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असम : तालाब में फंसे चार हाथियों को ग्रामीणों ने बचाया, वन विभाग पर लापरवाही का आरोप - ELEPHANT TRAPPED IN POND

असम के जोरहाट में तालाब में फंसे चार हाथियों को ग्रामीणों ने बाहर निकालकर उनकी जान बचा ली. वन विभाग की टीम देर से पहुंची.

Villagers saved the lives of four elephants trapped in a pond by pulling them out
तालाब में फंसे चार हाथियों को बाहर निकालकर ग्रामीणों ने जान बचाई (ETV Bharat)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Dec 12, 2024, 4:19 PM IST

जोरहाट: असम में अक्सर मानव-हाथी के बीच संघर्ष देखने को मिलता है. इसमें हाथी कई बार गांवों में घुसकर नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन अनजाने में इंसान भी उनको नुकसान पहुंचा देते हैं. हालांकि, जोरहाट जिले के तीताबोर उपखंड में एक घटना में मानव स्वभाव का एक अलग पक्ष सामने आया. इस घटना में ग्रामीणों का एक समूह एक गहरे तालाब में फंसी एक मादा हाथी समेत चार बच्चों को बचाने के लिए एक साथ आया.

यह घटना जोरहाट के चामगुरी खमजांगिया इलाके तीताबर में घटी. बताया जाता है कि ये हाथी, कम से कम 60 सदस्यों वाले झुंड का हिस्सा थे, जो भोजन की तलाश में गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य से बाहर निकले थे.

देखें वीडियो (ETV Bharat)

इसी दौरान बुधवार शाम को ये कीचड़ भरे तालाब में फंस गए. हाथी के बच्चे अपनी मां के साथ चारा चरते समय झुंड से अलग हो गए थे. वहीं हाथियों की परेशान करने वाली आवाज सुनकर ग्रामीण सतर्क हो गए और घटनास्थल पर पहुंचे. हालांकि कड़ाके की ठंड के बावजूद ग्रामीणों ने तालाब को खाली करने और फंसे हुए हाथियों को बचाने के लिए अथक प्रयास किया.

उन्होंने पानी को निकालने के लिए नालियां खोदने के साथ ही पानी को मोड़ने के लिए फावड़े का इस्तेमाल किया. उल्लेखनीय है कि बचाव अभियान के दौरान हाथियों ने ग्रामीणों पर हमला नहीं किया. ग्रामीणों का यह निस्वार्थ कार्य वन विभाग के अधिकारियों द्वारा अक्सर दिखाई जाने वाली उदासीनता के बिल्कुल विपरीत है. वहीं स्थानीय निवासियों ने वन विभाग द्वारा देरी किए जाने की आलोचना की है.

उन्होंने तर्क दिया कि यदि ग्रामीण लोग हस्तक्षेप नहीं करते तो हाथी ठंडे पानी में डूबकर मर जाते. इस संबंध में ईटीवी भारत संवाददाता ने वन विभाग के अफसरों द्वारा देरी किए जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया. फिलहाल यह घटना आम लोगों की करुणा और साहस की याद दिलाती है.

ये भी पढ़ें- असम: हमले में गई बाघिन की आंख, जंगल में वापस लौटने की उम्मीद कम

जोरहाट: असम में अक्सर मानव-हाथी के बीच संघर्ष देखने को मिलता है. इसमें हाथी कई बार गांवों में घुसकर नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन अनजाने में इंसान भी उनको नुकसान पहुंचा देते हैं. हालांकि, जोरहाट जिले के तीताबोर उपखंड में एक घटना में मानव स्वभाव का एक अलग पक्ष सामने आया. इस घटना में ग्रामीणों का एक समूह एक गहरे तालाब में फंसी एक मादा हाथी समेत चार बच्चों को बचाने के लिए एक साथ आया.

यह घटना जोरहाट के चामगुरी खमजांगिया इलाके तीताबर में घटी. बताया जाता है कि ये हाथी, कम से कम 60 सदस्यों वाले झुंड का हिस्सा थे, जो भोजन की तलाश में गिब्बन वन्यजीव अभयारण्य से बाहर निकले थे.

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इसी दौरान बुधवार शाम को ये कीचड़ भरे तालाब में फंस गए. हाथी के बच्चे अपनी मां के साथ चारा चरते समय झुंड से अलग हो गए थे. वहीं हाथियों की परेशान करने वाली आवाज सुनकर ग्रामीण सतर्क हो गए और घटनास्थल पर पहुंचे. हालांकि कड़ाके की ठंड के बावजूद ग्रामीणों ने तालाब को खाली करने और फंसे हुए हाथियों को बचाने के लिए अथक प्रयास किया.

उन्होंने पानी को निकालने के लिए नालियां खोदने के साथ ही पानी को मोड़ने के लिए फावड़े का इस्तेमाल किया. उल्लेखनीय है कि बचाव अभियान के दौरान हाथियों ने ग्रामीणों पर हमला नहीं किया. ग्रामीणों का यह निस्वार्थ कार्य वन विभाग के अधिकारियों द्वारा अक्सर दिखाई जाने वाली उदासीनता के बिल्कुल विपरीत है. वहीं स्थानीय निवासियों ने वन विभाग द्वारा देरी किए जाने की आलोचना की है.

उन्होंने तर्क दिया कि यदि ग्रामीण लोग हस्तक्षेप नहीं करते तो हाथी ठंडे पानी में डूबकर मर जाते. इस संबंध में ईटीवी भारत संवाददाता ने वन विभाग के अफसरों द्वारा देरी किए जानने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने मीडिया से बात करने से इनकार कर दिया. फिलहाल यह घटना आम लोगों की करुणा और साहस की याद दिलाती है.

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