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चुनावी बॉन्ड मामला : एसबीआई को बड़ा झटका, चुनावी चंदे की पूरी जानकारी कल तक देने के आदेश

Electoral Bonds SC order : इलेक्टोरल बॉन्ड को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने एसबीआई को कल तक बॉन्ड संबंधित सभी जानकारी देने का आदेश दिया है. कोर्ट ने चुनाव आयोग को भी आदेश दिया है कि वह 15 मार्च तक इससे संबंधित पूरी जानकारी वेबसाइट पर डाले. एसबीआई ने 30 जून तक का समय मांगा था, जिसे सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया.

Electoral Bonds Case SC hearing SBIs Time Extension Plea
चुनावी बांड मामला में सुप्रीम कोर्ट एसबीआई की याचिका पर सुनवाई
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 11, 2024, 10:21 AM IST

Updated : Mar 11, 2024, 1:06 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को चुनावी बांन्ड के संबंध में विवरण देने के लिए 30 जून, 2024 तक का समय मांगा गया था. अदालत ने 12 मार्च 2024 तक व्यावसायिक समय की समाप्ति तक एसबीआई को सभी विवरणों का खुलासा करने का निर्देश दिया.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने ईसीआई को 15 मार्च शाम 5 बजे तक एसबीआई द्वारा प्रस्तुत चुनावी बांन्ड के विवरण प्रकाशित करने के लिए कहा. शीर्ष अदालत ने एसबीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को चेतावनी दी कि यदि समय सीमा के भीतर आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो उनके खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के लिए कार्यवाही की जाएगी.

प्रमुख बिंदुओं में समझें

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान की अहम टिप्पणी

  1. -पिछले 26 दिनों के दौरान आपने (एसबीआई) ने क्या किया.
  2. -अगर आपने समय पर डेटा नहीं दिया, तो आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू होगी.
  3. -आपने खुद स्वीकार किया कि डिटेल देने में आपको कोई दिक्कत नहीं है.

महत्वपूर्ण बिंदु

  1. -सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी एसबीआई की याचिका खारिज की
  2. -एसबीआई ने इलेक्टोरल बांन्ड से जुड़ी जानकारी शेयर करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी.
  3. - सुप्रीम कोर्ट का एसबीआई को मंगलवार तक बॉन्ड से जुड़ी जानकारी जारी करने का आदेश
  4. - एसबीआई ने 5 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका.
  5. -सीजेआई की अगुवाई में पांच सदस्यों वाली पीठ ने सुनाया फैसला.

एसबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यदि उसे दानदाताओं को राजनीतिक दलों से नहीं जोड़ना है, तो बैंक तीन सप्ताह के भीतर विवरण के दो अलग-अलग खंड में इसे प्रदान कर सकता है. हालाँकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि एसबीआई की दलीलों से यह पर्याप्त संकेत मिलता है कि जानकारी आसानी से उपलब्ध है और 30 जून, 2024 तक समय बढ़ाने की मांग करने वाली एसबीआई की याचिका को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने ईसीआई को यह भी प्रकाशित करने के लिए कहा. अंतरिम आदेश के अनुसार अदालत को दी गई जानकारी का विवरण उसकी वेबसाइट पर है.

सुनवाई की शुरुआत में सीजेआई ने साल्वे से कहा कि शीर्ष अदालत ने 15 फरवरी को दिए अपने फैसले में एसबीआई से स्पष्ट खुलासे के बारे में पूछा था और बैंक को फैसले का पालन करना चाहिए था. शीर्ष अदालत ने बैंक से कई कड़े सवाल भी पूछे. साथ ही यह भी पूछा कि उसने पिछले 26 दिनों में क्या किया है.

साल्वे ने कहा कि बैंक ने कोर बैंकिंग प्रणाली के बाहर चुनावी बांन्ड योजना के बारे में जानकारी संग्रहीत करने के लिए एक एसओपी का पालन किया था और अदालत से आदेश का पालन करने के लिए कुछ और समय देने का अनुरोध किया था.

साल्वे ने कहा कि बैंक जानकारी एकत्र करने की कोशिश कर रहा है और 'हमें पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ रहा है' और कहा, 'एक बैंक के रूप में हमें बताया गया था कि यह एक रहस्य माना जाता है.' पीठ ने कहा, 'आपको सिर्फ सीलबंद लिफाफा खोलना होगा, ब्योरा जुटाना होगा और जानकारी देनी होगी.'

