नई दिल्ली/नोएडा: उत्तर प्रदेश कैडर के रिटायर्ड सीनियर आईएएस अधिकारी व नोएडा प्राधिकरण के पूर्व सीईओ मोहिंदर सिंह एक बार फिर चर्चा में आ गए हैं. दरअसल, गुरुवार को लग्जरी फ्लैट प्रोजेक्ट से जुड़े घोटाला मामले में रिटायर्ड आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह का नाम सामने आया है. ईडी ने चंडीगढ़ में उनकी आलीशान कोठी पर छापेमारी कर करोड़ों के आभूषण और नकदी के साथ कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए हैं. हालांकि, सिंह का नाम पहली बार घोटाले में सामने नहीं आया है. इससे पहले उनका नाम नोएडा के कई प्रोजेक्ट के घोटाले में आ चुका है.
पूर्व आईएएस मोहिंदर सिंह लंबे समय तक नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रहे थे. उस वक्त उत्तर प्रदेश में बसपा की सरकार थी. तब उनकी प्रशासनिक पकड़ इतनी थी कि नोएडा प्राधिकरण के सीईओ रहते हुए नोएडा, ग्रेटर नोएडा, यमुना प्राधिकरण के अध्यक्ष भी बन गए थे. मोहिंदर सिंह का घोटाले में पहली बार नाम तब सामने आया, जब सुपरटेक और आम्रपाली घोटाले का मामला सामने आया था.
कौड़ियों के भाव जमीन बेचने का आरोप: आरोप है कि मोहिंदर सिंह जिस वक्त नोएडा प्राधिकरण के सीईओ थे उस वक्त करोड़ों रुपए की जमीन को कौड़ियों के भाव बिल्डरों को बेच दी गई थी. सरकार (शासन) के आदेश के बगैर नोएडा प्राधिकरण ने वीटो का इस्तेमाल करते हुए महज 10 प्रतिशत लेकर बिल्डरों को जमीन आवंटित की गई. पहले 30 प्रतिशत पैसा लिया जाता था. इसमें सबसे अधिक फायदा सुपरटेक और आम्रपाली ग्रुप को हुआ था. इस मामले में 26 अधिकारियों पर घोटाला के आरोप लगे थे, जिसमें 20 अधिकारी रिटायर्ड हो चुके हैं. 1978 बैच के आईएएस सिंह 31 जुलाई 2012 को रिटायर्ड हुए.
बसपा सरकार में थी मजबूत पकड़: कथित तौर पर तत्कालीन बसपा सरकार में मजबूत पकड़ होने के चलते पूर्व आईएएस अधिकारी मोहिंदर सिंह के खिलाफ कोई कार्रवाई उस दौरान नहीं हुई, जो जांच हुई भी वह ठंडे बस्ते में चली गई. 2017 में यूपी में सत्ता परिवर्तन के बाद CAG ने 2005 से 2015 तक प्राधिकरण में वित्तीय अनियमितता की जांच की. इसमें पता चला कि सबसे ज्यादा वित्तीय घोटाले मोहिंदर सिंह के समय ही हुए. फिलहाल इस मामले की जांच जारी है.
10 गुना बढ़ गई लागतः नोएडा के सेक्टर 16ए के पास बने दलित प्रेरणा स्थल के निर्माण के समय भी पूर्व आईएएस काफी सुर्खियों में रहे थे. जब दलित प्रेरणा स्थल का निर्माण कार्य शुरू हुआ तो उसका बजट 500 करोड़ था. लेकिन निर्माण कार्य पूरा होने तक इसका बजट 10 गुना बढ़ गया और करीब 5000 करोड़ रुपए पहुंच गया था. इस मामले में विजिलेंस ने उन्हें नोटिस भी भेजा था, लेकिन उस समय वे विदेश में थे.
ट्विन टावर सुपरटेक प्रोजेक्ट में भी पूर्व IAS का नाम: आरोप है कि 2007 से 2010-11 तक आम्रपाली बिल्डर को गलत तरीके से जमीन आवंटित की गई. सुपरटेक को टि्वन टावर के लिए गलत तरीके से एफएआर बेचा गया. उसे ग्रीन बेल्ट में निर्माण की अनुमति दी गई. इसका फायदा उठाकर सुपरटेक ने सियान और एपेक्स नाम के दो गगनचुंबी इमारत बनाए, जिसे सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 28 अगस्त 2022 को गिरा दिया गया. इस मामले में विजिलेंस विभाग ने मोहिंदर सिंह के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है. जांच जारी है.
पूर्व IAS के यहां ईडी ने इस मामले की कार्रवाई: लग्जरी फ्लैट बनाने वाली कंपनी से जुड़े एक प्रोजेक्ट में गुरुवार को ईडी ने बड़ी कार्रवाई की है. इस बीच चंडीगढ़ स्थित रिटायर्ड अधिकारी और नोएडा अथॉरिटी के पूर्व सीईओ महिंदर सिंह के घर पर छापेमारी की गई. छापेमारी के दौरान उनके घर से 12 करोड़ के हीरे और 7 करोड़ रुपये मूल्य के सोने के आभूषण, एक करोड़ रुपये नकद और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद हुए हैं. मामले की जांच ईडी कर रही है. यह घर एच. नंबर 47 है, जो मोहाली सेक्टर 70 में है.
पिछले दो दिनों में ईडी ने चंडीगढ़ समेत 11 जगहों पर छापेमारी की. छापेमारी दिल्ली, मेरठ और नोएडा में हुई. इस बीच प्रोजेक्ट से जुड़े हर शख्स की संपत्ति खंगालने की कोशिश की गई. इसके बाद यह मामला सामने आया है. आज की छापेमारी में पूर्व आईएएस के घर से करोड़ों के हीरे और सोने के आभूषण, करोड़ों रुपये नकद और कई संदिग्ध दस्तावेज बरामद किए गए. यह 300 करोड़ रुपये का घोटाला था, जिसमें ईडी ने मनी लॉन्ड्रिंग का मामला दर्ज किया था. इस मामले में ईडी जल्द ही पूर्व आईएएस को तलब कर सकती है.
नोएडा प्राधिकरण के कई पूर्व अधिकारियों पर आ सकती है आंच: मोहिंदर सिंह के साथ इस मामले में नोएडा प्राधिकरण के कुछ अन्य अधिकारियों और बिल्डरों का भी नाम सामने आ सकता है. मोहिंदर सिंह के कार्यकाल के दौरान प्राधिकरण में कार्यरत कई अधिकारी रिटायर हो चुके हैं, लेकिन कई अधिकारी अभी भी प्राधिकरण में कार्ययत हैं. ऐसे में यदि जांच का दायरा बढ़ा, तो अधिकारी लपेटे में आ सकते हैं.
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