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आखिर क्या चाहते हैं एकनाथ शिंदे... अपने गांव सतारा क्यों निकल लिए? पिक्चर शायद अभी बाकी है

महाराष्ट्र में महायुति की जीत के बाद भी सीएम का पद फाइनल नहीं हो पा रहा है. वहीं एकनाथ शिंदे अपने गांव सतारा के लिए निकल लिए. सूत्रों की माने तो मुद्दा मराठा और ब्राह्मण के बीच भी फंस सकता है. लेकिन इस स्थिति का फायदा सबसे ज्यादा विपक्ष को मिल रहा है. बहरहाल लगातार हो रही देरी ने महाराष्ट्र के सीएम पद पर सस्पेंस बढ़ा दिया है. ईटीवी भारत की वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की रिपोर्ट...

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महाराष्ट्र में सीएम पद को लेकर सस्पेंस बरकरार.. (Etv Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 29, 2024, 9:35 PM IST

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सीएम पद को लेकर जिस तरह सस्पेंस बढ़ता जा रहा उसे देखते हुए सवाल ये भी उठ रहा कि क्या देवेंद्र फडणवीस की राह में अभी रोड़े हैं या नईं जिम्मेदारी की तैयारी हो रही है. सवाल यह भी है कि, क्या मराठा और ब्राह्मण के बीच पेंच फंस रही है. हालांकि, सीएम पद को लेकर दावेदारी सबसे ज्यादा फडणवीस की ही है. लेकिन एकनाथ शिंदे ग्रुप के दबाव के कारण भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है.

देवेंद्र फडणवीस ब्राह्मण समाज से आते हैं. विधायको में उनके कद के हिसाब से उनके बराबर का कोई और है भी नहीं. लेकिन राज्य में मराठा की नाराजगी लोकसभा चुनाव में में झेल चुकी बीजेपी आगे आने वाले नगर निगम चुनाव में रिस्क भी नहीं लेना चाहती इसलिए ब्राह्मण मुख्यमंत्री पद को लेकर भी माथापच्ची चल रही है. ऐसे में कई सवाल हैं... क्या भाजपा कोई तीसरा फॉर्मूले निकालने की तैयारी में है,?क्या शिंदे की नाराजगी से बीजेपी दोबारा सोचने पर मजबूर हो रही है? क्या भाजपा राजस्थान और एमपी की तरह महाराष्ट्र में भी कुछ चौंकाने वाले फैसले कर सकती है?आखिर जीत के बावजूद देरी क्यों ?

महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंस को लेकर ईटीवी भारत की रिपोर्ट.... (ETV Bharat)

ये सवाल इसलिए भी उठाएं जा रहे हैं, क्योंकि मुंबई में शुक्रवार को महायुति की बैठक होने वाली थी मगर एकनाथ शिंदे दिल्ली से वापस होकर सीधे अपने गांव चले गए. जिस पर अटकलों और चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है. साथ ही कई नामों पर भी चर्चा शुरू हो गई. बहरहाल, फडणवीस केंद्र में अमित शाह और पीएम मोदी दोनों के ही काफी करीबी माने जाते रहें हैं और शाह के हमेशा से पसंद भी रहे हैं.

मगर राज्य की राजनीति में एक धड़ा ऐसा भी है जो हमेशा से ये मानता रहा है कि, ठाकरे परिवार से दूरी की वजह भी मुख्य रूप से फडणवीस ही रहे हैं और ऐसे में अगर किसी और नाम को बढ़ाया जाता है, जो मराठा भी हो तो एक तीर से कई निशाने साधे जा सकते हैं.

महाराष्ट्र में सरकार बनने में हो रही देरी की वजह कई नाम भी चर्चा भी है, जिसमें मुरलीधर मोहोल के अलावा सुधीर मुनगंटीवार जैसे नाम भी सामने आ रहे है जो मराठा छत्रप जैसी बातों के काट भी हो सकते हैं. वैसे चुनाव से पहले विनोद तावड़े का नाम भी लिया गया लेकिन कैश कांड ने उन्हें रेस से बाहर कर दिया.

अंदरखाने लोग ये भी बात कह रहे कि, फडणवीस जब राज्यसभा के चुनाव लड़ रहे थे तब उसी हितेंद्र ठाकुर और उनके बेटे अमेरिका से फडणवीस की पहल पर वोट करने आ गए थे. वहीं, हाल में दोनों पिता-पुत्र 4 घंटे तक कार्यकर्ताओं के साथ हंगामा करते रहे. ऐसे में जब राज्य में देवेंद्र फडणवीस गृहमंत्री हैं तो राज्य की पुलिस क्या कर रही थी. पार्टी सूत्रों की माने तो इस बात को लेकर आलाकमान भी काफी नाराज हुए थे जिस पर सफाई भी मांगी गई थी.

इस मुद्दे पर सवाल करने पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला का कहना है कि, उनका गठबंधन बड़ा है और जब लोग चुनाव जीतकर आते हैं तो जनादेश का ख्याल करना पड़ता है. इसमें कई सारी चीजों का भी ध्यान रखना पड़ता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, महाराष्ट्र में जल्दी ही सरकार बन जाएगी और एक लोकप्रिय सरकार बनेगी, इस बात की वो गारंटी देते हैं.

महाराष्ट्र में महायुति की जीत के बाद भी सीएम का पद फाइनल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में विपक्ष को फायदा मिल रहा है. वह बार-बार यह कह रही कि, महायुति की जीत होने के बाद भी एकता नजर नहीं आ रही है तो फिर पांच साल सरकार कैसे चलेगी. बहरहाल लगातार हो रही देरी ने महाराष्ट्र के सीएम पद पर सस्पेंस बढ़ा दिया है ,और सवाल अब देवेंद्र फडणवीस की उम्मीदवारी पर भी उठने लगी हैं, ऐसा लग रहा कि महायुति में सब तय है मगर भाजपा में चीजें अभी तय होना बाकी है.

