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केजरीवाल को झटकाः दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत देने की मांग वाली याचिका खारिज की, जुर्माना भी लगाया - interim bail to Arvind Kejriwal

दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी आपराधिक मामलों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को असाधारण अंतरिम जमानत देने का निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 75000 रुपए का जुर्माना भी लगाया.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Apr 22, 2024, 12:46 PM IST

Updated : Apr 22, 2024, 1:50 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी आपराधिक मामलों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को असाधारण अंतरिम जमानत देने का निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 75000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने कहा कि अदालत लंबित आपराधिक मामले में असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दे सकती.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि यह अदालत उच्च पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ शुरू किए गए लंबित आपराधिक मामले में असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दे सकती. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के न्यायिक आदेश के आधार पर कोई हिरासत में है. चुनौती फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है, वह कदम उठा रहे हैं और उपायों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कानून सभी के लिए बराबर है.

याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि मैं यहां केजरीवाल के लिए नहीं बल्कि दिल्ली की जनता के लिए कोर्ट के सामने आया हूं. मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से पूरी सरकार रुक गई है क्योंकि मुख्यमंत्री ही सरकार का मुखिया होता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि केजरीवाल पर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं. उसको निभाने के लिए मुख्यमंत्री नहीं है. भारत और दुनिया में यह पहली बार है कि कोई मुख्यमंत्री जेल में है. मुख्यमंत्री के जेल मे होने की वजह से नागरिकों को कष्ट क्यों उठाना चाहिए.

याचिका लॉ स्टूडेंट अभिषेक चौधरी ने दायर किया था. अभिषेक चौधरी ने वी द पीपल ऑफ इंडिया के नाम से याचिका दायर किया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि वो वी द पीपल ऑफ इंडिया के नाम से इसलिए याचिका दायर कर रहे हैं क्योंकि वे इस याचिका के जरिये कोई नाम हासिल नहीं करना चाहते हैं.

याचिका में कहा गया था कि दिल्ली की जेलों में समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से कई लोगों की मौत हो चुकी है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं, चिकित्सा उपकरण और डॉक्टर चौबीसो घंटे उपलब्ध कराया जाना चाहिए, लेकिन ये सभी सुविधाएं न्यायिक हिरासत में उपलब्ध नहीं करायी जा सकती हैं, क्योंकि जेल परिसर के अंदर खतरा काफी ज्यादा है. केजरीवाल की जान को खतरा बताते हुए याचिका में कहा गया था कि जेल के अंदर दुर्दांत अपराधी मौजूद हैं जिनके खिलाफ रेप, हत्या, डकैती और बम ब्लास्ट तक के केस दर्ज हैं. ये सभी अपराधी केजरीवाल की जेल की दीवाल से कुछ ही मीटर की दूरी पर हैं.

याचिका में कहा गया था कि जेल प्रशासन और पुलिस अधिकारी अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं. क्योंकि वे इस काम के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं. सुरक्षा का काम वे प्रशिक्षित कमांडो ही कर सकते हैं जिन्हें वीआईपी की सुरक्षा की ट्रेनिंग मिली हो. बता दें कि 15 मार्च को कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया था. 21 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट से अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं मिलने के बाद ईडी ने 21 मार्च को ही देर शाम को अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. केजरीवाल इस मामले में फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं.

ये भी पढ़ें : केजरीवाल के ईडी के समन पर पेश नहीं होने के मामले में 4 मई को होगी सुनवाई

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने सभी आपराधिक मामलों में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को असाधारण अंतरिम जमानत देने का निर्देश देने की मांग वाली जनहित याचिका खारिज कर दी है. दिल्ली हाईकोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए याचिकाकर्ता पर 75000 रुपये का जुर्माना भी लगाया. कोर्ट ने कहा कि अदालत लंबित आपराधिक मामले में असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दे सकती.

