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने लोगों से बार-बार हाथ धोने या अल्कोहल-आधारित हैंड सैनिटाइजकर के उपयोग करने की सलाह लोगों को दी गई है. इन बीमारियों से अगर बचना है तो पशुओं की एकाएक हो रही मौतों के बारे में पशु चिकित्सा अधिकारियों को सूचित करने की सलाह दी गई है. अगर कोई व्यक्ति गंभीर रूप से बीमार है तो उसकी भी जानकारी संबंधित अधिकारियों को दी जानी चाहिए. विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि बर्ड फ्लू से बचने के लिए मरे हुए मुर्गे के सेवन से दूर रहना चाहिए. कुल मिलाकर इंसानों में H5N1 फ्लू को रोकने के लिए पक्षियों के साथ संपर्क से बचना अति आवश्यक है. साथ ही इस तरह के रोग से आप ग्रसित न हो इसके लिए व्यक्ति को सुरक्षा के हर पहलू पर ध्यान रखना होगा. तभी बर्ड फ्लू जैसी बीमारी को महामारी बनने से रोका जा सकता है.
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