नई दिल्ली: सनातन धर्म में अक्षय तृतीया का विशेष महत्व है. हिन्दू मान्यता के अनुसार यह दिन बेहद शुभ और महत्वपूर्ण होता है. वैदिक पंचांग के मुताबिक बैसाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को अक्षय तृतीया मनाई जाती है. इस साल 10 मई को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी. शास्त्रों में अक्षय तृतीया तिथि को स्वयं सिद्ध अबूझ मुहूर्त माना गया है. यानी इस तिथि पर बिना मुहूर्त का विचार किए सभी प्रकार के शुभ कार्य संपन्न किए जा सकते हैं. इस दिन कोई भी शुभ मांगलिक कार्य जैसे विवाह, गृह प्रवेश, सोने-चांदी के आभूषण, घर, भूखंड या वाहन आदि की खरीदारी से जुड़े काम किए जा सकते है.
मान्यता है कि इस अबूझ मुहूर्त की तिथि पर व्यापार आरंभ, गृह प्रवेश, वैवाहिक कार्य, सकाम अनुष्ठान, दान-पुण्य, पूजा-पाठ अक्षय रहता है, अर्थात वह कभी नष्ट नहीं होता. लेकिन इस वर्ष शुक्र अस्त है. इसलिए कोई भी शुभ काम नहीं किया जा सकता.
तिलक नगर स्थित सात मंजिला मज़िल के पुजारी पंडित सुशील शास्त्री ने बताया कि ''2024 में अक्षय तृतीया 10 मई को पड़ रही है. लेकिन इस साल 24 अप्रैल 2024 से शुक्र अस्त हो गया है. इसलिए इस बार अक्षय तृतीया पर कोई भी शुभ काम करना या किसी काम की शुरुआत करना ठीक नहीं होगा सनातम धर्म में दो गुरु हैं एक दैत्य गुरु हैं और एक देव गुरु हैं. दैत्य गुरु शुक्रचार्य हैं और देव गुरु बृहस्पति हैं. इन दोनों गुरुओं में से जब कोई भी गुरु अस्त हो जातें हैं या दोनों ही अस्त हो जातें हैं, तो अबूझ मुहूर्त पर कोई भी शुभ काम नहीं किया जाता है. जैसे शादी, नया व्यापर शुरू करना, घर बनाना या खरीदना आदि. लेकिन जो कार्य पहले से चल रहे हैं, उसको रोका नहीं जाता है. परंतु शादी विवाह जैसे कार्य बिलकुल नहीं किये जाते हैं''.
उन्होंने आगे बताया कि ''24 अप्रैल को शुक्र अस्त हुआ है और इसका उदय अब 7 जुलाई 2024 को होगा. इसी बीच में 6 मई को बृहस्पति अस्त होगा और 2 जून को उदय होगा. तो इस बीच में कोई भी शुभ कार्य करना ठीक नहीं माना जाता है. लेकिन बाकि के सभी पर्व त्यौहार मनाये जायेंगे. अक्षय तृतीया भी नियमित रूप से मनाया जायेगा लेकिन इस दिन कोई भी शुभ कार्य करना ठीक नहीं माना गया है.''
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार अक्षय तृतीया के शुभ पर्व पर किये जाने वाले दान-पुण्य, पूजा-पाठ, जप-तप और शुभ कर्म करने पर मिलने वाला फलों में कमी नहीं होती है. इस दिन सोने के गहने खरीदने और मां लक्ष्मी की पूजा करने का विशेष महत्व होता है.
पंडित सुशील शास्त्री ने बताया कि ''अक्षय तृतीया का अर्थ है वो तिथि जो कभी समाप्त न हो. जो हमेशा ही वर्तमान और प्रसिद्ध रहे. इस दिन भगवन ब्रह्मा प्रकट हुए थे. इसी दिन से सृष्टि का प्रारम्भ हुआ था. अक्षय तृतीया को भगवन ब्रह्मा का जन्म दिवस भी मनाया जाता है. इसलिए इसको बेहद शुभ दिन मनाया गया है. अबूझ मुहूर्त तिथि होने के बावजूद भी अक्षय तृतीया का पर्व वैसे ही मनाया जायेगा. साथ ही अन्य पर्व जैसे वटसावित्री, गंगा पूजन भी नियमित रूप से मनाये जायेंगे.''