ETV Bharat / bharat

हेमंत सोरेन को SC से नहीं मिली राहत, अंतरिम जमानत याचिका पर बुधवार को होगी सुनवाई - SC questions Hemant Soren - SC QUESTIONS HEMANT SOREN

SC questions Soren: सुप्रीम कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई स्थगित कर दी. पीठ ने कहा कि जमानत से इनकार करने वाले आदेश के अनुसार सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है. बुधवार को इस मामले की फिर से सुनवाई होगी.

Supreme Court of India
सुप्रीम कोर्ट (IANS File Photo)
author img

By Sumit Saxena

Published : May 21, 2024, 5:37 PM IST

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका 21 मई को स्थगित कर दी. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ कल यानी 22 मई को इस मामले पर दोबारा सुनवाई करेगी. पीठ ने मंगलवार को सवालों की झड़ी लगाते हुए कहा कि चूंकि जमानत से इनकार करने वाले आदेश में कहा गया है कि सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है, इसलिए सवाल यह है कि क्या शीर्ष अदालत गिरफ्तारी की वैधता की जांच कर सकती है. ईडी के पास इस मामले में योग्यता के आधार पर एक अच्छा मामला है, लेकिन बाद के घटनाक्रमों को देखते हुए इसे एक अलग नजरिए से देखना होगा.

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, 'एक न्यायिक मंच का आदेश है. इसमें कहा गया है कि प्रथम दृष्टया अपराध हुआ है, उस न्यायिक आदेश का क्या होगा?'. न्यायमूर्ति दत्ता ने सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के मामले में आदेश तथ्यात्मक अंतर के कारण उनकी मदद नहीं करता है. 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पुरकायस्थ को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत एक मामले में वैध नहीं थी.

न्यायमूर्ति दत्ता ने सिब्बल से पूछा, '(उस समय) गिरफ्तार करने वाले अधिकारी के कब्जे में क्या सामग्री थी, गिरफ्तारी जरूरी थी या नहीं?. इन दो आदेशों के बावजूद गिरफ्तारी की चुनौती कायम रहेगी, इस पर हमें संतुष्ट करें'. सिब्बल ने तर्क देते हुए कहा कि 'उनका मुवक्किल गिरफ्तारी को चुनौती दे रहा है, जो अवैध है. वह जमानत या मामले को रद्द करने की मांग नहीं कर रहे हैं. मैं जमानत या रद्दीकरण की मांग नहीं कर रहा हूं. मैं यह नहीं कह रहा कि संज्ञान बुरा है. मैं कह रहा हूं कि गिरफ्तारी अपने आप में गलत थी, क्योंकि कब्जे में मौजूद सभी सामग्री गिरफ्तारी का मामला नहीं बनाती है'.

सुनवाई के दौरान पीठ ने सिब्बल से कई सवाल पूछे. शीर्ष अदालत ने पूछा, 'क्या विशेष अदालत द्वारा प्रथम दृष्टया अपराध का संज्ञान लेने के न्यायिक आदेश को चुनौती नहीं दी गई है? विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दिए बिना क्या गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका टिकेगी? सोरेन ने उच्च न्यायालय द्वारा जमानत की अस्वीकृति को चुनौती क्यों नहीं दी?'. पीठ ने कहा कि अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली सोरेन की याचिका झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित थी. उन्होंने फिर भी एक अलग जमानत याचिका दायर की जिसे खारिज कर दिया गया.

सिब्बल ने कहा, 'मैं आपसे इस बात पर विचार करने के लिए कह रहा हूं कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत जो भी सामग्री उपलब्ध है. वह 31 जनवरी, 2024 को अपराध नहीं बनती है'. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि जब जमानत याचिका दायर की गई थी तो अदालत के समक्ष यही तर्क था, वही आधार? सिब्बल ने जोर देकर कहा कि तथ्यों के आधार पर गिरफ्तारी गलत है और उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी दलीलों का हवाला दिया.

