लोहरदगा: पिछले कई लोकसभा चुनावों से लोहरदगा लोकसभा सीट से अपना भाग्य आजमाने की कोशिश कर रहे आदिवासी नेता चमरा लिंडा की एंट्री लोहरदगा लोकसभा सीट में चुनावी समीकरण को गड़बड़ा सकती है. गुमला जिले के तीनों विधानसभा क्षेत्र में बेहद मजबूत पकड़ रखने वाले चमरा लिंडा के निर्दलीय चुनाव लड़ने को लेकर अटकलों का बाजार गर्म है.
हालांकि अब तक चमरा लिंडा खामोशी धारण किए हुए हैं. जिसकी वजह से भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिए अलर्ट का सायरन बज रहा है. चमरा लिंडा निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो लोहरदगा लोकसभा सीट पर क्या असर पड़ेगा, जानिए इस विशेष रिपोर्ट में.
हर बार अपनी उपस्थिति से चुनावी गणित को प्रभावित करते रहे हैं चमरा लिंडा. इस बार उनकी संभावित एंट्री की इसलिए भी चर्चा तेज हो गई है क्योंकि भाजपा ने अपने सीटिंग सांसद सुदर्शन भगत का टिकट काटकर समीर उरांव को प्रत्याशी बना दिया है. समीर उरांव की राजनीतिक जमीन भी बिशनपुर में ही है, लिहाजा चमरा मैदान में उतरते हैं तो सीधा उनको प्रभावित करेंगे.
वर्तमान में झारखंड मुक्ति मोर्चा के बिशुनपुर विधानसभा के विधायक चमरा लिंडा आदिवासी समाज में एक मजबूत पकड़ रखते हैं. चमरा लिंडा के निर्दलीय चुनाव लड़ने को लेकर खूब चर्चा हो रही है. हालांकि ना तो झारखंड मुक्ति मोर्चा की ओर से इस संबंध में कोई बयान सामने आया है और ना ही चमरा लिंडा ने ही कोई बयान दिया है. फिर भी राजनीतिक गलियारे में इसकी चर्चा है.
यह चर्चा आम है कि चमरा लिंडा को यदि झारखंड मुक्ति मोर्चा लोहरदगा लोकसभा सीट से अपना प्रत्याशी नहीं बनाती है, तब वह ऐसी स्थिति में निर्दलीय चुनाव लड़ सकते हैं. यह तो कल की बात है, परंतु यह भी समझना जरूरी है कि आखिर चमरा लिंडा के निर्दलीय चुनाव लड़ने की स्थिति को लेकर कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी के लिए क्या स्थिति हो सकती है. दरअसल, चमरा लिंडा ने जब-जब लोहरदगा लोकसभा सीट में चुनाव लड़ा है, तब-तब लोहरदगा लोकसभा सीट पर चुनावी गणित क्या रहा है, इसे समझते हैं.
लोहरदगा लोकसभा सीट पर 2004 में लड़ा था पहला चुनाव
चमरा लिंडा ने साल 2004 में लोहरदगा लोकसभा सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पहली बार लोकसभा चुनाव लड़ा था. इस चुनाव में कांग्रेस पार्टी की ओर से डॉक्टर रामेश्वर उरांव, भारतीय जनता पार्टी की ओर से प्रोफेसर दुखा भगत चुनाव मैदान में थे. साल 2004 का लोकसभा चुनाव लोहरदगा लोकसभा सीट से डॉ. रामेश्वर उरांव जीत गए थे.
डॉ. रामेश्वर उरांव को इस चुनाव में 223920 वोट मिले थे. वहीं दूसरे स्थान पर भारतीय जनता पार्टी के प्रोफेसर दुखा भगत थे. प्रोफेसर दुखा भगत को इस चुनाव में 133665 वोट हासिल हुए थे. जबकि निर्दलीय प्रत्याशी चमरा लिंडा को इस चुनाव में 58947 वोट हासिल हुए थे.
साल 2009 के लोकसभा चुनाव की बात करें तो इस चुनाव में भारतीय जनता पार्टी की ओर से सुदर्शन भगत, कांग्रेस पार्टी की ओर से डॉ. रामेश्वर उरांव और निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चमरा लिंडा चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव को भारतीय जनता पार्टी के सुदर्शन भगत ने जीत लिया था.
चुनाव में सुदर्शन भगत को 144628 वोट प्राप्त हुए थे. वहीं सभी को चौंकाते हुए चमरा लिंडा इस चुनाव में दूसरे स्थान पर रहे थे. चमरा लिंडा को इस चुनाव में 136345 वोट मिले थे. जबकि कांग्रेस के डॉक्टर रामेश्वर उरांव इस चुनाव में तीसरे स्थान पर चले गए थे. डॉ. रामेश्वर उरांव को चुनाव में 129622 वोट प्राप्त हुए थे.
साल 2014 के लोकसभा चुनाव में फिर एक बार चमरा लिंडा चुनाव मैदान में थे. हालांकि तब वह ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ रहे थे. भारतीय जनता पार्टी की ओर से सुदर्शन भगत और कांग्रेस पार्टी की ओर से डॉ. रामेश्वर उरांव चुनाव मैदान में थे. इस चुनाव को सुदर्शन भगत ने बेहद करीबी मुकाबले में जीता था. चुनाव में सुदर्शन भगत को 226666 वोट, डॉ. रामेश्वर उरांव को 220177 वोट और चमरा लिंडा को 118355 वोट मिले थे.
क्या कहते हैं राजनीतिक विश्लेषक
लोहरदगा लोकसभा सीट को लेकर बेहद रोचक स्थिति नजर आ रही है. चमरा लिंडा के निर्दलीय चुनाव लड़ने की स्थिति में चुनावी समीकरण बेहद दिलचस्प हो जाएगा. वरिष्ठ पत्रकार लोकेश केसरी कहते हैं कि यदि चमरा लिंडा निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं, तब यहां पर त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.
पहले भी इस तरह के आंकड़े रहे हैं. अब तक के चुनावी आंकड़े यह दर्शाते हैं कि कहीं ना कहीं इसका नुकसान कांग्रेस पार्टी को हो सकता है. आदिवासी वोट का बिखराव होगा और इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है. हालांकि चुनाव को लेकर कोई ठोस आकलन नहीं किया जा सकता, परंतु इतना तय है कि चमरा लिंडा का चुनाव मैदान में होना लोहरदगा लोकसभा सीट के चुनावी गणित को नए परिणाम के साथ प्रस्तुत कर सकता है.
वह कहते हैं कि मतदाताओं के मन को टटोलना आसान नहीं है. परिणाम यदि इससे अलग भी होता है, तो उसमें आश्चर्य नहीं होना चाहिए. राजनीतिक विश्लेषक और भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता संजय बर्मन कहते हैं कि चमरा लिंडा के चुनाव लड़ने की स्थिति में त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है.
हार और जीत को लेकर कोई टिप्पणी नहीं करेंगे, परंतु इतना तय है कि चुनाव बेहद दिलचस्प होगा. चमरा लिंडा एक विशेष क्षेत्र में सक्रिय हैं. ऐसे में उनके चुनाव मैदान में होने की स्थिति में क्या असर होगा, यह तो आने वाले वक्त में ही पता चलेगा, परंतु भाजपा-कांग्रेस के प्रत्याशी और चमरा लिंडा के चुनाव मैदान में होने की स्थिति में मुकाबला बेहद रोचक हो सकता है.
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