हल्द्वानी: बनभूलपुरा हिंसा को कई बार यहां की मजहबी दूरियों से परिभाषित किया जा रहा है, लेकिन हकीकत यह है कि 'मलिक का बगीचाट से शुरू हुई हिंसा कभी सांप्रदायिक थी ही नहीं, इसकी शुरुआत अवैध अतिक्रमण से हुई. हिंसा होने के बाद भी इसका हिंदू और मुस्लिम संबंधों पर कोई असर नहीं पड़ा है. इतना जरूर है कि हिंसा के नाम पर इसे सांप्रदायिक रंग देने की कोशिशें राजनीतिक रूप से की जाती रहीं, लेकिन ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट के दौरान यह बात सामने आई कि इस हिंसा का मोटे-मोटे तौर पर हिंदू मुस्लिम संबंधों में कोई असर नहीं पड़ा है.
हिंदू और मुस्लिम संबंधों का केंद्र बनभूलपुरा: हल्द्वानी के काठगोदाम से चंद दूरी पर बनभूलपुरा का इलाका हिंदू और मुस्लिम बेहतर संबंधों का केंद्र रहा है. इस क्षेत्र में दोनों ही समुदाय के लोग एक साथ रहते हैं. इतिहास में कभी कोई बड़ी हिंसा का उदाहरण भी यहां नहीं मिलता है. खास बात यह है कि बनभूलपुरा हिंसा ने भी इन संबंधों में मोटे तौर पर कोई असर नहीं डाला है. यह बात इसलिए कही जा सकती है क्योंकि हिंसा के दौरान जिन परिवारों ने अपनों को खो दिया वो भी इस पूरी घटना को सांप्रदायिक रूप से देखते ही नहीं हैं.
'मलिक का बगीचा' क्षेत्र में जेसीबी लेकर घुसी पुलिस, और नगर निगम के कर्मचारी-अधिकारी अधूरी तैयारी के साथ यहां पहुंचे थे. ये बात घटना के हालातों से स्पष्ट होती है. शुरुआत में इस घटना को अतिक्रमण हटाने पहुंची प्रशासन की टीम और एक समुदाय विशेष के लोगों का आक्रोश के रूप में देखा गया, लेकिन इसके बाद आगजनी और कर्फ्यू के हालात के बीच इस पूरे प्रकरण को सांप्रदायिक रूप से देखा जाने लगा. माना गया कि एक समुदाय विशेष ने तमाम प्रतिष्ठानों और इलाके में मौजूद घरों को निशाना बनाकर पत्थरबाजी और आगजनी की.
क्रिया की प्रतिक्रिया से बढ़ा तनाव: पिछले दशकों से बनभूलपूरा में रहने वाली 75 साल की मुमताज कहती हैं वनभूलपुरा में हुई हिंसा कभी सांप्रदायिक थी ही नहीं, यह केवल अतिक्रमण को लेकर लोगों का आक्रोश था. इसमें भी आग लगाने वाले कौन थे वह नहीं जानती. अचानक प्रशासन की टीम की अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई से लोग आक्रोशित थे. इसके बाद पुलिस की तरफ से पत्थरबाजी और लोगों की तरफ से भी प्रतिक्रिया हुई. इस पूरी घटना का हिंदू मुस्लिम के संबंधों से कोई लेना-देना नहीं है. कल भी दोनों ही समुदाय के लोग एक साथ रहकर एक दूसरे की जरूरत में काम आते थे, आज भी हिंदुओं से इस घटना को लेकर किसी भी तरह का गिला या शिकवा नहीं है.
हिंदू और मुस्लिम परिवारों के दशकों से संबंध: इसी इलाके में रहने वाली गुड्डू भी मुमताज की बात दोहराती हुई दिखाई देती है. हिंदू और मुस्लिम परिवारों के दशकों पुराने संबंधों का जिक्र करते हुए वह कहती हैं उनके आसपास कई नेपाली परिवार भी रहते हैं, लेकिन कभी किसी के बीच कोई भी मनमुटाव नहीं रहा. इस क्षेत्र में दिक्कत केवल इस बात की रही है कि कुछ लोग बाहर से आते हैं और ऐसी घटना को अंजाम दे देते हैं. जिससे तनाव की स्थिति पैदा हो जाती है.
'मलिक का बगीचा' जहां ये पूरी घटना हुई वहां निवास करने वाले बुजुर्ग कहते हैं इस क्षेत्र में कई हिंदू परिवार रहते हैं, सभी एक दूसरे की मदद करते हैं. वह कहते हैं आमने-सामने हमारी दुकान हैं. हम सभी को एक दूसरे की जरूरत भी पड़ती है. कभी भी इस जगह पर हिंदू मुस्लिम तनाव नहीं हुआ है.
घरों की छतों पर भगवा झंडों की मौजूदगी: इस इलाके में लोगों के आपसी सामंजस्य की स्थिति को इन घरों पर लगे झंडे भी जाहिर करते हैं. हालांकि, यह पूरा इलाका मुस्लिम बाहुल्य है, लेकिन कुछ हिंदू परिवार जो इस क्षेत्र में रहते हैं उनकी छतों पर भगवा झंडे आसानी से दिखाई देते हैं. कुल मिलाकर स्थानीय लोगों के मन में किसी तरह की कोई खटास आपसी तनाव यहां नहीं दिखाई देता है. इतना जरूर है कि उसे घटना के बाद प्रशासन को लेकर नाराजगी कुछ लोगों में है. उनकी बातें और बयान स्पष्ट है कि इस घटना का संप्रदाय से कोई ताल्लुक नहीं है. यहां हिंदू मुस्लिम भाईचारा पहले की ही तरह आज भी कायम है.
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