नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सलमान रुश्दी के विवादित उपन्यास सैटेनिक वर्सेज पर रोक लगाने के तत्कालीन राजीव गांधी सरकार के फैसले को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई बंद कर दी है. जस्टिस रेखा पल्ली की अध्यक्षता वाली बेंच ने कहा कि प्रशासन इस उपन्यास पर रोक संबंधी नोटिफिकेशन को पेश करने में नाकाम रहा, इसलिए ये समझा जाना चाहिए कि इस नोटिफिकेशन का कोई वजूद नहीं है.
याचिका संदीपन खान ने दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि वो इस किताब का आयात करने की स्थिति में नहीं हैं क्योंकि इसपर केंद्र सरकार ने 1988 में रोक लगा दी थी. केंद्र सरकार ने इस उपन्यास पर रोक लगाते हुए कहा था कि इस उपन्यास के आयात से कानून-व्यवस्था खराब होने की स्थिति बन सकती है, क्योंकि पूरी दुनिया के मुसलमान इस उपन्यास को ईश निंदा के रूप में देखते हैं.
इस याचिका में यह भी कहा गया था कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर बोर्ड ने 5 अक्टूबर, 1988 को नोटिफिकेशन जारी कर इस किताब के आयात पर रोक लगा दी थी. लेकिन, नोटिफिकेशन की वो प्रति न तो आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध है और न ही प्रशासन के पास. कोर्ट ने कहा कि ये नोटिफिकेशन न तो प्रशासन दिखा पाया और न ही उपन्यास के लेखक इस केस के लंबित रहने के दौरान दिखा सके. यह याचिका 2019 में दाखिल की गई थी. ऐसे में ये माना जाना चाहिए कि इस नोटिफिकेशन का अस्तित्व ही नहीं है.
अब इस याचिका का कोई मतलब नहीं रह जाता है, इसलिए याचिका पर सुनवाई बंद की जाती है. याचिकाकर्ता ने न केवल इस उपन्यास पर रोक के नोटिफिकेशन पर रोक की मांग की थी, बल्कि इस उपन्यास के आयात के लिए दिशानिर्देश देने की भी मांग की थी, ताकि वो अंतरराष्ट्रीय ई-कॉमर्स वेबसाइट से उपन्यास मंगा सकें.
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