पीठ ने कहा, 'आपने चुनौती दी?'. सिब्बल ने दृढ़तापूर्वक तर्क दिया कि सोरेन का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. यह सब मनगढ़ंत बातें हैं. किसी (ईडी) ने 2009 के बाद से शिकायत दर्ज नहीं की है. सुनवाई समाप्त करते हुए, न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'उनके (ईडी) पास योग्यता के आधार पर एक अच्छा मामला है, लेकिन हमें बाद के घटनाक्रमों के मद्देनजर इसे एक अलग दृष्टिकोण से देखना होगा. कृपया जांच करें'.

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय की है. ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि सोरेन अंतरिम जमानत के हकदार नहीं हैं. उनका मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले जैसा नहीं है, जो फिलहाल अंतरिम जमानत पर बाहर हैं. ईडी ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने अपराध का संज्ञान लिया है. सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. ईडी ने दबाव डाला कि ट्रायल कोर्ट ने राय बनाई है कि प्रथम दृष्टया मामला है.

ईडी के वकील ने दलील दी कि सोरेन की गिरफ्तारी चुनाव से ठीक पहले नहीं हुई थी और उन्होंने जमानत की अस्वीकृति और अदालत द्वारा लिए गए संज्ञान को भी चुनौती नहीं दी. बता दें कि सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन के संबंध में है, जिस पर ईडी ने आरोप लगाया है कि यह जमीन उनके द्वारा अवैध रूप से हासिल की गई थी. मनी लॉन्ड्रिंग की जांच झारखंड पुलिस द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों सहित कई लोगों के खिलाफ 'भूमि घोटाले मामलों' में दर्ज की गई कई एफआईआर से शुरू हुई है.

पढ़ें: ED ने 2 जून के बाद केजरीवाल की 14 दिनों की मांगी न्यायिक हिरासत, कोर्ट में याचिका दायर

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने कथित भूमि घोटाले से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग मामले में झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की याचिका 21 मई को स्थगित कर दी. जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ कल यानी 22 मई को इस मामले पर दोबारा सुनवाई करेगी. पीठ ने मंगलवार को सवालों की झड़ी लगाते हुए कहा कि चूंकि जमानत से इनकार करने वाले आदेश में कहा गया है कि सोरेन के खिलाफ प्रथम दृष्टया मामला बनता है, इसलिए सवाल यह है कि क्या शीर्ष अदालत गिरफ्तारी की वैधता की जांच कर सकती है. ईडी के पास इस मामले में योग्यता के आधार पर एक अच्छा मामला है, लेकिन बाद के घटनाक्रमों को देखते हुए इसे एक अलग नजरिए से देखना होगा.

न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने कहा, 'एक न्यायिक मंच का आदेश है. इसमें कहा गया है कि प्रथम दृष्टया अपराध हुआ है, उस न्यायिक आदेश का क्या होगा?'. न्यायमूर्ति दत्ता ने सोरेन का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल से कहा कि न्यूजक्लिक के संपादक प्रबीर पुरकायस्थ के मामले में आदेश तथ्यात्मक अंतर के कारण उनकी मदद नहीं करता है. 15 मई को सुप्रीम कोर्ट ने पुरकायस्थ को रिहा करने का आदेश देते हुए कहा था कि दिल्ली पुलिस द्वारा उनकी गिरफ्तारी गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम 1967 के तहत एक मामले में वैध नहीं थी.

न्यायमूर्ति दत्ता ने सिब्बल से पूछा, '(उस समय) गिरफ्तार करने वाले अधिकारी के कब्जे में क्या सामग्री थी, गिरफ्तारी जरूरी थी या नहीं?. इन दो आदेशों के बावजूद गिरफ्तारी की चुनौती कायम रहेगी, इस पर हमें संतुष्ट करें'. सिब्बल ने तर्क देते हुए कहा कि 'उनका मुवक्किल गिरफ्तारी को चुनौती दे रहा है, जो अवैध है. वह जमानत या मामले को रद्द करने की मांग नहीं कर रहे हैं. मैं जमानत या रद्दीकरण की मांग नहीं कर रहा हूं. मैं यह नहीं कह रहा कि संज्ञान बुरा है. मैं कह रहा हूं कि गिरफ्तारी अपने आप में गलत थी, क्योंकि कब्जे में मौजूद सभी सामग्री गिरफ्तारी का मामला नहीं बनाती है'.

