नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी के नेताओं और मंत्रियों की मुश्किलें कम नहीं हो रही हैं. दिल्ली के मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी के बाद परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत को ईडी ने शनिवार को तलब किया था. पूछताछ खत्म होने के बाद वह ईडी दफ्तर से निकल गए. यह पूछताछ करीब पांच घंटे तक चली. बाहर आकर उन्होंने कहा कि, 'मुझसे जो भी प्रश्न पूछे गए, मैंने उन सभी का उत्तर दिया. मुझे सिविल लाइंस में सरकारी बंगला आवंटित किया गया था, लेकिन मैं हमेशा वसंत कुंज में अपने निजी आवास में रहा, क्योंकि मेरी पत्नी और बच्चे वहां से जाना नहीं चाहते थे. विजय नायर मुझे आवंटित बंगले में रह रहे थे. मैं अपने दूसरे समन पर उपस्थित हुआ. पहला समन एक महीने पहले विधानसभा कार्यवाही के दौरान जारी किया गया था. तब मैंने कुछ समय मांगा था. मैं कभी भी गोवा चुनाव अभियान का हिस्सा नहीं रहा और जो कुछ हुआ उससे मैं अनभिज्ञ हूं.'
जांच एजेंसी के मुताबिक, कैलाश गहलोत उस ग्रुप का हिस्सा थे, जिन्होंने इस शराब नीति के मसौदे को तैयार किया था और ये मसौदा साउथ ग्रुप को लीक किया गया था. दिल्ली के कथित शराब घोटाले और मनी लॉड्रिंग मामले में ईडी उनसे कुछ सवालों की जानकारी चाहती थी. मामले में सीएम केजरीवाल से पहले दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह भी गिरफ्तार हो चुके हैं. एक के बाद एक दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री के साथ-साथ अन्य मंत्री और नेता भी शराब घोटाले में फंसते नजर आ रहे हैं. एक तरफ सड़कों पर उतरकर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ता अपना प्रदर्शन कर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर भाजपा के कार्यकर्ता भी अपना विरोध प्रदर्शन कर दिल्ली के मुख्यमंत्री के इस्तीफे की मांग कर रहे हैं.
दिल्ली में राजस्व की बढ़ोतरी के लिए दिल्ली सरकार ने वर्ष 2021-22 मई नई शराब नीति लेकर आई थी. इसे लाने के पीछे सरकार ने यह मकसद बताया था कि शराब की बिक्री में जो माफिया राज है वह खत्म हो जाएगा और सरकार का राजस्व बढ़ेगा. दिल्ली में नई शराब नीति लागू हुई तो नतीजे इसके विपरीत निकले. 31 जुलाई 2022 को कैबिनेट नोट में दिल्ली सरकार ने माना कि शराब की अधिक बिक्री होने के बावजूद राजस्व में भारी नुकसान हुआ है.
तब दिल्ली सरकार के मुख्य सचिव ने इस मामले में उपराज्यपाल को अपनी रिपोर्ट भेज दी. इससे शराब नीति में गड़बड़ी के साथ मनीष सिसोदिया पर शराब कारोबारियों को अनुचित लाभ पहुंचाने का भी आरोप लगा. जिसके बाद उपराज्यपाल ने मुख्य सचिव नरेश कुमार की भेजी गई रिपोर्ट के आधार पर 22 जुलाई 2022 को इस पूरे मामले की सीबीआई जांच की सिफारिश कर दी. सीबीआई ने 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने मनीष सिसोदिया समेत 14 आरोपियों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया और उसके बाद मनीष सिसोदिया के यहां छापेमारी हुई. इसके बाद शराब घोटाले में ईडी की एंट्री हो गई.
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