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नाबालिग से गैंगरेप पर बनी 'टू किल ए टाइगर' डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक से इनकार - To Kill a Tiger documentary

गैंगरेप पर बनी 'टू किल ए टाइगर' डॉक्यूमेंट्री के प्रसारण पर रोक लगाने से दिल्ली हाईकोर्ट ने इनकार कर दिया. कोर्ट ने कहा कि डॉक्यूमेंट्री 10 मार्च से प्रसारित की है, इसलिए अब इस पर रोक लगाने की जरूरत नहीं है. हालांकि, कोर्ट ने केंद्र सरकार, नेटफ्लिक्स और डॉक्यूमेंट्री के डायरेक्टर को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह में जवाब मांगा है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Jul 25, 2024, 10:23 PM IST

'टू किल ए टाइगर' डॉक्यूमेंट्री
'टू किल ए टाइगर' डॉक्यूमेंट्री (सोशल मीडिय)

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखंड में एक नाबालिग से गैंगरेप पर आधारित नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हो रहे डॉक्यूमेंट्री ‘टू किल ए टाइगर’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा कि ये डॉक्यूमेंट्री 10 मार्च से प्रसारित की जा रही है और इसलिए अब इसके प्रसारण पर रोक की कोई जरूरत नहीं है. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, नेटफ्लिक्स और डॉक्यूमेंट्री के डायरेक्टर निशा पाहुजा को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

याचिका तुलिर चैरिटेबल ट्रस्ट ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि इस डॉक्यूमेंट्री में गैंगरेप की एक नाबालिग पीड़िता की पहचान को उजागर किया गया है. ‘टू किल ए टाइगर’ में झारखंड के एक परिवार की कहानी को दर्शाया गया है, जिसमें परिवार अपने 13 वर्षीय बच्ची के न्याय की गुहार लगा रही है. नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप किया गया था. याचिका में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री में नाबालिग बच्ची की पहचान को उजागर कर पॉक्सो एक्ट के प्रावधान का उल्लंघन किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग तब की गई थी जब पीड़िता नाबालिग थी. इसकी शूटिंग कई घंटों में पूरी हुई थी. शूटिंग के दौरान पीड़िता को कई बार अपनी आपबीती बतानी पड़ी थी. यहां तक कि उसे स्कूल ड्रेस में दिखाया गया है, जो पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है. डॉक्यूमेंट्री 10 मार्च से इसलिए प्रदर्शित की जा रही है क्योंकि उसकी दिन ऑस्कर नामांकन की तिथि थी. ये तिथि इसलिए चुनी गई ताकि इस डॉक्यूमेंट्री को अंतरराष्ट्रीय दर्शक मिल सकें.

सुनवाई के दौरान नेटफ्लिक्स की ओर से पेश वकील ने कहा कि ये डॉक्यूमेंट्री 2022 में कनाडा में रिलीज की गई थी और इसमें पीड़िता की कहानी है. नेटफ्लिक्स ने कहा कि शूटिंग के दौरान बच्ची के परिवार वालों की सहमति ली गई थी. उन्होंने कहा कि इस मामले के प्रकाशन पर कानूनी रूप से तभी तक रोक है जब तक पीड़िता नाबालिग है. वो जैसे ही बालिग हो जाती है वो अपने साथ हुई घटना को बताने में सक्षम है.

यह भी पढ़ेंः 96वें ऑस्कर में टूटी भारत की उम्मीद, प्रियंका चोपड़ा की 'टू किल ए टाइगर' बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर की रेस से बाहर

नई दिल्लीः दिल्ली हाईकोर्ट ने झारखंड में एक नाबालिग से गैंगरेप पर आधारित नेटफ्लिक्स पर प्रसारित हो रहे डॉक्यूमेंट्री ‘टू किल ए टाइगर’ पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. सुनवाई करते हुए कार्यकारी चीफ जस्टिस मनमोहन ने कहा कि ये डॉक्यूमेंट्री 10 मार्च से प्रसारित की जा रही है और इसलिए अब इसके प्रसारण पर रोक की कोई जरूरत नहीं है. हाईकोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार, नेटफ्लिक्स और डॉक्यूमेंट्री के डायरेक्टर निशा पाहुजा को नोटिस जारी कर 4 हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है.

याचिका तुलिर चैरिटेबल ट्रस्ट ने दायर किया है. याचिका में कहा गया है कि इस डॉक्यूमेंट्री में गैंगरेप की एक नाबालिग पीड़िता की पहचान को उजागर किया गया है. ‘टू किल ए टाइगर’ में झारखंड के एक परिवार की कहानी को दर्शाया गया है, जिसमें परिवार अपने 13 वर्षीय बच्ची के न्याय की गुहार लगा रही है. नाबालिग बच्ची के साथ गैंगरेप किया गया था. याचिका में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री में नाबालिग बच्ची की पहचान को उजागर कर पॉक्सो एक्ट के प्रावधान का उल्लंघन किया गया है.

याचिका में कहा गया है कि डॉक्यूमेंट्री की शूटिंग तब की गई थी जब पीड़िता नाबालिग थी. इसकी शूटिंग कई घंटों में पूरी हुई थी. शूटिंग के दौरान पीड़िता को कई बार अपनी आपबीती बतानी पड़ी थी. यहां तक कि उसे स्कूल ड्रेस में दिखाया गया है, जो पॉक्सो एक्ट के प्रावधानों का उल्लंघन है. डॉक्यूमेंट्री 10 मार्च से इसलिए प्रदर्शित की जा रही है क्योंकि उसकी दिन ऑस्कर नामांकन की तिथि थी. ये तिथि इसलिए चुनी गई ताकि इस डॉक्यूमेंट्री को अंतरराष्ट्रीय दर्शक मिल सकें.

सुनवाई के दौरान नेटफ्लिक्स की ओर से पेश वकील ने कहा कि ये डॉक्यूमेंट्री 2022 में कनाडा में रिलीज की गई थी और इसमें पीड़िता की कहानी है. नेटफ्लिक्स ने कहा कि शूटिंग के दौरान बच्ची के परिवार वालों की सहमति ली गई थी. उन्होंने कहा कि इस मामले के प्रकाशन पर कानूनी रूप से तभी तक रोक है जब तक पीड़िता नाबालिग है. वो जैसे ही बालिग हो जाती है वो अपने साथ हुई घटना को बताने में सक्षम है.

यह भी पढ़ेंः 96वें ऑस्कर में टूटी भारत की उम्मीद, प्रियंका चोपड़ा की 'टू किल ए टाइगर' बेस्ट डॉक्यूमेंट्री फीचर की रेस से बाहर

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