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उत्तरी सीमाओं पर राजनाथ ने कहा, सैन्य वापसी और तनाव कम करना ही आगे का रास्ता - Defence Minister Northern borders

Rajnath Singh on Northern borders: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने नई दिल्ली में सेना कमांडरों के एक सम्मेलन को संबोधित किया. इस दौरान उन्होंने उत्तरी सीमाओं पर प्रकाश डाला.

Rajnath Singh on Northern borders (photo IANS)
राजनाथ सिंह उत्तरी सीमा पर (फोटो आईएएनएस)
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By ANI

Published : Apr 3, 2024, 6:50 AM IST

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा स्थिति पर पूरा विश्वास जताया. उन्होंने कहा कि सैनिक डटे हुए हैं, लेकिन शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही बातचीत जारी रहेगी. रक्षा मंत्री सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए सैनिकों को पीछे हटाना और तनाव कम करना ही आगे का रास्ता है.'

राष्ट्रीय राजधानी में सेना कमांडरों का सम्मेलन में एक शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. 28 मार्च को वर्चुअल मोड में और उसके बाद एक अप्रैल और 2 अप्रैल को फिजिकल मोड में कार्यक्रम आयोजित किया गया. रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रयासों की सराहना की, जिससे कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं पर सड़क संचार में काफी सुधार हो सका.

पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की प्रतिक्रिया की सराहना की, हालांकि, विरोधी द्वारा छद्म युद्ध जारी है. राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में सीएपीएफ/पुलिस बलों और सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में समन्वित अभियान क्षेत्र में स्थिरता बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रहना चाहिए.'

राजनाथ सिंह ने उच्च मानक की परिचालन तैयारियों और क्षमताओं के लिए बलों की सराहना की. इस बारे उन्होंने कहा कि उन्हें अग्रिम क्षेत्रों के दौरे के दौरान हमेशा प्रत्यक्ष अनुभव होता रहा है. उन्होंने मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी बहादुरों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की. उन्होंने विदेशी सेनाओं के साथ स्थायी सहकारी संबंध बनाकर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के लिए सैन्य कूटनीति में सेना द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की.

उन्होंने यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा बुनियादी ढांचे और बल आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर हमेशा ऐसे मंच पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए. सशस्त्र बलों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जब भी आवश्यकता हो, सैद्धांतिक परिवर्तन किए जाने चाहिए. राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है और सरकार सेना को सुधारों और क्षमता आधुनिकीकरण की राह पर आगे बढ़ने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है.

ये भी पढ़ें- भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा, इतिहास में पहली बार 21 हजार करोड़ के पार - Indian Defence Exports Have Scaled

नई दिल्ली : रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने देश की उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा स्थिति पर पूरा विश्वास जताया. उन्होंने कहा कि सैनिक डटे हुए हैं, लेकिन शांतिपूर्ण समाधान के लिए चल रही बातचीत जारी रहेगी. रक्षा मंत्री सेना कमांडरों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा, 'उत्तरी सीमाओं पर मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए सैनिकों को पीछे हटाना और तनाव कम करना ही आगे का रास्ता है.'

राष्ट्रीय राजधानी में सेना कमांडरों का सम्मेलन में एक शीर्ष स्तरीय द्विवार्षिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. 28 मार्च को वर्चुअल मोड में और उसके बाद एक अप्रैल और 2 अप्रैल को फिजिकल मोड में कार्यक्रम आयोजित किया गया. रक्षा मंत्री ने सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रयासों की सराहना की, जिससे कठिन परिस्थितियों में काम करते हुए पश्चिमी और उत्तरी दोनों सीमाओं पर सड़क संचार में काफी सुधार हो सका.

पश्चिमी सीमाओं पर स्थिति का जिक्र करते हुए उन्होंने सीमा पार आतंकवाद के खिलाफ भारतीय सेना की प्रतिक्रिया की सराहना की, हालांकि, विरोधी द्वारा छद्म युद्ध जारी है. राजनाथ सिंह ने कहा, 'मैं जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खतरे से निपटने में सीएपीएफ/पुलिस बलों और सेना के बीच उत्कृष्ट तालमेल की सराहना करता हूं. केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में समन्वित अभियान क्षेत्र में स्थिरता बढ़ाने में योगदान दे रहे हैं और इसे जारी रहना चाहिए.'

राजनाथ सिंह ने उच्च मानक की परिचालन तैयारियों और क्षमताओं के लिए बलों की सराहना की. इस बारे उन्होंने कहा कि उन्हें अग्रिम क्षेत्रों के दौरे के दौरान हमेशा प्रत्यक्ष अनुभव होता रहा है. उन्होंने मातृभूमि की रक्षा में सर्वोच्च बलिदान देने वाले सभी बहादुरों को श्रद्धांजलि भी अर्पित की. उन्होंने विदेशी सेनाओं के साथ स्थायी सहकारी संबंध बनाकर हमारे राष्ट्रीय सुरक्षा हितों को आगे बढ़ाने के लिए सैन्य कूटनीति में सेना द्वारा किए गए महत्वपूर्ण योगदान की सराहना की.

उन्होंने यह कहकर निष्कर्ष निकाला कि रक्षा कूटनीति, स्वदेशीकरण, सूचना युद्ध, रक्षा बुनियादी ढांचे और बल आधुनिकीकरण से संबंधित मुद्दों पर हमेशा ऐसे मंच पर विचार-विमर्श किया जाना चाहिए. सशस्त्र बलों को भविष्य के लिए तैयार करने के लिए जब भी आवश्यकता हो, सैद्धांतिक परिवर्तन किए जाने चाहिए. राष्ट्र को अपनी सेना पर गर्व है और सरकार सेना को सुधारों और क्षमता आधुनिकीकरण की राह पर आगे बढ़ने में मदद करने के लिए प्रतिबद्ध है.

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