सुनवाई के दौरान पीठ ने सिब्बल से कई सवाल पूछे. शीर्ष अदालत ने पूछा, 'क्या विशेष अदालत द्वारा प्रथम दृष्टया अपराध का संज्ञान लेने के न्यायिक आदेश को चुनौती नहीं दी गई है? विशेष अदालत के आदेश को चुनौती दिए बिना क्या गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली याचिका टिकेगी? सोरेन ने उच्च न्यायालय द्वारा जमानत की अस्वीकृति को चुनौती क्यों नहीं दी?'. पीठ ने कहा कि अपनी गिरफ्तारी को चुनौती देने वाली सोरेन की याचिका झारखंड उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित थी. उन्होंने फिर भी एक अलग जमानत याचिका दायर की जिसे खारिज कर दिया गया.

सिब्बल ने कहा, 'मैं आपसे इस बात पर विचार करने के लिए कह रहा हूं कि धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 के तहत जो भी सामग्री उपलब्ध है. वह 31 जनवरी, 2024 को अपराध नहीं बनती है'. न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा कि जब जमानत याचिका दायर की गई थी तो अदालत के समक्ष यही तर्क था, वही आधार? सिब्बल ने जोर देकर कहा कि तथ्यों के आधार पर गिरफ्तारी गलत है और उच्च न्यायालय के समक्ष अपनी दलीलों का हवाला दिया.

पीठ ने कहा, 'आपने चुनौती दी?'. सिब्बल ने दृढ़तापूर्वक तर्क दिया कि सोरेन का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है. यह सब मनगढ़ंत बातें हैं. किसी (ईडी) ने 2009 के बाद से शिकायत दर्ज नहीं की है. सुनवाई समाप्त करते हुए, न्यायमूर्ति दत्ता ने कहा, 'उनके (ईडी) पास योग्यता के आधार पर एक अच्छा मामला है, लेकिन हमें बाद के घटनाक्रमों के मद्देनजर इसे एक अलग दृष्टिकोण से देखना होगा. कृपया जांच करें'.

पीठ ने मामले की अगली सुनवाई बुधवार को तय की है. ईडी का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू ने दलील दी कि सोरेन अंतरिम जमानत के हकदार नहीं हैं. उनका मामला दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के मामले जैसा नहीं है, जो फिलहाल अंतरिम जमानत पर बाहर हैं. ईडी ने तर्क दिया कि ट्रायल कोर्ट ने अपराध का संज्ञान लिया है. सोरेन की जमानत याचिका खारिज कर दी गई है. ईडी ने दबाव डाला कि ट्रायल कोर्ट ने राय बनाई है कि प्रथम दृष्टया मामला है.

ईडी के वकील ने दलील दी कि सोरेन की गिरफ्तारी चुनाव से ठीक पहले नहीं हुई थी और उन्होंने जमानत की अस्वीकृति और अदालत द्वारा लिए गए संज्ञान को भी चुनौती नहीं दी. बता दें कि सोरेन के खिलाफ जांच रांची में 8.86 एकड़ जमीन के संबंध में है, जिस पर ईडी ने आरोप लगाया है कि यह जमीन उनके द्वारा अवैध रूप से हासिल की गई थी. मनी लॉन्ड्रिंग की जांच झारखंड पुलिस द्वारा राज्य सरकार के अधिकारियों सहित कई लोगों के खिलाफ 'भूमि घोटाले मामलों' में दर्ज की गई कई एफआईआर से शुरू हुई है.

पढ़ें: ED ने 2 जून के बाद केजरीवाल की 14 दिनों की मांगी न्यायिक हिरासत, कोर्ट में याचिका दायर

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.