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने आदेश पारित करते हुए कहा कि यह अदालत उच्च पद पर आसीन व्यक्ति के खिलाफ शुरू किए गए लंबित आपराधिक मामले में असाधारण अंतरिम जमानत नहीं दे सकती. कोर्ट ने कहा कि कोर्ट के न्यायिक आदेश के आधार पर कोई हिरासत में है. चुनौती फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में है, वह कदम उठा रहे हैं और उपायों का इस्तेमाल कर रहे हैं. कानून सभी के लिए बराबर है.

याचिकाकर्ता वकील ने कहा कि मैं यहां केजरीवाल के लिए नहीं बल्कि दिल्ली की जनता के लिए कोर्ट के सामने आया हूं. मुख्यमंत्री की गिरफ्तारी से पूरी सरकार रुक गई है क्योंकि मुख्यमंत्री ही सरकार का मुखिया होता है. याचिकाकर्ता ने कहा कि केजरीवाल पर बहुत सारी जिम्मेदारियां हैं. उसको निभाने के लिए मुख्यमंत्री नहीं है. भारत और दुनिया में यह पहली बार है कि कोई मुख्यमंत्री जेल में है. मुख्यमंत्री के जेल मे होने की वजह से नागरिकों को कष्ट क्यों उठाना चाहिए.

याचिका लॉ स्टूडेंट अभिषेक चौधरी ने दायर किया था. अभिषेक चौधरी ने वी द पीपल ऑफ इंडिया के नाम से याचिका दायर किया था. याचिकाकर्ता ने कहा कि वो वी द पीपल ऑफ इंडिया के नाम से इसलिए याचिका दायर कर रहे हैं क्योंकि वे इस याचिका के जरिये कोई नाम हासिल नहीं करना चाहते हैं.

याचिका में कहा गया था कि दिल्ली की जेलों में समय पर इलाज नहीं मिलने की वजह से कई लोगों की मौत हो चुकी है. अरविंद केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमंत्री हैं, इसलिए उन्हें बेहतर चिकित्सा सुविधाएं, चिकित्सा उपकरण और डॉक्टर चौबीसो घंटे उपलब्ध कराया जाना चाहिए, लेकिन ये सभी सुविधाएं न्यायिक हिरासत में उपलब्ध नहीं करायी जा सकती हैं, क्योंकि जेल परिसर के अंदर खतरा काफी ज्यादा है. केजरीवाल की जान को खतरा बताते हुए याचिका में कहा गया था कि जेल के अंदर दुर्दांत अपराधी मौजूद हैं जिनके खिलाफ रेप, हत्या, डकैती और बम ब्लास्ट तक के केस दर्ज हैं. ये सभी अपराधी केजरीवाल की जेल की दीवाल से कुछ ही मीटर की दूरी पर हैं.

याचिका में कहा गया था कि जेल प्रशासन और पुलिस अधिकारी अरविंद केजरीवाल की सुरक्षा सुनिश्चित नहीं कर सकते हैं. क्योंकि वे इस काम के लिए प्रशिक्षित नहीं हैं. सुरक्षा का काम वे प्रशिक्षित कमांडो ही कर सकते हैं जिन्हें वीआईपी की सुरक्षा की ट्रेनिंग मिली हो. बता दें कि 15 मार्च को कोर्ट ने केजरीवाल की न्यायिक हिरासत 23 अप्रैल तक के लिए बढ़ा दिया था. 21 मार्च को दिल्ली हाईकोर्ट से अरविंद केजरीवाल को गिरफ्तारी से संरक्षण नहीं मिलने के बाद ईडी ने 21 मार्च को ही देर शाम को अरविंद केजरीवाल को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया था. केजरीवाल इस मामले में फिलहाल तिहाड़ जेल में बंद हैं.

ये भी पढ़ें : केजरीवाल के ईडी के समन पर पेश नहीं होने के मामले में 4 मई को होगी सुनवाई

Last Updated : Apr 22, 2024, 1:50 PM IST
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