ये भी पढ़ें: क्या देवेंद्र फडणवीस की जगह ये बनेंगे मुख्यमंत्री? BJP दोहराएगी एमपी-राजस्थान वाला फॉर्मूला!

नई दिल्ली: महाराष्ट्र के सीएम पद को लेकर जिस तरह सस्पेंस बढ़ता जा रहा उसे देखते हुए सवाल ये भी उठ रहा कि क्या देवेंद्र फडणवीस की राह में अभी रोड़े हैं या नईं जिम्मेदारी की तैयारी हो रही है. सवाल यह भी है कि, क्या मराठा और ब्राह्मण के बीच पेंच फंस रही है. हालांकि, सीएम पद को लेकर दावेदारी सबसे ज्यादा फडणवीस की ही है. लेकिन एकनाथ शिंदे ग्रुप के दबाव के कारण भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है.

देवेंद्र फडणवीस ब्राह्मण समाज से आते हैं. विधायको में उनके कद के हिसाब से उनके बराबर का कोई और है भी नहीं. लेकिन राज्य में मराठा की नाराजगी लोकसभा चुनाव में में झेल चुकी बीजेपी आगे आने वाले नगर निगम चुनाव में रिस्क भी नहीं लेना चाहती इसलिए ब्राह्मण मुख्यमंत्री पद को लेकर भी माथापच्ची चल रही है. ऐसे में कई सवाल हैं... क्या भाजपा कोई तीसरा फॉर्मूले निकालने की तैयारी में है,?क्या शिंदे की नाराजगी से बीजेपी दोबारा सोचने पर मजबूर हो रही है? क्या भाजपा राजस्थान और एमपी की तरह महाराष्ट्र में भी कुछ चौंकाने वाले फैसले कर सकती है?आखिर जीत के बावजूद देरी क्यों ?

महाराष्ट्र में सीएम पर सस्पेंस को लेकर ईटीवी भारत की रिपोर्ट.... (ETV Bharat)

ये सवाल इसलिए भी उठाएं जा रहे हैं, क्योंकि मुंबई में शुक्रवार को महायुति की बैठक होने वाली थी मगर एकनाथ शिंदे दिल्ली से वापस होकर सीधे अपने गांव चले गए. जिस पर अटकलों और चर्चाओं का बाजार गरम हो गया है. साथ ही कई नामों पर भी चर्चा शुरू हो गई. बहरहाल, फडणवीस केंद्र में अमित शाह और पीएम मोदी दोनों के ही काफी करीबी माने जाते रहें हैं और शाह के हमेशा से पसंद भी रहे हैं.

मगर राज्य की राजनीति में एक धड़ा ऐसा भी है जो हमेशा से ये मानता रहा है कि, ठाकरे परिवार से दूरी की वजह भी मुख्य रूप से फडणवीस ही रहे हैं और ऐसे में अगर किसी और नाम को बढ़ाया जाता है, जो मराठा भी हो तो एक तीर से कई निशाने साधे जा सकते हैं.

महाराष्ट्र में सरकार बनने में हो रही देरी की वजह कई नाम भी चर्चा भी है, जिसमें मुरलीधर मोहोल के अलावा सुधीर मुनगंटीवार जैसे नाम भी सामने आ रहे है जो मराठा छत्रप जैसी बातों के काट भी हो सकते हैं. वैसे चुनाव से पहले विनोद तावड़े का नाम भी लिया गया लेकिन कैश कांड ने उन्हें रेस से बाहर कर दिया.

अंदरखाने लोग ये भी बात कह रहे कि, फडणवीस जब राज्यसभा के चुनाव लड़ रहे थे तब उसी हितेंद्र ठाकुर और उनके बेटे अमेरिका से फडणवीस की पहल पर वोट करने आ गए थे. वहीं, हाल में दोनों पिता-पुत्र 4 घंटे तक कार्यकर्ताओं के साथ हंगामा करते रहे. ऐसे में जब राज्य में देवेंद्र फडणवीस गृहमंत्री हैं तो राज्य की पुलिस क्या कर रही थी. पार्टी सूत्रों की माने तो इस बात को लेकर आलाकमान भी काफी नाराज हुए थे जिस पर सफाई भी मांगी गई थी.

इस मुद्दे पर सवाल करने पर पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रेम शुक्ला का कहना है कि, उनका गठबंधन बड़ा है और जब लोग चुनाव जीतकर आते हैं तो जनादेश का ख्याल करना पड़ता है. इसमें कई सारी चीजों का भी ध्यान रखना पड़ता है. साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि, महाराष्ट्र में जल्दी ही सरकार बन जाएगी और एक लोकप्रिय सरकार बनेगी, इस बात की वो गारंटी देते हैं.

महाराष्ट्र में महायुति की जीत के बाद भी सीएम का पद फाइनल नहीं हो पा रहा है. ऐसे में विपक्ष को फायदा मिल रहा है. वह बार-बार यह कह रही कि, महायुति की जीत होने के बाद भी एकता नजर नहीं आ रही है तो फिर पांच साल सरकार कैसे चलेगी. बहरहाल लगातार हो रही देरी ने महाराष्ट्र के सीएम पद पर सस्पेंस बढ़ा दिया है ,और सवाल अब देवेंद्र फडणवीस की उम्मीदवारी पर भी उठने लगी हैं, ऐसा लग रहा कि महायुति में सब तय है मगर भाजपा में चीजें अभी तय होना बाकी है.

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