हैदराबादः दुनिया में विकसित देशों में से एक जापान अलग ही समस्या से जूझ रहा है. यह समस्या है बुजुर्गों की बढ़ती आबादी और उनका अकेलापन. वहां अकेले रहने वाले बुजुर्गों की मौत हो जाती है. कई जगहों पर हालात ऐसे हैं कि मौत की जानकारी एक-एक माह बाद समाज या पुलिस को मिल रही है. जापान पुलिस के ताजा डेटा के अनुसार करीबन 4 लोगों की मौत की जानकारी एक माह बाद मिली. वहीं 11-12 दर्जन लोगों के शव के बारे में एक साल बाद जानकारी मिली. उन्हें एक साल तक लापता माना जा रहा था. सरकार ने हाल के वर्षों में जापान में लोगों के बीच सामाजिक अलगाव और अकेलेपन से निपटने के प्रयासों को आगे बढ़ाया है, जिसमें मई 2023 में उन्हें संबोधित करने के लिए एक कानून पारित करना भी शामिल है.
जापान पुलिस की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार 2024 के अंत तक 68000 लोगों की मौत के दौरान उनके साथ कोई नहीं होगा. यानि मौत के दौरान वे अलेके रहेंगे. उनके साथ न तो कोई रिश्तेदार होगा न ही कोई पड़ोसी. डेटा के अनुसार 2050 तक 65 साल या इससे ज्यादा उम्र के लोगों की आबादी 1 करोड़ 60 लाख तक होने का अनुमान है.
संयुक्त राष्ट्र के डेटा के अनुसार
- जापान की जनसंख्या (2022)-123,951,688
- जापान की संभावित जनसंख्या (2050)-103,784,354
- 2050 तक अनुमानित जनसंख्याः 16 फीसदी गिरावट की संभावना
उम्र के अनुपात में जनसंख्या की स्थिति
- 0-14: 13.4 फीसदी
- 15-64:62.4 फीसदी
- 65+:24.2 फीसदी
क्योडो न्यूज पर प्रकाशित डेटा के अनुसार जनवरी से मार्च के बीच पुलिस द्वारा संभाले गए अकेले रहने वाले लोगों के बीच घर पर हुई मौतों के आंकड़ों, जिसमें आत्महत्या के मामले भी शामिल हैं, डेट से पता चला कि सबसे ज्यादा मौतें 85 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के लोगों में हुईं, जो 4,922 थीं. 75 से 79 वर्ष की उम्र के लोगों में 3,480 मौतें दर्ज की गईं, जबकि 80 से 84 वर्ष की उम्र के 3,348 लोग अकेले मर गए. 70 से 74 वर्ष की उम्र के बीच अकेले मरने वालों की संख्या 3,204 थी, इसके बाद 65 से 69 वर्ष की उम्र के 2,080 लोग थे.
क्या है एकाकी मौतः एकाकी मृत्यु को उस मृत्यु के रूप में परिभाषित किया जाता है जिसमें कोई व्यक्ति बिना किसी और को देखे मर जाता है. शव मिलने से पहले एक निश्चित अवधि बीत जाती है. जैसा कि इस मुद्दे पर विचार करने के लिए कैबिनेट कार्यालय के कार्य समूह द्वारा पिछले साल एक अंतरिम चर्चा के अनुसार किया गया था.