रायपुर/नई दिल्ली: छत्तीसगढ़ में डीएमएफ स्कैम पर ईडी जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. ईडी ने जांच के बाद आरोप लगाया है कि राज्य में जिला खनिज निधि से जुड़े खनन ठेकेदारों ने टेंडर हासिल करने के लिए अधिकारियों को घूस बांटे है. अधिकारियों को भारी मात्रा में कैश का भुगतान किया गया है. ईडी ने इसे अवैध परितोषण की भारी मात्रा (huge amounts of illegal gratification) यानि भारी मात्रा में कैश देना बताया है.
एक मार्च को ईडी ने मारा था छापा: ईडी ने एक मार्च को छापेमार कार्रवाई छत्तीसगढ़ में की थी. राज्य में कुल 13 स्थानों पर रेड मारे गए. इस छापे में ईडी को आपत्तिजनक डिजिटल और कागजी दस्तावेज मिले हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने कुल 27 लाख रुपये कैश बरामद किए हैं. ईडी ने यह कार्रवाई कांग्रेस नेता, जनपद सीईओ, कारोबारी और ठेकेदारों के यहां की. कोरबा, सरगुजा, सूरजपुर, कोरिया, जांजगीर चांपा और बालोद में ईडी का यह एक्शन चला था.
कैसे शुरू हुई डीएमएफ घोटाले की जांच: कथित डीएमएफ घोटाले में मनी लॉन्ड्रिंग की जांच छत्तीसगढ़ पुलिस की तरफ से दर्ज तीन एफआईआर का अध्ययन करने के बाद शुरू हुई है. एफआईआर में राज्य के अधिकारियों और राजनेताओं की मिलीभगत से सरकारी धन की हेराफेरी करने का आरोप लगाया गया है. इसमें ठेकेदारों और कुछ अन्य आरोपियों पर मामला दर्ज किया गया था. उसके बाद जांच में तेजी आई.
ईडी ने क्या कहा: ईडी ने कहा है कि डीएमएफ के तहत काम करने वाले ठेकेदारों ने अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी खजाने का पैसा हड़पने का काम किया है. राज्य सरकार के अधिकारी और राजनीतिक लोगों के द्वारा किया गया यह पूरा मामला भ्रष्टाचार से जुड़ा है. छत्तीसगढ़ में जिला खनिज निधि एक ट्रस्ट है. जिसे सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ के सभी जिलों में काम करने के उद्देश्य से स्थापित किया गया है. खनन से संबंधित परियोजनाओं और गतिविधियों से प्रभावित लोगों को लाभ दिलाना इस ट्रस्ट के प्रमुख उद्देश्य है. ईडी की जांच में पता चला है कि काम पाने के लिए ठेकेदारों ने भारी रकम चुकाई है.
"यह पूरा मामला छत्तीसगढ़ में डीएमएफ से प्राप्त धन के उपयोग में भ्रष्टाचार से संबंधित है. डीएमएफ खननकर्ताओं द्वारा वित्त पोषित एक ट्रस्ट है. जिसे खनन से प्रभावित लोगों के लाभ के लिए काम करने के उद्देश्य से राज्य के सभी जिलों में स्थापित किया गया है. इस फंड को लेकर आरोप है कि ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक अधिकारियों को भारी मात्रा में कमीशन और अवैध परितोषण का भुगतान किया है. जो अनुबंध मूल्य का 25-40 प्रतिशत है. रिश्वत के भुगतान" के लिए इस्तेमाल की गई नकदी हवाला के जरिए पहुंचाई गई.": ईडी
ईडी ने कई खुलासे किए: ईडी के खुलासे के मुतबिक ठेकेदारों ने अधिकारियों और राजनीतिक लोगों को मोटा कमीशन दिया है. जोकि कॉन्ट्रैक्ट के मूल्य का 25% से 40% तक है. रिश्वत के भुगतान के लिए नकदी का उपयोग किया गया. ठेकेदार अधिकारी और राजनीतिक रसूख रखने वाले लोगों के द्वारा ऐसा सिस्टम तैयार किया गया. जिसके जरिए फर्जी तरीके से कार्यों का आवंटन किया गया. फिर पैसे जारी करके इसे वापस लिया गया. प्रत्येक काम के एवज में 25 से 40% तक का कमीशन का खेल खेला गया. कोरबा में रानू साहू और और एक अन्य महिला कलेक्टर जब कोरबा जिले में तैनात थी. तब यह आम चर्चा थी कि डीएमएफ के कार्यों के आबंटन से पहले ही कमीशन लिया जाता है. यानी जो ठेकेदार एडवांस में कमीशन के पैसे देगा, उसी ठेकेदार को डीएमएफ से काम मिलेगा. ईडी ने भी अपने प्रेस नोट में इसी तरह की बातों का उल्लेख किया है. ईडी ने कहा है कि DMF की स्थापना से वित्तीय वर्ष 2022-23 तक 2000 करोड़ रूपये से अधिक का फण्ड कोरबा जिले को आबंटित किया गया था. अकेले कोरबा में कमीशन के तौर लर दी गई राशि का मूल्य ₹500-600 करोड़ का है.
जब्त दस्तावेजों की हो रही जांच: ईडी ने उदाहरण देते हुए बताया कि साल 2022-23 में कोरबा को आवंटित डीएमएफ 2,000 करोड़ रुपये से अधिक थी. जिसमें कोरबा में अकेले कमीशन की रकम 500 से 600 करोड़ तक हो गई. डीएमएफ को लेकर पूरे राज्य से डाटा इकट्ठा किया जा रहा है. इस डाटा का एनालिसिस किया जा रहा है और डीएमएफ में कितना लेन देन हुआ है इसको निर्धारित करने का काम किया जा रहा है.