साल्वे ने कहा कि बैंक के पास पूरा विवरण है कि किसने बॉन्ड खरीदा और यह भी पूरा विवरण है कि पैसा कहां से आया और किस राजनीतिक दल ने कितना टेंडर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें अब खरीददारों के नाम भी डालने होंगे और नामों को बॉन्ड संख्या के साथ मिलान करना होगा और क्रॉसचेक करना होगा.

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह प्रस्तुत किया गया है कि एक खंड से दूसरे खंड में जानकारी का मिलान एक समय लेने वाली प्रक्रिया है और बैंक को यह स्पष्ट कर दिया कि उसने मिलान अभ्यास करने के लिए नहीं कहा था. पीठ ने कहा, 'इसलिए यह कहते हुए समय मांगने की आवश्यकता नहीं है कि एक मिलान अभ्यास किया जाना है, हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है.'

एसबीआई ने समय सीमा बढ़ाने की मांग के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था जिससे उसे 30 जून तक विवरण का खुलासा करने की अनुमति मिल सके. 15 फरवरी को शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और भारत के चुनाव आयोग को विवरण देने का निर्देश दिया था. 13 मार्च तक दान सार्वजनिक.

सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड मामले में एसबीआई की याचिका पर सुनवाई हुई. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक को भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांन्ड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है. एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने को लेकर समय-सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी. एसबीआई को यह विस्तृत जानकारी देनी है कि कौन से राजनीतिक दलों की ओर से कितने रुपये कैश कराए गए.

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एक अलग याचिका पर भी सुनवाई की. इसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया था. इस संबंध में दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिले चंदे के बार में जानकारी चुनाव आयोग को 6 मार्च तक उपलब्ध कराने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को अपने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था. शीर्ष अदालत ने इसे असंवैधानिक करार दिया था. साथ ही एसबीआई को चंदा देने वालों का और इसे प्राप्त करने वाले दलों के बारे में जानकारी प्रदान करने के आदेश दिए थे. एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का विवरण छह मार्च तक चुनाव आयोग में जमा कराने के आदेश दिए थे.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसबीआई से पूछे गए ये सवाल: प्रश्न ) सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह पेश किया गया था कि दान देने वालों का विवरण एक निर्दिष्ट शाखा में एक सीलबंद कवर में रखा गया था. सभी सीलबंद कवर मुंबई में मुख्य शाखा में जमा किए गए थे. पीठ ने एसबीआई के वकील से सवाल किया, आप जो कह रहे थे वह यह है कि दानकर्ता का विवरण मुंबई मुख्य शाखा को भेजा गया था और राजनीतिक दलों का विवरण भी उसी शाखा को भेजा गया था और इस प्रकार जानकारी के दो सेट थे?

प्रश्न) एसबीआई कह रहा है कि एक खंड से दूसरे खंड में जानकारी का मिलान करना एक समय लेने वाली प्रक्रिया है?

प्रश्न) सीजेआई ने एसबीआई के वकील से कहा कि अपने फैसले के अनुसार अदालत ने बैंक को मिलान अभ्यास करने के लिए नहीं कहा था और इसके बजाय एक स्पष्ट खुलासा करने का निर्देश दिया था?

प्रश्न) एसबीआई के इस तर्क पर कि जब खरीदारी हो रही थी तो उसने जानकारी विभाजित कर दी, सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या सभी विवरण मुंबई शाखा को नहीं भेजे गए थे?

सीजेआई ने बैंक से कहा, यहां तक कि आपके अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों से भी संकेत मिलता है कि प्रत्येक खरीदारी के लिए आपके पास एक अलग केवाईसी होनी चाहिए और हर बार जब कोई खरीदारी की जाती है, तो केवाईसी अनिवार्य है. पीठ ने एसबीआई से कहा कि उसका कहना है कि खरीदार के सभी विवरण एक सीलबंद लिफाफे में रखे जाते हैं और आगे पूछे जाने पर आपको बस सीलबंद लिफाफे को खोलना होगा और विवरण देना होगा.

प्रश्न) सीजेआई ने कहा कि कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसला सुनाया था. आज 11 मार्च है. पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं? एसबीआई की ओर से दायर आवेदन में कुछ भी नहीं कहा गया है.

सीजेआई ने एसबीआई के वकील से कहा, 'आवेदन में यह उल्लेख करना चाहिए था कि यह वह काम है जो बैंक ने किया है, और इसके लिए और समय की आवश्यकता है. हमें भारतीय स्टेट बैंक से कुछ स्पष्टवादिता की उम्मीद है.'

प्रश्न) एसबीआई के वकील ने कहा कि बैंक इस प्रक्रिया में जल्दबाजी नहीं करना चाहता और गलती करके गड़बड़ी पैदा नहीं करना चाहता. पीठ ने कहा, 'किसी गलती का कोई सवाल ही नहीं है. आपके पास केवाईसी है. आप देश के नंबर वन बैंक हैं. हम उम्मीद करते हैं कि आप इसे संभाल लेंगे.' सीजेआई का कहना है कि बैंक के एक सहायक महाप्रबंधक ने इस अदालत की संविधान पीठ के फैसले में संशोधन की मांग करते हुए एक हलफनामा दायर किया है!

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांन्ड पर विवरण प्रदान करने के लिए एसबीआई को तीन सप्ताह का समय देने से इनकार कर दिया. बेंच का कहना है कि 3 हफ्ते किसलिए? राजनीतिक दलों ने पहले ही अपने द्वारा किए गए नकदीकरण का विवरण दे दिया है और खरीददारों का विवरण पहले से ही उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें- 6 मार्च तक चुनावी बांड विवरण जमा करने में विफल रहने के बाद एसबीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें भारतीय चुनाव आयोग (ECI) को चुनावी बांन्ड के संबंध में विवरण देने के लिए 30 जून, 2024 तक का समय मांगा गया था. अदालत ने 12 मार्च 2024 तक व्यावसायिक समय की समाप्ति तक एसबीआई को सभी विवरणों का खुलासा करने का निर्देश दिया.

भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच-न्यायाधीशों की पीठ ने ईसीआई को 15 मार्च शाम 5 बजे तक एसबीआई द्वारा प्रस्तुत चुनावी बांन्ड के विवरण प्रकाशित करने के लिए कहा. शीर्ष अदालत ने एसबीआई के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को चेतावनी दी कि यदि समय सीमा के भीतर आदेश का अनुपालन नहीं किया गया तो उनके खिलाफ अदालत की अवमानना ​​के लिए कार्यवाही की जाएगी.

प्रमुख बिंदुओं में समझें

सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान की अहम टिप्पणी

  1. -पिछले 26 दिनों के दौरान आपने (एसबीआई) ने क्या किया.
  2. -अगर आपने समय पर डेटा नहीं दिया, तो आपके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू होगी.
  3. -आपने खुद स्वीकार किया कि डिटेल देने में आपको कोई दिक्कत नहीं है.

महत्वपूर्ण बिंदु

  1. -सुप्रीम कोर्ट ने इलेक्टोरल बॉन्ड से जुड़ी एसबीआई की याचिका खारिज की
  2. -एसबीआई ने इलेक्टोरल बांन्ड से जुड़ी जानकारी शेयर करने की समय सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी.
  3. - सुप्रीम कोर्ट का एसबीआई को मंगलवार तक बॉन्ड से जुड़ी जानकारी जारी करने का आदेश
  4. - एसबीआई ने 5 मार्च को सुप्रीम कोर्ट में दायर की थी याचिका.
  5. -सीजेआई की अगुवाई में पांच सदस्यों वाली पीठ ने सुनाया फैसला.

एसबीआई का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने अदालत के समक्ष दलील दी कि यदि उसे दानदाताओं को राजनीतिक दलों से नहीं जोड़ना है, तो बैंक तीन सप्ताह के भीतर विवरण के दो अलग-अलग खंड में इसे प्रदान कर सकता है. हालाँकि, शीर्ष अदालत ने कहा कि एसबीआई की दलीलों से यह पर्याप्त संकेत मिलता है कि जानकारी आसानी से उपलब्ध है और 30 जून, 2024 तक समय बढ़ाने की मांग करने वाली एसबीआई की याचिका को खारिज कर दिया. शीर्ष अदालत ने ईसीआई को यह भी प्रकाशित करने के लिए कहा. अंतरिम आदेश के अनुसार अदालत को दी गई जानकारी का विवरण उसकी वेबसाइट पर है.

सुनवाई की शुरुआत में सीजेआई ने साल्वे से कहा कि शीर्ष अदालत ने 15 फरवरी को दिए अपने फैसले में एसबीआई से स्पष्ट खुलासे के बारे में पूछा था और बैंक को फैसले का पालन करना चाहिए था. शीर्ष अदालत ने बैंक से कई कड़े सवाल भी पूछे. साथ ही यह भी पूछा कि उसने पिछले 26 दिनों में क्या किया है.

साल्वे ने कहा कि बैंक ने कोर बैंकिंग प्रणाली के बाहर चुनावी बांन्ड योजना के बारे में जानकारी संग्रहीत करने के लिए एक एसओपी का पालन किया था और अदालत से आदेश का पालन करने के लिए कुछ और समय देने का अनुरोध किया था.

साल्वे ने कहा कि बैंक जानकारी एकत्र करने की कोशिश कर रहा है और 'हमें पूरी प्रक्रिया को उलटना पड़ रहा है' और कहा, 'एक बैंक के रूप में हमें बताया गया था कि यह एक रहस्य माना जाता है.' पीठ ने कहा, 'आपको सिर्फ सीलबंद लिफाफा खोलना होगा, ब्योरा जुटाना होगा और जानकारी देनी होगी.'

साल्वे ने कहा कि बैंक के पास पूरा विवरण है कि किसने बॉन्ड खरीदा और यह भी पूरा विवरण है कि पैसा कहां से आया और किस राजनीतिक दल ने कितना टेंडर दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें अब खरीददारों के नाम भी डालने होंगे और नामों को बॉन्ड संख्या के साथ मिलान करना होगा और क्रॉसचेक करना होगा.

शीर्ष अदालत ने कहा कि यह प्रस्तुत किया गया है कि एक खंड से दूसरे खंड में जानकारी का मिलान एक समय लेने वाली प्रक्रिया है और बैंक को यह स्पष्ट कर दिया कि उसने मिलान अभ्यास करने के लिए नहीं कहा था. पीठ ने कहा, 'इसलिए यह कहते हुए समय मांगने की आवश्यकता नहीं है कि एक मिलान अभ्यास किया जाना है, हमने आपको ऐसा करने का निर्देश नहीं दिया है.'

एसबीआई ने समय सीमा बढ़ाने की मांग के लिए शीर्ष अदालत का रुख किया था जिससे उसे 30 जून तक विवरण का खुलासा करने की अनुमति मिल सके. 15 फरवरी को शीर्ष अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉन्ड योजना को रद्द कर दिया था और भारत के चुनाव आयोग को विवरण देने का निर्देश दिया था. 13 मार्च तक दान सार्वजनिक.

सुप्रीम कोर्ट में चुनावी बॉन्ड मामले में एसबीआई की याचिका पर सुनवाई हुई. भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की ओर से पेश वरिष्ठ वकील हरीश साल्वे ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि बैंक को भारत के चुनाव आयोग को चुनावी बांन्ड का विवरण जमा करने के लिए अतिरिक्त समय की आवश्यकता है. एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के विवरण का खुलासा करने को लेकर समय-सीमा 30 जून तक बढ़ाने की मांग की थी. एसबीआई को यह विस्तृत जानकारी देनी है कि कौन से राजनीतिक दलों की ओर से कितने रुपये कैश कराए गए.

चीफ जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ एक अलग याचिका पर भी सुनवाई की. इसमें एसबीआई के खिलाफ अवमानना ​​कार्यवाही शुरू करने का अनुरोध किया गया था. इस संबंध में दायर याचिका में आरोप लगाया गया कि एसबीआई ने चुनावी बॉन्ड के माध्यम से राजनीतिक दलों को मिले चंदे के बार में जानकारी चुनाव आयोग को 6 मार्च तक उपलब्ध कराने संबंधी सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन किया गया.

बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने 15 फरवरी को अपने एक ऐतिहासिक फैसले में चुनावी बॉण्ड योजना को रद्द कर दिया था. शीर्ष अदालत ने इसे असंवैधानिक करार दिया था. साथ ही एसबीआई को चंदा देने वालों का और इसे प्राप्त करने वाले दलों के बारे में जानकारी प्रदान करने के आदेश दिए थे. एसबीआई को 12 अप्रैल 2019 से खरीदे गए चुनावी बॉन्ड का विवरण छह मार्च तक चुनाव आयोग में जमा कराने के आदेश दिए थे.

सुप्रीम कोर्ट द्वारा एसबीआई से पूछे गए ये सवाल: प्रश्न ) सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि यह पेश किया गया था कि दान देने वालों का विवरण एक निर्दिष्ट शाखा में एक सीलबंद कवर में रखा गया था. सभी सीलबंद कवर मुंबई में मुख्य शाखा में जमा किए गए थे. पीठ ने एसबीआई के वकील से सवाल किया, आप जो कह रहे थे वह यह है कि दानकर्ता का विवरण मुंबई मुख्य शाखा को भेजा गया था और राजनीतिक दलों का विवरण भी उसी शाखा को भेजा गया था और इस प्रकार जानकारी के दो सेट थे?

प्रश्न) एसबीआई कह रहा है कि एक खंड से दूसरे खंड में जानकारी का मिलान करना एक समय लेने वाली प्रक्रिया है?

प्रश्न) सीजेआई ने एसबीआई के वकील से कहा कि अपने फैसले के अनुसार अदालत ने बैंक को मिलान अभ्यास करने के लिए नहीं कहा था और इसके बजाय एक स्पष्ट खुलासा करने का निर्देश दिया था?

प्रश्न) एसबीआई के इस तर्क पर कि जब खरीदारी हो रही थी तो उसने जानकारी विभाजित कर दी, सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया कि क्या सभी विवरण मुंबई शाखा को नहीं भेजे गए थे?

सीजेआई ने बैंक से कहा, यहां तक कि आपके अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्नों से भी संकेत मिलता है कि प्रत्येक खरीदारी के लिए आपके पास एक अलग केवाईसी होनी चाहिए और हर बार जब कोई खरीदारी की जाती है, तो केवाईसी अनिवार्य है. पीठ ने एसबीआई से कहा कि उसका कहना है कि खरीदार के सभी विवरण एक सीलबंद लिफाफे में रखे जाते हैं और आगे पूछे जाने पर आपको बस सीलबंद लिफाफे को खोलना होगा और विवरण देना होगा.

प्रश्न) सीजेआई ने कहा कि कोर्ट ने 15 फरवरी को फैसला सुनाया था. आज 11 मार्च है. पिछले 26 दिनों में आपने क्या कदम उठाए हैं? एसबीआई की ओर से दायर आवेदन में कुछ भी नहीं कहा गया है.

सीजेआई ने एसबीआई के वकील से कहा, 'आवेदन में यह उल्लेख करना चाहिए था कि यह वह काम है जो बैंक ने किया है, और इसके लिए और समय की आवश्यकता है. हमें भारतीय स्टेट बैंक से कुछ स्पष्टवादिता की उम्मीद है.'

प्रश्न) एसबीआई के वकील ने कहा कि बैंक इस प्रक्रिया में जल्दबाजी नहीं करना चाहता और गलती करके गड़बड़ी पैदा नहीं करना चाहता. पीठ ने कहा, 'किसी गलती का कोई सवाल ही नहीं है. आपके पास केवाईसी है. आप देश के नंबर वन बैंक हैं. हम उम्मीद करते हैं कि आप इसे संभाल लेंगे.' सीजेआई का कहना है कि बैंक के एक सहायक महाप्रबंधक ने इस अदालत की संविधान पीठ के फैसले में संशोधन की मांग करते हुए एक हलफनामा दायर किया है!

सुप्रीम कोर्ट ने चुनावी बांन्ड पर विवरण प्रदान करने के लिए एसबीआई को तीन सप्ताह का समय देने से इनकार कर दिया. बेंच का कहना है कि 3 हफ्ते किसलिए? राजनीतिक दलों ने पहले ही अपने द्वारा किए गए नकदीकरण का विवरण दे दिया है और खरीददारों का विवरण पहले से ही उपलब्ध है.

ये भी पढ़ें- 6 मार्च तक चुनावी बांड विवरण जमा करने में विफल रहने के बाद एसबीआई के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अवमानना याचिका
Last Updated : Mar 11, 2024, 1:06 PM IST
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