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कांग्रेस प्रियंका गांधी के चुनावी पदार्पण का इंतजार कर रही थी : अमेठी सांसद केएल शर्मा

Waynad By poll, कांग्रेस पार्टी को प्रियंका गांधी के चुनावी पदार्पण का इंतजार था. उक्त बातें अमेठी के सांसद केएल शर्मा ने कहीं.

Amethi MP KL Sharma
अमेठी सांसद केएल शर्मा (file photo-ANI)
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By Amit Agnihotri

Published : 3 hours ago

नई दिल्ली : कांग्रेस इस दिन का इंतजार कर रही थी, जब प्रियंका गांधी ने केरल की वायनाड संसदीय सीट से अपना नामांकन दाखिल किया. उक्त बातें गांधी परिवार के वफादार और अमेठी के सांसद केएल शर्मा ने कही. शर्मा, जो पिछले चार दशकों से उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार के गढ़ अमेठी और रायबरेली संसदीय क्षेत्रों का प्रबंधन करते रहे हैं, ने याद किया कि कैसे प्रियंका ने 2004 में अमेठी में राहुल के पहले चुनाव से पहले मतदाताओं से अपने भाई का परिचय कराया था.

बता दें कि दो दशक बाद राहुल गांधी ने अपनी बहन को वायनाड के मतदाताओं से मिलवाया, जिसका उन्होंने 2019 से 2024 तक लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने कहा, "आज मेरे लिए यह एक भावुक क्षण था. वायनाड के लोग बड़ी संख्या में प्रियंका गांधी का उत्साहवर्धन करने के लिए आए थे. नामांकन में शामिल अमेठी के सांसद केएल शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा, "जब इंदिरा गांधी 1980 में आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से जीती थीं, तो दक्षिण के लोग उन्हें इंदिराम्मा कहते थे.

आज, उन्होंने प्रियंका गांधी में इंदिराम्मा को देखा." शर्मा का खुद का चुनावी पदार्पण काफी नाटकीय रहा. वे पिछले चालीस सालों से प्रियंका गांधी को अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों का प्रबंधन करने में मदद कर रहे थे और 2024 के चुनावों के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे थे. इस बीच अटकलें लगाई जा रही थीं कि 2019 में अमेठी से हारने वाले राहुल फिर से अपनी पूर्व सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि प्रियंका गांधी रायबरेली में अपनी मां सोनिया गांधी की जगह ले सकती हैं, जो राज्यसभा में चली गई हैं.

राहुल ने रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया और परिवार के वफादार शर्मा को अमेठी से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया, क्योंकि प्रियंका ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (प्रियंका) मुख्य लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह पार्टी के काम में व्यस्त थीं, लेकिन राहुल गांधी द्वारा रायबरेली सीट बरकरार रखने का फैसला करने के बाद वायनाड के कार्यकर्ताओं ने भावनात्मक अपील की कि गांधी परिवार का एक सदस्य सदन में उनका प्रतिनिधित्व करे.

शर्मा ने कहा, ‘‘इसके बाद प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ने के लिए राजी हुईं.’’ "उन्होंने अमेठी के मतदाताओं से मुझे चुनने का आग्रह किया और उन्होंने उसी के अनुसार प्रतिक्रिया दी. जब मैं चुनाव जीता तो मैं अभिभूत था. उन्होंने रायबरेली में भी राहुल के लिए कड़ी मेहनत की. मैंने सालों से भाई-बहन के रूप में उनके बंधन को देखा है." उन्होंने कहा, "2004 में प्रियंका ने लोकसभा चुनाव से पहले राहुल को विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूहों से परिचित कराया था. वह 1989 से अपने पिता राजीव गांधी के साथ इस क्षेत्र का दौरा करती रही हैं."

अमेठी सांसद के अनुसार, लोकसभा में प्रियंका की मौजूदगी पार्टी सांसदों में ऊर्जा भरेगी और बहस का स्तर भी बढ़ेगा. उन्होंने कहा, "वह एक प्रखर वक्ता और स्वाभाविक नेता हैं. वह पार्टी और विपक्ष को मजबूत करने में राहुल गांधी के साथ मिलकर काम करेंगीं." शर्मा ने कहा, "वह पिछले कई दशकों से देशभर में पार्टी पदाधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं. 2019 में एआईसीसी का पद स्वीकार करने और अब चुनावी शुरुआत करने तक सक्रिय राजनीति से दूर रहने का फैसला उनका ही था, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता इस दिन का इंतजार कर रहे थे. यह कांग्रेस में एक नए युग की शुरुआत की तरह है."

ये भी पढ़ें - वायनाड से प्रियंका गांधी ने किया नामांकन, बोलीं- पहली बार अपने लिए किया चुनाव प्रचार

नई दिल्ली : कांग्रेस इस दिन का इंतजार कर रही थी, जब प्रियंका गांधी ने केरल की वायनाड संसदीय सीट से अपना नामांकन दाखिल किया. उक्त बातें गांधी परिवार के वफादार और अमेठी के सांसद केएल शर्मा ने कही. शर्मा, जो पिछले चार दशकों से उत्तर प्रदेश में गांधी परिवार के गढ़ अमेठी और रायबरेली संसदीय क्षेत्रों का प्रबंधन करते रहे हैं, ने याद किया कि कैसे प्रियंका ने 2004 में अमेठी में राहुल के पहले चुनाव से पहले मतदाताओं से अपने भाई का परिचय कराया था.

बता दें कि दो दशक बाद राहुल गांधी ने अपनी बहन को वायनाड के मतदाताओं से मिलवाया, जिसका उन्होंने 2019 से 2024 तक लोकसभा में प्रतिनिधित्व किया. उन्होंने कहा, "आज मेरे लिए यह एक भावुक क्षण था. वायनाड के लोग बड़ी संख्या में प्रियंका गांधी का उत्साहवर्धन करने के लिए आए थे. नामांकन में शामिल अमेठी के सांसद केएल शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा, "जब इंदिरा गांधी 1980 में आंध्र प्रदेश की मेडक सीट से जीती थीं, तो दक्षिण के लोग उन्हें इंदिराम्मा कहते थे.

आज, उन्होंने प्रियंका गांधी में इंदिराम्मा को देखा." शर्मा का खुद का चुनावी पदार्पण काफी नाटकीय रहा. वे पिछले चालीस सालों से प्रियंका गांधी को अमेठी और रायबरेली लोकसभा सीटों का प्रबंधन करने में मदद कर रहे थे और 2024 के चुनावों के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रहे थे. इस बीच अटकलें लगाई जा रही थीं कि 2019 में अमेठी से हारने वाले राहुल फिर से अपनी पूर्व सीट से चुनाव लड़ सकते हैं, जबकि प्रियंका गांधी रायबरेली में अपनी मां सोनिया गांधी की जगह ले सकती हैं, जो राज्यसभा में चली गई हैं.

राहुल ने रायबरेली से चुनाव लड़ने का फैसला किया और परिवार के वफादार शर्मा को अमेठी से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया, क्योंकि प्रियंका ने चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था. उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने (प्रियंका) मुख्य लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था क्योंकि वह पार्टी के काम में व्यस्त थीं, लेकिन राहुल गांधी द्वारा रायबरेली सीट बरकरार रखने का फैसला करने के बाद वायनाड के कार्यकर्ताओं ने भावनात्मक अपील की कि गांधी परिवार का एक सदस्य सदन में उनका प्रतिनिधित्व करे.

शर्मा ने कहा, ‘‘इसके बाद प्रियंका गांधी उपचुनाव लड़ने के लिए राजी हुईं.’’ "उन्होंने अमेठी के मतदाताओं से मुझे चुनने का आग्रह किया और उन्होंने उसी के अनुसार प्रतिक्रिया दी. जब मैं चुनाव जीता तो मैं अभिभूत था. उन्होंने रायबरेली में भी राहुल के लिए कड़ी मेहनत की. मैंने सालों से भाई-बहन के रूप में उनके बंधन को देखा है." उन्होंने कहा, "2004 में प्रियंका ने लोकसभा चुनाव से पहले राहुल को विभिन्न महिला स्वयं सहायता समूहों से परिचित कराया था. वह 1989 से अपने पिता राजीव गांधी के साथ इस क्षेत्र का दौरा करती रही हैं."

अमेठी सांसद के अनुसार, लोकसभा में प्रियंका की मौजूदगी पार्टी सांसदों में ऊर्जा भरेगी और बहस का स्तर भी बढ़ेगा. उन्होंने कहा, "वह एक प्रखर वक्ता और स्वाभाविक नेता हैं. वह पार्टी और विपक्ष को मजबूत करने में राहुल गांधी के साथ मिलकर काम करेंगीं." शर्मा ने कहा, "वह पिछले कई दशकों से देशभर में पार्टी पदाधिकारियों के साथ मिलकर काम कर रही हैं. 2019 में एआईसीसी का पद स्वीकार करने और अब चुनावी शुरुआत करने तक सक्रिय राजनीति से दूर रहने का फैसला उनका ही था, लेकिन पार्टी कार्यकर्ता इस दिन का इंतजार कर रहे थे. यह कांग्रेस में एक नए युग की शुरुआत की तरह है."

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