देहरादून: उत्तराखंड में ग्लोबल वार्मिंग का सीधा असर मौसमीय बदलाव के रूप में दिखाई देने लगा है. मैदानी क्षेत्रों में हिटवेव का खतरा तो ऊच्च हिमलायी क्षेत्रों में बर्फबारी के हालात वैज्ञानिकों को हैरान कर रहे हैं. खास बात यह है कि मौजूदा परिस्थितियों ने प्रदेश के लिए दोहरी चुनौतियां भी खड़ी कर रही है. हिटवेव से बचाव की कोशिशों के साथ चारधाम यात्रा होने के चलते ऊच्च हिमलायी क्षेत्रों में बर्फबारी के लिए भी सरकार को तैयार रहना पड़ रहा है. पर्यावरणीय बदलावों को लेकर ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट.
ग्लोबल वार्मिंग वैसे तो पूरी दुनिया में कई नए पर्यावरणीय खतरों को बढ़ा रहा है, लेकिन उत्तराखंड में इसके व्यापक असर सीधे तौर पर दिखाई दे रहे हैं. इस बार राज्य में हिटवेव और बर्फबारी एक साथ हो रही है. यह स्थितियां देखकर वैज्ञानिक भी हैरान है और इसके लिए एक वजह उत्तराखंड की भौगोलिक स्थिति को भी मानते हैं.
भीषण गर्मी और बर्फबारी का कॉम्बिनेशन: यहां पर मैदानी और पर्वतीय क्षेत्र दोनों है और कम दूरी पर ही मौसम में काफी अंतर भी देखा जाता है, लेकिन एक ही प्रदेश में कम डिस्टेंस के बावजूद भीषण गर्मी और बर्फबारी का ये कॉम्बिनेशन वैज्ञानिकों और सरकार को भी परेशान करने वाला है. हालांकि मौसम वैज्ञानिक रोहित थपलियाल कहते हैं कि प्रदेश में भौगोलिक परिस्थियां भी इसकी जिम्मेदार है और ग्लोबल वार्मिंग के कारण मौसमिय परिस्थितियां बदल रही है, जो सबके लिए एक बड़ी चिंता है.
मई में बर्फबारी ने बढ़ाई चिंता: उत्तराखंड में चारधाम यात्रा की शुरुआत हो चुकी है. ऐसे में बड़ी संख्या में श्रद्धालु देवभूमि पहुंच रहे है. इस दौरान उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों में कही पर बर्फबारी तो कही-कही पर बारिश देखने को मिल रही है, जिससे इन इलाकों में तापमान सामान्य से नीचे चला गया है. वैसे सरकार और प्रशासन अपने-अपने स्तर पर बर्फबारी से निपटने की तैयारी कर रहा है और श्रद्धालुओं से भी अपील की जा रही है कि वो गर्म कपड़े लेकर ही चारधाम यात्रा पर आए.
वनाग्नि की घटनाएं भी मौसम में तब्दीली ला रही है: इसके अलावा वनाग्नि की घटनाएं भी मौसम में तब्दीली ला रही है. जंगलों की आग के कारण आसपास के तापमान में इससे बदलाव देखा जा रहा है और ये स्थिति मौसम को गर्म कर रही है. इस कारण से प्रदेश में मौमस को लेकर दोहरी चुनौतियां खड़ी हो गई है.
बर्फबारी के साथ हिटवेव का खतरा: एक तरफ जहां उच्च हिमालयी क्षेत्रों में बर्फबारी ने परेशानी खड़ी कर रखी है तो वहीं मैदानी क्षेत्र में हिटवेव के खतरों से निपटने का दबाव है. यानी एक ही राज्य में बर्फबारी और हीट वेव दोनों तरह की परिस्थितियों के लिए अलग-अलग तैयारी करनी पड़ रही है.
प्रदेश में मौसम की दौहरी चुनौती: उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग के सचिव रंजीत सिन्हा भी मानते है कि यह स्थिति काफी हैरान करने वाली है कि राज्य में एक तरफ चारधाम यात्रा शुरू होने के साथ ऊंचे स्थानों पर बर्फबारी के लिए तैयारी हो रही है और दूसरी तरफ हीट वेव के खतरों पर भी चिंतन किया जा रहा है. प्रदेश में यह स्थिति दोहरी चुनौतियों वाली है.
भविष्य के लिए चिंता पैदा करने वाली स्थितियां: देश और दुनिया में ग्लोबल वार्मिंग के कई तरह के आसार दिखाई दे रहे हैं. गर्म हो रही पृथ्वी के लिए यह स्थितियां चिंता पैदा करने वाली भी है. उत्तराखंड में जिस तरह मौसम में तब्दीली दिखाई दे रही है, उसने पर्यावरणविदों को भी चिंता में डाल दिया है. अब सर्दियों और गर्मियों के अलावा मानसून के सीजन में समय का अंतर दिखाई देने लगा है. बारिश का चक्र भी बदला है. खास तौर पर उत्तराखंड में तो कम समय में ज्यादा बारिश का ट्रेंड लगातार बढ़ रहा है. जिसने उत्तराखंड में मानसून सीजन या इससे पहले की प्राकृतिक आपदा के खतरे को काफी ज्यादा बढ़ा दिया है.
ग्लोबल वार्मिंग से गर्म हो रही पृथ्वी: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी इसको लेकर कई तरह के अध्ययन हो चुके हैं और वैज्ञानिक यह बात स्पष्ट कर चुके हैं कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण पृथ्वी तेजी से गर्म हो रही है. उधर इंसानों की विकास की अंधी दौड़ ने वायुमंडल में गैसों के संतुलन को भी बदल कर रख दिया है. धीरे-धीरे कार्बन डाइऑक्साइड की मात्रा वायुमंडल में बढ़ने से भी जिंदगियां खतरे में है.
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