नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने रविवार को कहा कि यह बेहद हृदयस्पर्शी है कि दस लाख थाई श्रद्धालुओं ने भगवान बुद्ध के पवित्र अवशेषों के प्रति अपना सम्मान व्यक्त किया है. इन पवित्र अवशेषों को एक प्रदर्शनी के तहत थाईलैंड के बैंकॉक में 22 फरवरी से तीन मार्च तक प्रदर्शित किया गया. उन्होंने सोशल मीडिया मंच 'एक्स' पर जारी एक पोस्ट में उस विशेष मंडप की कुछ तस्वीरें भी साझा कीं जिसमें 26-दिवसीय प्रदर्शनी के पहले चरण के तहत बैंकॉक में पवित्र अवशेष प्रदर्शित किए गए हैं.
दुनियाभर के बौद्ध अनुयायियों द्वारा पवित्र इन अवशेषों को 'राजकीय अतिथि' के दर्जे के अनुरूप भारतीय वायुसेना के एक विशेष विमान से ले जाया गया है. जयशंकर ने पोस्ट किया कि थाइलैंड के लाखों श्रद्धालुओं को भारत से आए पवित्र अवशेषों के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए देखकर मैं बहुत प्रभावित हुआ. हमारी साझा विरासत और संस्कृति एक ऐसा सेतु है जो एक विशेष संबंध स्थापित करता है. इस संबंध में भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय और अन्य को धन्यवाद ज्ञापित करता हूं.
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने पहले कहा था कि यह पहली बार है कि जब भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पवित्र अवशेषों को एक साथ प्रदर्शित किया गया है. बैंकॉक में स्थित भारतीय दूतावास की ओर से आसमान से ली गई कुछ तस्वीरें साझा की है जिनमें जनसैलाब दिख रहा है.
भारत में संरक्षित भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों अरहत सारिपुत्र और अरहत मौदगलायन के कुछ पवित्र अवशेष 22 फरवरी को बैंकॉक पहुंच गए थे. दुनिया भर के बौद्ध अनुयायियों के लिए पूजनीय इन अवशेषों को 'राज्य अतिथि' के दर्जे के अनुरूप एक विशेष भारतीय वायु सेना में ले जाया गया था.
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने पहले कहा था कि यह पहली बार है कि भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पवित्र अवशेषों को एक साथ प्रदर्शित किया गया है. बैंकॉक में भारतीय दूतावास ने मानवता के समुद्र से घिरे मंडप की कुछ हवाई तस्वीरें भी पोस्ट कीं. केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा कि बैंकॉक के सनम लुआंग में भगवान बुद्ध और उनके शिष्यों के पवित्र अवशेषों की प्रदर्शनी के अंतिम दिन का सूर्य अस्त हो गया. हजारों श्रद्धालु भारत से पवित्र अवशेषों को श्रद्धांजलि देने के लिए एकत्र हुए.
संस्कृति मंत्रालय ने पहले नई दिल्ली में घोषणा की थी किपवित्र अवशेष 22 फरवरी से 3 मार्च तक बैंकॉक में एक विशेष मंडप में प्रदर्शित किए जाएंगे. भगवान बुद्ध और उनके दो शिष्यों, अरहत सारिपुत्र, और अरहत मौदगल्यायन के चार पवित्र पिपरहवा अवशेषों को 23 फरवरी को सनम लुआंग मंडप में विशेष रूप से निर्मित मंडप में सार्वजनिक पूजा के लिए स्थापित किया गया है.
कार्यक्रम के अनुसार, इन पवित्र अवशेषों को 4 से 8 मार्च तक हो कुम लुआंग, रॉयल रुजाप्रुएक, चियांग माई में, 9 से 13 मार्च तक वाट महा वानाराम, उबोन रतचथानी और 14 से 18 मार्च से वाट महाथाट, औलुएक, क्राबी में प्रदर्शित किया जाएगा. संस्कृति मंत्रालय ने कहा कि पवित्र अवशेषों को 19 मार्च को थाईलैंड से उनके संबंधित स्थानों तक वापस ले जाया जाएगा. इसी के साथ थाईलैंड में एक ऐतिहासिक और आध्यात्मिक रूप से समृद्ध प्रदर्शनी का समापन होगा.
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