नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कर्नाटक के उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने सीबीआई की ओर से उनके खिलाफ कथित आय से अधिक संपत्ति के मामले में दर्ज मामले को रद्द करने का निर्देश देने की मांग की थी.
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने शिवकुमार का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी की दलीलें सुनने के बाद कहा, “सॉरी ... डिसमिस.” इस दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक हाई कोर्ट के सरकार द्वारा दिए गए आदेश पर रोक लगाने पर भी निराशा व्यक्त की.
कोर्ट ने खारिज की याचिका
रोहतगी ने तर्क दिया कि अगर आज आयकर विभाग की छापेमारी होती और वे नकदी बरामद करते, इस पर जस्टिस त्रिवेदी ने कहा कि सवाल यह है कि आयकर अधिकारी भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा नहीं चला सकते? इस पर रोहतगी ने जवाब दिया, "मेरे पास ईडी है, मेरे पास आयकर विभाग है और मेरे पास सीबीआई है. इस अदालत ने ईडी को खारिज कर दिया."
रोहतगी ने कहा कि वह आज केवल याचिका पर नोटिस की मांग कर रहे हैं और सीबीआई मामले को रद्द करने पर जोर नहीं दे रहे हैं. इस पर न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा कि अदालत वह शिवकुमार के खिलाफ मामले को रद्द करने के लिए उत्सुक नहीं है और याचिका पर विचार करने के लिए भी तैयार नहीं हैं.
यह आयकर का मुद्दा है
रोहतगी ने कहा कि यह आयकर का मुद्दा है और आईटी छापा अगस्त 2017 में पड़ा था, और आईटी विभाग ने अपने छापे के आधार पर 13 जून, 2018 को उनके मुवक्किल के खिलाफ आपराधिक शिकायत दर्ज की थी. ऐसे में जब आयकर विभाग पहले से ही उनके मुवक्किल पर मुकदमा चला रहा है तो सीबीआई उसी मुद्दे पर एफआईआर दर्ज नहीं कर सकती. इस पर न्यायमूर्ति त्रिवेदी ने कहा, "यह एक अलग बात है. यह आईटी अधिनियम के तहत होना चाहिए...".
2020 में डीके शिवकुमार के खिलाफ एफआईआर
बता दें कि अक्टूबर 2020 में डीके शिवकुमार के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसमें आरोप लगाया गया था कि 2013 से 2018 के बीच उनकी संपत्ति में बेतहाशा वृद्धि हुई है. 2023 में कर्नाटक हाई कोर्ट ने तत्कालीन भाजपा नीत सरकार द्वारा मामले में सीबीआई जांच के आदेश दिए जाने के बाद शिवकुमार की सीबीआई जांच को रद्द करने की याचिका को खारिज कर दिया था.
हालांकि, कर्नाटक में कांग्रेस के सत्ता में आने के बाद, उसने भाजपा सरकार द्वारा शिवकुमार की जांच के लिए सीबीआई को दी गई मंजूरी वापस ले ली. इसके बाद, 2023 में कर्नाटक उच्च न्यायालय ने शिवकुमार को पिछले उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली अपनी याचिका वापस लेने की अनुमति दी.
इसके बाद, कांग्रेस सरकार द्वारा सीबीआई जांच के लिए सहमति वापस लेने के खिलाफ भाजपा नेता बसनगौड़ा पाटिल यतनाल और सीबीआई द्वारा दो अलग-अलग याचिकाएं दायर की गईं. उच्च न्यायालय ने अभी तक इस पर फैसला नहीं सुनाया है.