श्रीनगर: जम्मू और कश्मीर उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने सोमवार को बिजली आपूर्ति में सरकार की विफलता को संबोधित करने के लिए खुद को मजबूर पाया और बाद में स्थिति को सुधारने के लिए निर्देश जारी किए. न्यायमूर्ति अतुल श्रीधरन और न्यायमूर्ति मुक्शा खजुरिया काज़मी की पीठ ने बिजली आपूर्ति की कमी पर निराशा व्यक्त की और खुलासा किया कि उच्च न्यायालय का जनरेटर भी काम नहीं कर रहा था.
यह मुद्दा अदालती समय के दौरान तब सामने आया, जब उच्च न्यायालय में पूरी तरह से बिजली गुल हो गई, जिससे अदालत कक्ष में अंधेरा छा गया और आसपास के इलाकों में भी लोगों को परेशानी हुई. जम्मू-कश्मीर सरकार को जारी एक पेज के आदेश में गंभीर स्थितियों पर प्रकाश डाला गया, जिसमें कहा गया कि 'जनरेटर भी काम नहीं कर रहा है. कोई रोशनी नहीं है. एयर हीटिंग यूनिट (एएचयू) भी काम नहीं कर रही है.'
जानकारी के अनुसार बिजली गुल होने की घटना सुबह करीब 09:45 बजे हुई और सुबह 11:28 बजे आदेश जारी होने तक स्थिति में सुधार नहीं हुआ था, जिससे पीठ को बिगड़ती स्थितियों पर चिंता व्यक्त करनी पड़ी. आदेश में बिजली आपूर्ति मुद्दे का स्थायी समाधान खोजने की तात्कालिकता पर जोर दिया गया और केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव से तुरंत हस्तक्षेप करने को कहा गया.
आदेश में कहा गया है कि 'अदालत केंद्र शासित प्रदेश के मुख्य सचिव से इस समस्या को तुरंत हल करने के लिए आवश्यक आदेश पारित करने का अनुरोध करती है.' आदेश ने संभावित समाधानों का सुझाव दिया, जिसमें निर्बाध आपूर्ति के साथ उच्च न्यायालय के लिए एक समर्पित बिजली लाइन स्थापित करना और भविष्य में किसी भी बिजली विफलता के मामले में एअर हीटिंग यूनिट सहित पूरे उच्च न्यायालय को बनाए रखने के लिए पर्याप्त क्षमता वाले जनरेटर सुनिश्चित करना शामिल है.
आदेश की एक प्रति मुख्य सचिव को दे दी गई है और पीठ 21 फरवरी, 2024 को इस मुद्दे पर फिर से विचार करने वाली है. बिजली संकट केवल उच्च न्यायालय तक ही सीमित नहीं है, क्योंकि कश्मीर गंभीर बिजली विफलताओं से जूझ रहा है. स्थिति इस हद तक बढ़ गई है कि कश्मीर पावर डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (केपीडीसीएल) ने जिला आयुक्तों से बिजली बकाया का भुगतान होने तक सरकारी कर्मचारियों का वेतन रोकने का आग्रह किया है.
लोड शेडिंग और मौसम संबंधी समस्याओं का सामना करने के चलते कश्मीर में बिजली कटौती एक गंभीर चिंता का विषय बन गई है. हाल की रात में शहर के अधिकांश हिस्से में बिजली नहीं रही. केपीडीसीएल ने ठेकेदारों से अपील की है कि वे अपने विकास कार्यों के लिए भुगतान प्राप्त करने से पहले बिजली बिल का निपटान करें.
एक पत्र में, केपीडीसीएल ने कहा कि पूर्व प्रथा के अनुसार चालू वित्तीय वर्ष के लिए निर्धारित सरकारी राजस्व वसूली सुनिश्चित करने के लिए, आपसे अनुरोध है कि आपके क्षेत्राधिकार में, जिले में काम करने वाले सरकारी कर्मचारियों का वेतन बिजली बकाया के भुगतान के बाद ही आहरित और वितरित किया जाए. निगम का मानना है कि यह दृष्टिकोण राजस्व लक्ष्यों को प्राप्त करने और केंद्र शासित प्रदेश के खजाने को सुरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा.