नई दिल्ली: दिल्ली के उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने 3 फरवरी को CAPFIMS के दौरे को लेकर सुप्रीम कोर्ट को बताया कि निर्माणाधीन केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल आयुर्विज्ञान संस्थान (CAPFIMS) के रास्ते को चौड़ा करने के लिए राजधानी के रिज क्षेत्र में प्रस्तावित सड़क पर पेड़ों की कटाई के लिए अदालत की अनुमति की आवश्यकता के बारे में उनके संज्ञान में नहीं लाया गया था.
एलजी सक्सेना ने सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामे में कहा, "CAPFIMS अस्पताल से वापस आते समय, सड़क चौड़ीकरण स्थल पर रुके थे... दौरे की तिथि पर उक्त स्थल पर मौजूद किसी भी व्यक्ति ने पेड़ों की कटाई के लिए इस अदालत से अनुमति प्राप्त करने की कानूनी आवश्यकता के बारे में साक्षी के ध्यान में नहीं लाया."
एलजी ने कहा कि उन्हें बताया गया है कि पेड़ों की कटाई/स्थानांतरण के लिए सक्षम प्राधिकारी से अनुमति का इंतजार है, इसलिए पेड़ों की कटाई का काम शुरू नहीं किया गया है. पिछले सप्ताह कोर्ट ने सक्सेना को निर्माणाधीन सीएपीएफआईएमएस के लिए पहुंच मार्ग को चौड़ा करने के लिए पेड़ों की कथित अवैध कटाई के संबंध में विवाद पर दिल्ली विकास प्राधिकरण (DDA) के अध्यक्ष के रूप में हलफनामा दायर करने के लिए कहा था.
प्रगति का जायजा लेने के उद्देश्य से किया दौरा
उपराज्यपाल ने कहा कि परियोजना की प्रगति का जायजा लेने के उद्देश्य से CAPFIMS परियोजना स्थल पर उनका दौरा तय किया गया था. इस दौरान परियोजना के महत्व और आवश्यकता के साथ-साथ इस परियोजना में पहले से निवेश किए गए वित्त सहित संसाधनों को भी ध्यान में रखा गया.
उन्होंने कहा कि 3 फरवरी को अस्पताल स्थल पर पहुंचकर और दृश्य निरीक्षण के बाद उन्होंने मौके पर मौजूद अधिकारियों से परियोजना को पूरा करने की दिशा में काम में तेजी लाने को कहा. यह परियोजना देश की सेवा करने वाले अर्धसैनिक बलों के लिए चिकित्सा सुविधाओं से संबंधित है और इसमें सरकारी खजाने से लगभग 2200 करोड़ रुपये का निवेश किया जा चुका है.
उपराज्यपाल ने कहा कि कार्य की प्रगति के बारे में पूछताछ करने पर उन्हें बताया गया कि पेड़ों की कटाई/स्थानांतरण के लिए सक्षम प्राधिकारी से अनुमति का इंतजार है, इसलिए पेड़ों की कटाई का काम शुरू नहीं किया गया है.
कानून को दरकिनार करने के लिए नहीं था निर्देश
एलजी के हलफनामे में कहा गया है, "इस पर डिपोनेंट ने बताया कि दिल्ली वृक्ष संरक्षण अधिनियम ( DPTA), 1994 के अंतर्गत आने वाले पेड़ों के लिए वन विभाग ने पहले ही मंत्री (पर्यावरण एवं वन) और मुख्यमंत्री से मेरी सहमति से मंजूरी ले ली है. डिपोनेंट ने कहा है कि संबंधित अधिकारियों को इस संबंध में डीडीए को मंजूरी के बारे में सूचना देने में तेजी लानी चाहिए. एलजी ने यह स्पष्ट किया कि उनका निर्देश किसी भी तरह से कानून के शासनादेश को दरकिनार करने का नहीं था.
एलजी ने बताया कि उन्होंने कानून के तहत जहां भी अनुमति की आवश्यकता थी, वहां कोई अनुमति न लेने के लिए कोई निर्देश जारी नहीं किया था. दूसरी ओर, 3 फरवरी, 2024 को किए गए दौरे में, जिसमें साक्षी ने कहा था कि परियोजना को तेजी से पूरा किया जाए, इसका मतलब था कि परियोजना की मौलिक प्रकृति को देखते हुए सभी आवश्यक कार्रवाई में तेजी लाई जानी चाहिए."